Arts Auditorium : जीवन में रसायन विज्ञान का महत्व और मानसिक स्वास्थ्य: प्रो. अनिल मिश्रा के व्याख्यान पर एक दृष्टिकोण
Arts Auditorium : कुमाऊं विश्वविद्यालय के आर्ट्स सभागार में आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में प्रोफेसर अनिल मिश्रा, जो लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष हैं, ने “केमिस्ट्री ऑफ लाइफ: मैनेजिंग स्ट्रेस फॉर मेंटल बीइंग मेड ईज़ी” विषय पर अपना विशेष व्याख्यान दिया। इस व्याख्यान ने जीवन में रसायन विज्ञान के महत्व और मानसिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को गहराई से समझाने का प्रयास किया। Arts Auditorium
रसायन विज्ञान का जीवन पर प्रभाव
प्रो. अनिल मिश्रा ने अपने व्याख्यान में कहा कि रसायन विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू से जुड़ा हुआ है। हमारा जीवन विभिन्न प्रकार के रासायनिक प्रतिक्रियाओं का परिणाम है। चाहे वह हमारी शारीरिक गतिविधियाँ हों, मानसिक प्रतिक्रियाएँ हों या फिर भावनात्मक स्थितियाँ, हर चीज़ का एक रासायनिक आधार होता है। उन्होंने कहा कि हमारी ‘केमिस्ट्री’ केवल पर्यावरण या पदार्थों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे संबंधों, विचारों, और मानवता के प्रति हमारे दृष्टिकोण में भी झलकती है।
प्रोफेसर मिश्रा के अनुसार, जीवन में आने वाली समस्याएँ, जो हमें तनाव और चिंता में डालती हैं, इन सभी के पीछे रासायनिक प्रक्रियाएँ होती हैं। जब हम तनाव में होते हैं, तो हमारा शरीर विभिन्न रासायनिक प्रतिक्रियाएँ करता है, जो हमें मानसिक रूप से प्रभावित करती हैं। इससे न केवल हमारी मानसिक शांति प्रभावित होती है, बल्कि हमारी शारीरिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। Arts Auditorium
मानव जीवन में तनाव और चिंता के कई कारण होते हैं। प्रो. मिश्रा ने कहा कि जब हम जीवन की कठिनाइयों का सामना करते हैं, तो हमारा मस्तिष्क रासायनिक प्रतिक्रियाएँ करने लगता है जो हमारी भावनाओं को प्रभावित करती हैं। ये प्रतिक्रियाएँ हमें डर, चिंता, और अंततः तनाव का अनुभव कराती हैं। तनाव का यह रासायनिक प्रभाव हमारे मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
उन्होंने यह भी समझाया कि जब हमारा मस्तिष्क तनाव का सामना करता है, तो हमारे शरीर में कोर्टिसोल जैसे हार्मोन का स्राव बढ़ जाता है। यह हार्मोन हमारी मानसिक और शारीरिक स्थिति को और भी अधिक तनावपूर्ण बना सकता है। इससे हमारा ध्यान, सोचने की क्षमता, और निर्णय लेने की शक्ति प्रभावित होती है।
प्रोफेसर मिश्रा ने सुझाव दिया कि तनाव को कम करने के लिए हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव करने चाहिए। सकारात्मक विचारों को अपनाने और अपने आस-पास की नकारात्मकता से दूर रहने की सलाह दी गई। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से मेडिटेशन और योग का अभ्यास करना अत्यंत आवश्यक है।
विचारों और भावनाओं का आपसी संबंध
प्रो. अनिल मिश्रा ने बताया कि हमारे विचार और भावनाएँ परस्पर जुड़े हुए हैं। हमारे विचारों से ही हमारी भावनाओं का निर्माण होता है। जब हम नकारात्मक सोचते हैं, तो हमारी भावनाएँ भी नकारात्मक हो जाती हैं। इसके विपरीत, जब हम सकारात्मक सोचते हैं, तो हमारी भावनाएँ भी सकारात्मक रहती हैं। उन्होंने बताया कि जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए सकारात्मकता अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जीवन में हम जिस भी स्थिति का सामना करते हैं, उसे स्वीकारने की शक्ति हमारे पास होनी चाहिए। यह स्वीकार्यता हमें मानसिक रूप से सशक्त बनाती है और हमें जीवन की कठिनाइयों से निपटने में मदद करती है। हमारे आत्मविश्वास और हमारी आंतरिक शक्ति से हम हर प्रकार की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। Arts Auditorium
सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास
जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण का महत्व समझाते हुए प्रोफेसर मिश्रा ने कहा कि आत्मविश्वास हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। जब हम किसी भी परिस्थिति में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हैं और खुद पर विश्वास करते हैं, तो हम किसी भी समस्या का समाधान ढूंढ़ सकते हैं। सकारात्मकता न केवल हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है, बल्कि यह हमारी कार्यक्षमता और जीवन की गुणवत्ता को भी बढ़ाती है।
उनके अनुसार, भाग्य हमारे नियंत्रण में नहीं होता, लेकिन हम हमेशा यह चुन सकते हैं कि किसी भी परिस्थिति का सामना कैसे करना है। सही चुनाव और सकारात्मक दृष्टिकोण हमें मानसिक रूप से सशक्त बनाता है और हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है। Arts Auditorium
मेडिटेशन का महत्व
कार्यक्रम में शिवानी मिश्रा ने मेडिटेशन का महत्व भी समझाया। उन्होंने बताया कि सांसों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और सही तरीके से सांस लेना हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है। मेडिटेशन एक ऐसी विधि है, जो हमें मानसिक शांति प्रदान करती है और तनाव को कम करती है। Arts Auditorium
मेडिटेशन न केवल हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है, बल्कि यह हमारे शरीर को भी स्वस्थ रखता है। नियमित रूप से मेडिटेशन का अभ्यास करने से हम अपनी मानसिक और शारीरिक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को मेडिटेशन कराया और बताया कि कैसे यह विधि जीवन में संतुलन और शांति लाने में सहायक होती है।
प्रमुख व्यक्ति और प्रतिभागी
कार्यक्रम में कुमाऊं विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्रमुख और प्राध्यापक भी उपस्थित थे। इनमें प्रो. हरीश बिष्ट, प्रो. गिरीश रंजन तिवारी, प्री. गीता तिवारी, प्री. सहराज अली, डॉक्टर महेश आर्य, डॉक्टर मनोज धूनी, डॉक्टर पैनी जोशी, डॉक्टर नवीन पांडे, डॉक्टर हर्ष चौहान, डॉक्टर हेम जोशी, दीपशिखा जोशी, डॉक्टर ललित मोहन, डॉक्टर गिरीश खरकवाल, डॉक्टर उजमा, डॉक्टर नगमा, दिशा उप्रेती, वसुंधरा लोधियाल, स्वाति जोशी, गौरव रावत, मनीषा, शिवांगी, सूर्यवंशी, पूजा गुप्ता, फिजा पनेरू, तथा जूलॉजी, केमिस्ट्री, वनस्पति विज्ञान और बीएससी के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
प्रो. अनिल मिश्रा का सम्मान
कार्यक्रम के अंत में प्रो. अनिल मिश्रा को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। उन्हें शॉल पहनाकर, बैच लगाकर और अल्पना भेट कर सम्मानित किया गया। इस विशेष व्याख्यान के दौरान उपस्थित सभी प्रतिभागियों ने उनके विचारों की सराहना की और उन्हें ध्यानपूर्वक सुना।
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प्रो. अनिल मिश्रा के इस महत्वपूर्ण व्याख्यान ने जीवन में रसायन विज्ञान के महत्व और मानसिक स्वास्थ्य के प्रबंधन के प्रति एक नई दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जीवन में रसायन केवल प्रयोगशालाओं में नहीं, बल्कि हमारे दैनिक जीवन के हर पहलू में मौजूद हैं। मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण और आत्मविश्वास को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। साथ ही, मेडिटेशन और योग जैसे साधनों के माध्यम से हम मानसिक शांति और तनाव को कम कर सकते हैं।
यह व्याख्यान न केवल छात्रों के लिए, बल्कि सभी उपस्थित लोगों के लिए प्रेरणादायक साबित हुआ और उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य और रसायन विज्ञान के आपसी संबंध को और गहराई से समझा।