Women’s Boxing: कुमाऊं विश्वविद्यालय ने महिला बॉक्सिंग में खेलो इंडिया विश्वविद्यालय खेलों में कांस्य पदक जीता
महिला बॉक्सिंग: एक साहसिक यात्रा असम गुवाहाटी में आयोजित हो रही खेलो इंडिया विश्वविद्यालय खेलों में बॉक्सिंग इवेंट में कुमाऊं विश्वविद्यालय की छात्रा कुमारी आंचल शुक्ला ने 45 से 48 किलोग्राम वेट कैटेगरी में कांस्य पदक जीतकर कुमाऊं विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है।
कुमाऊं विश्वविद्यालय के कीड़ा अधिकारी डॉक्टर नागेंद्र शर्मा ने बताया कि असम गुवाहाटी में चल रहे खेलो इंडिया विश्वविद्यालय खेलों में कुमाऊं विश्वविद्यालय की बॉक्सिंग की छात्रा ने अपने प्रथम मुकाबले में भगत सिंह फुल विश्वविद्यालय पंजाब को पराजित किया तथा क्वार्टर फाइनल मुकाबले में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हरियाणा को पराजित कर कांस्य पदक प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की।
डॉ नागेंद्र शर्मा ने बताया की इससे पूर्व भी कुमाऊं विश्वविद्यालय की कुश्ती की छात्रा कुमारी तनु मलिक ने भी खेलो इंडिया में कांस्य पदक सेप्राप्त किया था कुमारी आंचल शुक्ला की उपलब्धि पर कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दीवान सिंह रावत ने खिलाड़ी को विश्वविद्यालय में आमंत्रित कर सम्मान करने की घोषणा करीl तथा कुमाऊं विश्वविद्यालय की खेल गतिविधियों की सराहना की।
उक्त उपलब्धि पर विश्वविद्यालय के कुल सचिव दिनेश चंद्र वित्त नियंत्रक श्रीमती अनीता आर्य उपकुल सचिव दुर्गेश डिमरी उप कुलसचिव डॉ संजीव आर्य परीक्षा नियंत्रक डॉक्टर महेंद्र राणा डॉ संतोष कुमार प्रोफेसर संतोष यादव निदेशक प्रोफेसर नीता बोरा शर्मा अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर संजय पंत प्रोफेसर अतुल जोशी कूटा के अध्यक्ष प्रोफेसर ललित तिवारी डॉक्टर विजय कुमार डॉ केके मिश्रा एवं विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन के समस्त अधिकारी कर्मचारियों ने बधाई दी है।
महिला बॉक्सिंग: एक साहसिक यात्रा Women’s Boxing
महिला बॉक्सिंग की कहानी एक साहसिक और प्रेरणादायक यात्रा है। यह खेल न केवल शारीरिक शक्ति और टेक्निकल निपुणता को दिखाता है, बल्कि मनोबल को भी मजबूत करता है। बॉक्सिंग के माध्यम से महिलाएं अपनी ताकत को साकार करती हैं और समाज में स्थान बनाती हैं।
महिला बॉक्सिंग की शुरुआत आमतौर पर पुरुषों की तुलना में कठिनाईयों से भरी रही है। परंतु, वक्त के साथ साथ महिलाओं ने अपने दम पर पहचान बनाई है और इस खेल में उन्नति की है। भारतीय महिला बॉक्सर्स ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्मों पर अपना नाम रौशन किया है और देश का मान बढ़ाया है।
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महिला बॉक्सिंग का अभ्यास न केवल शारीरिक स्तर पर महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक स्तर पर भी एक महिला को स्वावलंबी और साहसी बनाता है। एक बॉक्सर को सामना करने के लिए न केवल शारीरिक शक्ति की आवश्यकता होती है, बल्कि उसे धैर्य, समर्थन और परिश्रम की भी आवश्यकता होती है।
महिला बॉक्सिंग में सफलता पाने के लिए, एक बॉक्सर को दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता के साथ काम करना पड़ता है। वहाँ कोई भी सीमा नहीं होती है, जब एक महिला अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में अग्रसर होती है।
महिला बॉक्सिंग का एक अभिन्न हिस्सा है उसका प्रभाव समाज पर। यह न केवल एक खेल है, बल्कि एक आधारभूत उपकरण है जो महिलाओं को अपनी सच्ची प्राकृतिक शक्ति का अनुभव कराता है।
महिला बॉक्सिंग के माध्यम से, महिलाएं न केवल अपनी ताकत को पहचानती हैं, बल्कि वे अपने आत्मविश्वास को भी मजबूत करती हैं। यह खेल महिलाओं को उनकी सीमाओं को पार करने के लिए प्रेरित करता है और उन्हें उनके सपनों को पूरा करने के लिए साहस और संघर्ष की आवश्यकता को समझाता है।
महिला बॉक्सिंग का एक और महत्वपूर्ण पहलू उसका सामाजिक प्रभाव है। यह महिलाओं को समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका देता है और उन्हें स्वतंत्रता और सम्मान के लिए लड़ने की प्रेरणा प्रदान करता है। बॉक्सिंग के माध्यम से, महिलाएं अपनी आत्मसमर्था और अनुभूति को बढ़ाती हैं, जो उन्हें समाज में एक समान दर्जा और स्थान प्राप्त करने में मदद करता है।
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समाप्त में, महिला बॉक्सिंग एक ऐसा माध्यम है जो महिलाओं को उनकी सच्ची सामर्थ्य का एहसास कराता है और उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए साहस और प्रेरणा प्रदान करता है। इसे समर्थित करना और बढ़ावा देना आवश्यक है ताकि महिलाएं अपनी शक्ति और प्रतिभा को पूरी तरह से समझ सकें और समाज में अपनी अद्वितीय पहचान बना सकें।