उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार के दीक्षांत समारोह 2024

उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार में शुक्रवार को आयोजित दीक्षांत समारोह में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने भाग लिया और विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को स्नातक, परास्नातक, पीएचडी उपाधियों के साथ स्वर्ण पदक भी प्रदान किए। इस अवसर पर राज्यपाल ने संस्कृत भाषा और इसके महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता पर बल दिया और विश्वविद्यालय के छात्रों को भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने का संदेश दिया।

राज्यपाल ने संस्कृत को एक चमत्कारी भाषा बताते हुए इसके महत्व को रेखांकित किया। उनका कहना था कि संस्कृत के मंत्रों के उच्चारण मात्र से मनुष्य के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, बल्कि ज्ञान का एक खजाना है जो मानवता की बेहतरी के लिए प्राचीन काल से आज तक अडिग खड़ा है। उनके अनुसार, संस्कृत में निहित ज्ञान न केवल भारत की संस्कृति का आधार है, बल्कि यह समग्र मानवता के लिए उपयोगी है।

संस्कृत की महत्ता और इसकी चमत्कारी शक्तियाँ

राज्यपाल ने भारत की संस्कृति को समग्र रूप से प्रस्तुत किया। उनका कहना था कि भारत में जन्म लेना स्वयं भगवान का आशीर्वाद है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय संस्कृति ने संपूर्ण पृथ्वी को एक परिवार माना है और संस्कृत इसका अभिन्न हिस्सा है। संस्कृत न केवल हमारे धार्मिक ग्रंथों, मंत्रों और शास्त्रों की भाषा है, बल्कि यह हमारे जीवन के हर पहलू को समझने और समझाने का साधन है।

भारतीय संस्कृति और संस्कृत का संबंध

राज्यपाल ने युवा पीढ़ी की शक्ति को पहचानते हुए कहा कि किसी भी राष्ट्र के नवनिर्माण में युवाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की 65 प्रतिशत जनसंख्या युवा है, और यदि इन युवाओं को सही मार्गदर्शन और प्रोत्साहन मिले, तो वे दुनिया को बदल सकते हैं। युवाओं को संस्कृत के ज्ञान को समझने और उसे अपनी जीवनशैली में लागू करने की आवश्यकता है

युवाओं की भूमिका और संस्कृत का भविष्य

राज्यपाल ने संस्कृत के साहित्य को लेकर भी अपने विचार साझा किए। उनका कहना था कि संस्कृत न केवल एक भाषा है, बल्कि इसका साहित्य भी बहुत विशाल है। संस्कृत में असंख्य ग्रंथ आज भी उपलब्ध हैं, जो हमारे ऋषियों और मुनियों के दिव्य ज्ञान को दर्शाते हैं।

संस्कृत का साहित्य और प्राचीन ज्ञान

राज्यपाल ने कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों द्वारा अपनाए गए "नमस्कार" के महत्व पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि हाथ जोड़कर नमस्कार करने की प्रथा हम हजारों सालों से करते आ रहे हैं और यह संस्कृत की दिव्यता और स्वच्छता को दर्शाता है।

कोविड काल में संस्कृत के महत्व का एहसास

राज्यपाल ने उत्तराखण्ड की संस्कृति और संस्कृत के बीच के गहरे संबंध को भी उजागर किया। उनका कहना था कि उत्तराखण्ड में स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल जैसे बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री धाम संस्कृत के महत्व को दर्शाते हैं। उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है, जिसकी द्वितीय भाषा संस्कृत है। यह राज्य संस्कृत के प्रचार-प्रसार में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, लेकिन इसके विकास के लिए हमें और अधिक ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

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उत्तराखण्ड और संस्कृत का गहरा संबंध