हरिद्वार: उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार के संस्कृत विभाग द्वारा “वैदिक अध्ययन (Vedic Studies)- भारतीय ज्ञान परंपरा में” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन अत्यंत गरिमा एवं दिव्यता के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री के प्रेरणादायी व्याख्यान से हुआ। उन्होंने कहा कि वैदिक साहित्य भारतीय सभ्यता, संस्कृति और दर्शन का मूल स्रोत है, जो न केवल अध्यात्म बल्कि सामाजिक जीवन के संतुलन का भी आधार प्रदान करता है।
उन्होंने वेदों की चार प्रमुख शाखाओं — ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद — का संक्षिप्त परिचय देते हुए वेदांग, उपवेद और वेदान्त परंपरा को भारतीय ज्ञान परंपरा की अमूल्य धरोहर बताया। उन्होंने उपनिषदों के गूढ़ दार्शनिक विचारों और आश्रम व्यवस्था की सामाजिक उपयोगिता को वर्तमान युग में भी अत्यंत प्रासंगिक बताया। Vedic Studies
वेदों की सामाजिक चेतना और पारिवारिक समरसता Vedic Studies
डॉ. राज मंगल यादव ने वैदिक कालीन समाज, पारिवारिक व्यवस्था और गुरुकुल परंपरा पर सारगर्भित विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि वेदों में उल्लिखित पारिवारिक मूल्य, जैसे माता-पिता, भाई-बहन और पति-पत्नी के बीच मधुर संबंध, आज के समाज में पारस्परिक सौहार्द का सशक्त मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उन्होंने वेदों के शांति और समरसता के मंत्रों का उल्लेख करते हुए कहा:
“संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्”
“जाया पत्ये मधुमतीं वाचं वदतु शान्तिवाम्”
वेदों में विज्ञान के स्रोत: आधुनिकता की जड़ें प्राचीन भारत में
डॉ. ओमकार ने अपने व्याख्यान में कहा कि वैदिक वाङ्मय में न केवल दार्शनिक विचार बल्कि वैज्ञानिक विश्लेषण के भी स्पष्ट संकेत मिलते हैं। उन्होंने बताया कि वेदों में सौर ऊर्जा, जलशक्ति, रसायन शास्त्र और ऊर्जा परिवर्तन जैसे विषयों पर भी उल्लेख मिलता है, जो आधुनिक विज्ञान के सिद्धांतों से मेल खाते हैं।
व्यवस्थित आयोजन और पूर्ण सहभागिता
इस सारस्वत आयोजन का संयोजन संस्कृत विभाग की अध्यक्ष प्रो. जया तिवारी के सक्षम नेतृत्व में हुआ, जिनकी विद्वता और समर्पण ने इस आयोजन को विशेष सफलता दिलाई। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रदीप कुमार द्वारा अत्यंत कुशलता से किया गया और डॉ. सुषमा जोशी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
इस दो दिवसीय व्याख्यान में विभाग के प्रो. शालिम तबस्सुम, प्रो. शहराज अली, डॉ. लज्जा भट्ट, भावना काण्डपाल, किरन आर्या, अमर जोशी, भारती सुयाल, शोभा आर्या, सौरभ, यशपाल आर्या और जगदीश जैसे शिक्षक एवं शोधार्थियों का सराहनीय सहयोग रहा।
छात्रों की उत्साहपूर्ण उपस्थिति Vedic Studies
कार्यक्रम में बीए, बीएससी, बीकॉम (चतुर्थ सेमेस्टर) के लगभग 300 विद्यार्थियों की सक्रिय उपस्थिति रही। छात्रों ने वैदिक ज्ञान पर आधारित विषयों में गहरी रुचि दिखाई और विषय विशेषज्ञों से संवाद कर वैदिक परंपरा को आधुनिक संदर्भों में समझने का प्रयास किया।