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Uttarakhand soldier martyred हवलदार सत्ये सिंह बिष्ट: उत्तराखंड का एक और वीर जवान शहीद


Uttarakhand soldier martyred हवलदार सत्ये सिंह बिष्ट: उत्तराखंड का एक और वीर जवान शहीद

Uttarakhand soldier martyred : उत्तराखंड का वीर जवान हवलदार सत्ये सिंह बिष्ट, जो जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के तंगधार में पेट्रोलिंग के दौरान शहीद हो गए, उनकी शहादत ने पूरे राज्य को गर्व और दुख से भर दिया है। हवलदार सत्ये सिंह 17वीं गढ़वाल राइफल में तैनात थे और उन्होंने देश की सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। उनकी बहादुरी और बलिदान को नमन करते हुए, इस लेख में हम उनके जीवन, उनकी सेवाओं और उनके शौर्य को विस्तार से जानेंगे।

हवलदार सत्ये सिंह बिष्ट का परिचय

42 वर्षीय हवलदार सत्ये सिंह बिष्ट, पुत्र स्वर्गीय गोपाल सिंह बिष्ट, उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले के चंद्रबदनी खास पट्टी के ग्राम जुराना के मूल निवासी थे। सत्ये सिंह का परिवार पिछले सात वर्षों से अठुरवाला में रह रहा था। हवलदार सत्ये सिंह बिष्ट भारतीय सेना की 17वीं गढ़वाल राइफल्स में तैनात थे और अपनी यूनिट के साथ जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में पेट्रोलिंग के दौरान शहीद हो गए।

सैन्य जीवन और सेवाएं Uttarakhand soldier martyred 

सत्ये सिंह बिष्ट ने अपने सैन्य करियर की शुरुआत 17वीं गढ़वाल राइफल्स में की थी। उन्होंने अपने पूरे करियर में अद्वितीय साहस और समर्पण का परिचय दिया। उनकी भूमिका एक हवलदार और जेसीओ (जूनियर कमीशंड ऑफिसर) के रूप में रही, जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण ऑपरेशनों में हिस्सा लिया और अपने साथियों के साथ मिलकर देश की सुरक्षा में योगदान दिया। उनकी बहादुरी और अनुशासन ने उन्हें सेना में एक विशेष पहचान दिलाई।

शहादत का विवरण

हवलदार सत्ये सिंह बिष्ट कुपवाड़ा जिले के तंगधार क्षेत्र में पेट्रोलिंग कर रहे थे, जब उनकी यूनिट पर आतंकवादियों ने हमला किया। इस हमले में सत्ये सिंह बिष्ट ने वीरता का परिचय देते हुए आतंकवादियों का सामना किया और अपनी जान की परवाह किए बिना देश की सुरक्षा के लिए संघर्ष किया। दुर्भाग्यवश, इस हमले में वे शहीद हो गए। उनका बलिदान न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। Uttarakhand soldier martyred 

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परिजनों को मिली सूचना

शुक्रवार दोपहर को सेवा के अधिकारियों ने सत्ये सिंह बिष्ट के परिवार को उनके शहीद होने की सूचना दी। इस खबर से उनके परिवार और गांव में शोक की लहर दौड़ गई। सत्ये सिंह बिष्ट के पार्थिव शरीर को देहरादून एयरपोर्ट पर हेलिकॉप्टर के माध्यम से लाए जाने की संभावना जताई गई है। उनकी शहादत पर पूरा उत्तराखंड राज्य गर्व महसूस कर रहा है और उनके परिवार के साथ इस दुख की घड़ी में खड़ा है।

समाज और राष्ट्र की प्रतिक्रिया

हवलदार सत्ये सिंह बिष्ट की शहादत पर पूरे राज्य और देशभर में शोक और गर्व का माहौल है। विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने उनके बलिदान को नमन किया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, विभिन्न मंत्रियों, और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने सत्ये सिंह बिष्ट के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है। उनके बलिदान को याद करते हुए, कई संगठनों ने उनकी याद में विशेष कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है।

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शहीदों की परंपरा

उत्तराखंड की भूमि हमेशा से वीर जवानों की भूमि रही है। यहां के कई जवानों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। सत्ये सिंह बिष्ट की शहादत इस परंपरा का एक और उदाहरण है। उनके बलिदान ने इस बात को और भी पुख्ता कर दिया है कि उत्तराखंड के जवान किसी भी स्थिति में देश की रक्षा के लिए तैयार रहते हैं।

हवलदार सत्ये सिंह बिष्ट की विरासत

सत्ये सिंह बिष्ट की शहादत से उनकी विरासत और भी मजबूत हो गई है। उनके बलिदान को याद करते हुए, नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी और वे भी देश की सेवा के लिए तत्पर रहेंगे। उनकी वीरता और साहस की कहानियाँ उनके गांव और राज्य में सदियों तक गूंजेंगी। उनके परिवार, दोस्तों और साथियों को उनके बलिदान पर गर्व है और वे हमेशा उनके यादों को संजोए रखेंगे।

Uttarakhand soldier martyred 

हवलदार सत्ये सिंह बिष्ट की शहादत ने हमें एक बार फिर यह याद दिलाया है कि देश की सुरक्षा के लिए हमारे जवान किसी भी स्थिति में अपने प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार रहते हैं। उनकी वीरता और साहस को नमन करते हुए, हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम उनके बलिदान को कभी नहीं भूलेंगे और हमेशा उनके परिवार के साथ खड़े रहेंगे। सत्ये सिंह बिष्ट का बलिदान उनके परिवार, गांव, राज्य और पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। उनकी आत्मा को शांति मिले और उनका बलिदान हमेशा हमें प्रेरित करता रहे।


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