नैनीताल: देहरादून स्थित उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (Uttarakhand Lok Seva Aayog) द्वारा हाल ही में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों के लिए आयोजित चयन प्रक्रिया में डीएसबी परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग के तीन शोधार्थियों का चयन हुआ है। डॉ. दिनेश गिरी, डॉ. प्रतिभा ग्वाल और प्रभा इन शोधार्थियों में शामिल हैं, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से यह उपलब्धि प्राप्त की है। यह सफलता न केवल इन छात्रों के लिए, बल्कि विभाग और विश्वविद्यालय के लिए भी गर्व का विषय है।
डॉ. दिनेश गिरी की सफलता:
डॉ. दिनेश गिरी ने अपनी पीएचडी की डिग्री डॉ. सुषमा टम्टा के निर्देशन में पूरी की, जबकि उन्होंने प्रॉफेसर ललित तिवारी के मार्गदर्शन में एम फिल किया। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने उन्हें इस प्रतिष्ठित चयन में सबसे अधिक अंक प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाया। डॉ. गिरी वर्तमान में एक इंटर कॉलेज में प्रवक्ता के रूप में कार्यरत हैं और उनके लिए यह सफलता उनके शैक्षिक करियर का महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है। उनकी सफलता से यह साबित होता है कि अगर किसी में लगन और परिश्रम हो, तो वह किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकता है।
डॉ. प्रतिभा ग्वाल की उपलब्धि: Uttarakhand Lok Seva Aayog
डॉ. प्रतिभा ग्वाल ने अपनी पीएचडी प्रॉफेसर वाई एस रावत के निर्देशन में पूरी की, जबकि डॉ. नीलू लोधियाल उनके सह-निर्देशक थे। दोनों शोधार्थियों ने डीएसबी परिसर से मास्क बॉटनी (उच्च वनस्पति विज्ञान) में अपनी शिक्षा पूरी की। डॉ. ग्वाल वर्तमान में पिथौरागढ़ परिसर में असिस्टेंट प्रोफेसर (कॉंट्रैक्ट) के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने अपनी मेहनत और निरंतरता से यह महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है और यह उनके जीवन का एक नया अध्याय है।
डॉ. ग्वाल ने हाल ही में नेट (नेट) परीक्षा भी पास की है, जो उनकी विद्वत्ता और कड़ी मेहनत को दर्शाता है। उनका यह चयन उनके क्षेत्र में उत्कृष्टता को पहचान दिलाने वाला है और उन्होंने विभाग का नाम रोशन किया है।
प्रभा की सफलता:
इसके अतिरिक्त, प्रभा का भी चयन असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हुआ है। प्रभा ने अपने शोध में उत्कृष्टता प्राप्त की और विभाग में अपने योगदान के लिए पहचानी गई। उनके चयन से यह साबित होता है कि डीएसबी परिसर का वनस्पति विज्ञान विभाग अपने छात्रों को उच्च शिक्षा और शोध में उत्कृष्टता की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
डीएसबी परिसर के शैक्षिक वातावरण का योगदान:
डीएसबी परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग का शैक्षिक वातावरण हमेशा से ही छात्रों के लिए प्रेरणास्त्रोत रहा है। इस विभाग में अध्ययन कर रहे छात्रों को हमेशा एक सकारात्मक और प्रोत्साहक वातावरण मिलता है, जो उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। विभाग के उत्कृष्ट मार्गदर्शन, शोध और अध्यापन के कारण ही ये शोधार्थी आज इस प्रतिष्ठित पद पर चयनित हुए हैं।
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विभाग और विश्वविद्यालय के शिक्षकगण का योगदान:
डीएसबी परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग के निदेशक प्रो. नीता बोरा, डीन प्रो. चित्रा पांडे, विभागाध्यक्ष प्रो. ललित तिवारी, प्रो. एस. एस. बरगलि, प्रो. किरण बरगलि, प्रो. सुषमा टम्टा, प्रो. अनिल बिष्ट, और प्रो. नीलू लोधियाल सहित सभी शिक्षकगण ने इन शोधार्थियों के कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके मार्गदर्शन और समर्थन से ही इन छात्रों ने अपने शोध में सफलता प्राप्त की है।
इसके साथ ही, कुमाऊं विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा) और उत्तराखंड विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (यूटा) के अध्यक्ष प्रो. ललित तिवारी, महासचिव डॉ. विजय कुमार, डॉ. दीपाक्षी जोशी, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. दीपक कुमार, डॉ. दीपिका पंत, डॉ. सीमा चौहान, डॉ. पैनी जोशी ने भी इन शोधार्थियों की सफलता पर खुशी व्यक्त की और उन्हें बधाई दी। उनका कहना है कि इस तरह की सफलता से न केवल इन शोधार्थियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि यह अन्य विद्यार्थियों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
समाज और विश्वविद्यालय का गौरव: Uttarakhand Lok Seva Aayog
इस सफलता से न केवल डीएसबी परिसर, बल्कि कुमाऊं विश्वविद्यालय और उत्तराखंड राज्य का नाम भी रोशन हुआ है। जब किसी संस्थान के छात्र उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं, तो यह उस संस्थान की गुणवत्ता और शैक्षिक क्षमता को प्रमाणित करता है। इन शोधार्थियों की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि डीएसबी परिसर में शैक्षिक उत्कृष्टता की कोई कमी नहीं है।
Uttarakhand Lok Seva Aayog
इस सफलता के बाद, इन शोधार्थियों के लिए नई जिम्मेदारियां और अवसर खुल गए हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर उनकी नियुक्ति उनके शोध कार्यों को और अधिक गहराई और विस्तार देने का अवसर प्रदान करेगी। साथ ही, उनका योगदान शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक सिद्ध होगा।
कुल मिलाकर, डीएसबी परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग के शोधार्थियों का चयन असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर एक प्रेरणादायक उदाहरण है जो यह दर्शाता है कि सही मार्गदर्शन, मेहनत, और समर्पण से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। विभाग और विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकगण और प्रबंधन को इस उपलब्धि पर गर्व है और वे आशा करते हैं कि आने वाले समय में भी इस तरह की उपलब्धियों का सिलसिला जारी रहेगा।