उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा, और प्राकृतिक संपदा का आकर्षण प्रवासी उत्तराखंडियों को सदैव अपनी मातृभूमि से जोड़े रखता है। हाल ही में, उत्तराखंड मूल के प्रवासियों द्वारा राज्य के गांवों को गोद लेने की एक नई और प्रेरणादायक पहल देखने को मिली है। इस प्रयास ने न केवल गांवों के विकास को गति दी है, बल्कि प्रवासियों और उनके मूल स्थान के बीच एक मजबूत रिश्ता भी स्थापित किया है।
राज्य सरकार के इस अभिनव प्रयास में प्रवासियों के उत्साह और भागीदारी को देखते हुए, मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने सभी जिलाधिकारियों को गांवों के विकास कार्यों में प्रवासियों को सहयोग करने और इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए निर्देश जारी किए हैं।
प्रवासी पहल और प्रशासनिक सहयोग प्रवासी उत्तराखंडियों
मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि हर जिले में प्रवासियों के साथ समन्वय हेतु एक-एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए। प्रवासियों द्वारा गोद लिए गए गांवों में विकास कार्यों को उनकी इच्छा और रुचि के अनुसार प्रोत्साहन दिया जाएगा। प्रवासी उत्तराखंडियों
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रवासियों के आवेदनों को सकारात्मकता से लिया जाए और प्रशासन पूरी उदारता व सहयोग के साथ कार्य करे। साथ ही, प्रशासन को प्रवासियों को तकनीकी मार्गदर्शन और आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए भी तत्पर रहने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रवासियों के योगदान की प्रेरणादायक कहानियां प्रवासी उत्तराखंडियों
उत्तराखंड मूल के प्रवासी देश और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से अपने गांवों के विकास में योगदान दे रहे हैं। ये पहल न केवल गांवों के बुनियादी ढांचे को सुधार रही है, बल्कि स्थानीय युवाओं को भी नई संभावनाओं से जोड़ रही है।
1. अमेरिका से श्री शैलेश उप्रेती
श्री शैलेश उप्रेती, अल्मोड़ा के मानन गांव को गोद ले रहे हैं। आईआईटी दिल्ली से पीएचडी स्कॉलर श्री उप्रेती एनर्जी फ्रंटियर रिसर्च सेंटर के सदस्य और सी4वी के अध्यक्ष हैं। उनका उद्देश्य अल्मोड़ा में एक मॉडल एनर्जी स्टोरेज सेंटर स्थापित करना है। इसके साथ ही वे अपना इंडिया कॉरपोरेट ऑफिस खोलने की योजना बना रहे हैं।
2. यूनाइटेड किंगडम से श्रीमती नीतू अधिकारी प्रवासी उत्तराखंडियों
श्रीमती नीतू अधिकारी नैनीताल के एक्वा तोक जंगलिया गांव को गोद ले रही हैं। वे पर्यटन व्यवसाय से जुड़ी हैं और गांव में कीवी की खेती और योग केंद्र स्थापित करने की योजना बना रही हैं। इसके अलावा, वे देहरादून के सभावाला में कौशल विकास पर भी कार्य करेंगी।
3. चीन से श्री देव रतूड़ी
श्री देव रतूड़ी, जो एक सफल उद्यमी, समाजसेवी, और अभिनेता हैं, ने टिहरी के सुनार और केमरिया गांवों को गोद लिया है। उन्होंने इन गांवों में सोलर लाइट, सामुदायिक सुविधाओं का विकास किया और युवाओं को चीन में रोजगार दिलाने की पहल की।
4. दुबई से श्री विनोद जेथूरी
श्री विनोद जेथूरी, दुबई में निवासरत प्रतिष्ठित शिक्षाविद और समाजसेवी, उत्तरकाशी के ओसला गांव को गोद ले रहे हैं। वे कौशल विकास और सामाजिक आर्थिक सुधारों पर कार्य कर रहे हैं।
5. दुबई से श्री गिरीश पंत
श्री गिरीश पंत, जिन्हें भारत सरकार द्वारा प्रवासी भारतीय सम्मान मिल चुका है, पिथौरागढ़ के बजेट, बरशायत और बेरीनाग गांवों को गोद ले रहे हैं। वे यहां शिक्षा, कंप्यूटर शिक्षा, और स्थानीय उत्पादों के प्रोत्साहन के लिए कार्य कर रहे हैं।
6. थाईलैंड से डॉ. ए. के. काला
डॉ. काला पौड़ी के फण्दाई गांव को गोद ले रहे हैं। वे शिक्षा और स्थानीय उत्पादों के क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं।
भारत के विभिन्न हिस्सों से प्रवासियों की पहल
1. दिल्ली से श्री बी. पी. अंथवाल
श्री अंथवाल टिहरी के मंजेरी और मुयाल गांवों को गोद ले रहे हैं। वे यहां तेजपात, रोज, लेमनग्रास, और मसालों की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।
2. लखनऊ से श्री एम. पी. भट्ट
कृषि उद्यमी श्री भट्ट टिहरी के झौन और भदरसू गांवों में अदरक, हल्दी, और लेमन की खेती को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
3. अहमदाबाद से डॉ. वीरेंद्र रावत
डॉ. रावत प्रताप नगर के हेरवाल गांव को ग्रीन विलेज के रूप में विकसित करने की योजना बना रहे हैं।
4. बैंगलोर से श्री प्रदीप सती
श्री प्रदीप सती अल्मोड़ा के हानड गांव में ईको टूरिज्म और संतरे व सेब की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।
5. मुंबई से श्रीमती हिमानी शिवपुरी
प्रसिद्ध अभिनेत्री श्रीमती हिमानी शिवपुरी भटवाड़ी गांव को गोद लेकर पर्यावरण संरक्षण और आजीविका सुधार पर कार्य कर रही हैं।
प्रशासनिक दिशा-निर्देश
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे प्रवासियों की विशेषज्ञता और संसाधनों का उपयोग करके गांवों के विकास की योजनाओं को सफल बनाएं। प्रत्येक जिले में प्रवासियों से संपर्क के लिए डेटाबेस तैयार करने और ग्रामीण समुदायों को योजनाओं में जोड़ने पर जोर दिया गया है।
प्रवासी उत्तराखंडियों
उत्तराखंड के प्रवासी अपने गांवों के विकास के लिए जिस उत्साह और समर्पण से कार्य कर रहे हैं, वह राज्य के भविष्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है। प्रवासियों की इस पहल से न केवल गांवों का विकास होगा, बल्कि उनकी परंपराओं, संस्कृति, और विरासत का संरक्षण भी सुनिश्चित होगा। उत्तराखंड सरकार की यह पहल देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती है।