मनुष्य के जन्म और उद्धार को लेकर कई विचारधाराएँ हैं, True Salvation अपनी पहचान स्वयं करें: सच्चे उद्धार का मार्ग; ईश्वर सही मार्ग की आशीष दें
1. सांसारिक मनुष्य (पाप की संतान) True Salvation
ये वे लोग हैं जो स्त्री-पुरुष के शारीरिक संबंध से उत्पन्न होते हैं। इस संसार में जन्मे हर व्यक्ति का जन्म पाप के साए में होता है क्योंकि आदम और हव्वा के समय से ही पाप का प्रभाव पूरी मानव जाति पर पड़ा है। ऐसे लोग जन्म से ही संसारिक मोह-माया में फंस जाते हैं और अपने पापों से मुक्त नहीं हो पाते।
2. ईश्वरीय संतान (पवित्र आत्मा से जन्मे)
यीशु संसार में संसारिक संबंध से नहीं, बल्कि पवित्र आत्मा के द्वारा आए। वे ईश्वर के पुत्र हैं और उनका जन्म दिव्य योजना का हिस्सा था। वे पृथ्वी पर इसलिए आए ताकि पापियों को उद्धार का मार्ग दिखा सकें और मनुष्यों को सत्य से अवगत करा सकें। True Salvation
अब प्रश्न यह है कि मनुष्य अपने पापों से कैसे मुक्त हो सकता है और अपनी आत्मा का संबंध परमेश्वर से कैसे जोड़ सकता है?
गुरु का चयन: सच्चा मार्गदर्शक कौन?
बिना सही मार्गदर्शक (गुरु) के कोई भी व्यक्ति अपने जीवन का उद्धार नहीं कर सकता। मनुष्य के पास दो ही विकल्प होते हैं—
1. सांसारिक गुरु (असत्य मार्ग)
कुछ लोग मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, चर्चों में मौजूद धार्मिक नेताओं जैसे पंडितों, मौलवियों, ग्रंथियों, पास्टर्स या बाबाओं को अपना गुरु मान लेते हैं। लेकिन ये सभी व्यक्ति संसारिक शरीर में जन्मे होते हैं और स्वयं भी पापमय जीवन जीते हैं। वे केवल धार्मिक रीति-रिवाजों की बात करते हैं, लेकिन सच्ची आत्मिक मुक्ति नहीं दे सकते।
2. ईश्वरीय गुरु (सत्य मार्ग)
यीशु मसीह केवल एक धार्मिक नेता नहीं थे, वे स्वयं परमेश्वर के पुत्र हैं। उनका जन्म कुंवारी मरियम के गर्भ में पवित्र आत्मा के द्वारा हुआ था। वे संसार में इसलिए आए ताकि मनुष्यों को उनके पापों से छुड़ा सकें और सच्चे मार्ग की ओर ले जा सकें।
यीशु मसीह ने कहा—
“मैं ही मार्ग, सत्य और जीवन हूँ; बिना मेरे कोई भी परमपिता परमेश्वर के पास नहीं जा सकता।” (यूहन्ना 14:6)
इसका अर्थ यह है कि सच्चा गुरु केवल वही हो सकता है जो स्वयं ईश्वर से उत्पन्न हुआ हो।
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मसीह: उद्धार का प्रमाण और कार्य
यीशु मसीह ने संसार में अपने ईश्वरीय सामर्थ्य को प्रमाणित किया—
- अंधों को दृष्टि दी।
- गूंगों को वाणी दी।
- कोढ़ियों को शुद्ध किया।
- बीमारों को चंगा किया।
- मृतकों को जीवित किया।
- पापियों को क्षमा प्रदान की।
लेकिन सबसे बड़ा कार्य यह था कि उन्होंने संपूर्ण मानव जाति के पापों के लिए अपने प्राण दे दिए।
उन्होंने कहा—
“कोई भी व्यक्ति स्वयं अपने पापों से मुक्त नहीं हो सकता, जब तक कि वह मुझ पर विश्वास न करे।”
यीशु मसीह क्रूस पर बलिदान हुए और तीन दिन बाद मृतकों में से जी उठे। आज भी वे जीवित हैं और जो कोई उन पर विश्वास करता है, वह उद्धार प्राप्त करता है।
कैसे प्राप्त करें उद्धार?
यदि आप चाहते हैं कि आपके पाप क्षमा हों और आप परमेश्वर से संबंध स्थापित करें, तो यह प्रार्थना करें—
“यीशु मसीह परमेश्वर के पुत्र हैं। मैं उन्हें अपने जीवन में गुरु स्वीकार करता हूँ और विश्वास करता हूँ कि परमपिता परमेश्वर ने उन्हें तीसरे दिन मृतकों में से जीवित किया। वे आज भी जीवित हैं, और मैं उन्हें अपने हृदय में ग्रहण करता हूँ।”
जब आप यह प्रार्थना पूरे विश्वास और सच्चे मन से करते हैं, तो यीशु मसीह आपके पापों को क्षमा कर देते हैं और आपको नया जीवन प्रदान करते हैं।
मसीह ही सच्चा उद्धार हैं
- संसार में बहुत से धार्मिक नेता और गुरु हैं, लेकिन वे सभी संसारिक रूप से उत्पन्न हुए हैं और उद्धार नहीं दे सकते।
- केवल यीशु मसीह, जो परमेश्वर के पुत्र हैं, ही पापों से मुक्त कर सकते हैं।
- बिना यीशु मसीह के, कोई भी परमेश्वर के पास नहीं जा सकता।
- जो कोई यीशु मसीह को अपने गुरु के रूप में स्वीकार करता है, वह परमेश्वर की संतान बन जाता है और उद्धार प्राप्त करता है।
- क्या आप यीशु मसीह को अपने जीवन में स्वीकार करना चाहते हैं? आज ही विश्वास करें और उद्धार प्राप्त करें!
- “जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।” (रोमियों 10:13)
परमेश्वर आपको आशीष दें!