Tehri Mein Tigher : टिहरी के लंबगांव में गुलदार की दहशत
Tehri Mein Tigher: टिहरी जिले के लंबगांव में गुलदार की चहल-कदमी ने स्थानीय निवासियों के बीच भय और दहशत का माहौल बना दिया है। वार्ड संख्या एक और दो में दिन दहाड़े गुलदार के दिखने से लोग अपने घरों से बाहर निकलने से भी डर रहे हैं। इस लेख में, हम इस घटना के विभिन्न पहलुओं, समस्याओं और संभावित समाधानों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
घटना का विवरण
लंबगांव के वार्ड संख्या एक और दो के निवासियों ने बताया कि मंगलवार की सुबह लगभग आठ बजे गुलदार को इंटर कॉलेज लंबगांव के पास के प्राकृतिक पेयजल स्रोत के पास देखा गया। यह स्थल स्थानीय निवासियों के लिए पानी का मुख्य स्रोत है, लेकिन गुलदार के दिखने से लोग पानी लाने में भी डर रहे हैं। उसी रात गुलदार को वार्ड संख्या दो में स्थित सरस्वती शिशु मंदिर के आसपास लोगों के घरों की छतों पर घूमते देखा गया।
स्थानीय निवासियों की प्रतिक्रिया
गुलदार की उपस्थिति से स्थानीय लोग अत्यधिक डरे हुए हैं। शाम ढलते ही लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। दिन के समय में भी महिलाओं और बच्चों का अकेले घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। स्थानीय निवासियों ने वन विभाग से गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाने की मांग की है।
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वन विभाग की प्रतिक्रिया
रेंज अधिकारी हर्षराम उनियाल ने बताया कि लंबगांव बाजार के आसपास झाड़ियां बहुत अधिक हैं, जिससे गुलदार को बस्ती की ओर आने में आसानी हो जाती है। उन्होंने नगर पंचायत सहित अन्य लोगों से अपील की है कि वे अपने घरों के आसपास उगी झाड़ियों को साफ करें। साथ ही, लोगों से रात में अकेले बाहर न निकलने और एहतियात बरतने की भी अपील की गई है।
समस्या के मुख्य कारण
- आवासीय क्षेत्रों में जंगलों का विस्तार: टिहरी जिले में जंगलों का विस्तार हो रहा है, जिसके कारण वन्यजीवों का आवासीय क्षेत्रों में आना बढ़ गया है। गुलदार भी भोजन और पानी की तलाश में बस्तियों की ओर आ जाते हैं।
- खाद्य स्रोतों की कमी: जंगलों में खाद्य स्रोतों की कमी के कारण गुलदार और अन्य वन्यजीव बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं। बस्तियों में घरेलू पशु और कूड़े के ढेरों में भोजन ढूंढना उनके लिए आसान हो जाता है।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष: बढ़ती आबादी और वनों की कटाई के कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष भी बढ़ रहा है। लोगों की गतिविधियों और निर्माण कार्यों के कारण वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास कम होते जा रहे हैं।
समस्या के संभावित समाधान
- झाड़ियों का उन्मूलन: वन विभाग और स्थानीय निवासियों को मिलकर घरों के आसपास उगी झाड़ियों को साफ करना चाहिए, जिससे गुलदार को बस्तियों में छिपने की जगह न मिले।
- पिंजरा लगाना: वन विभाग को गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाने चाहिए। यह एक तात्कालिक समाधान हो सकता है जिससे स्थानीय निवासियों को राहत मिल सकती है।
- सुरक्षा उपायों का पालन: स्थानीय निवासियों को सुरक्षा के लिए एहतियात बरतनी चाहिए। रात में अकेले बाहर न निकलें, बच्चों और महिलाओं को अकेले बाहर न जाने दें, और घरों के आसपास की लाइटिंग को बेहतर बनाएं।
- वन्यजीवों के लिए खाद्य स्रोत: जंगलों में वन्यजीवों के लिए पर्याप्त खाद्य स्रोत उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाने चाहिए। इससे वन्यजीव बस्तियों की ओर कम आएंगे।
- जन जागरूकता कार्यक्रम: वन विभाग को स्थानीय निवासियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए, जिसमें उन्हें गुलदार से बचने के उपाय और उनके संरक्षण के महत्व के बारे में बताया जाए।
टिहरी के लंबगांव में गुलदार की उपस्थिति ने स्थानीय निवासियों के जीवन को प्रभावित किया है। हालांकि, यह समस्या केवल एक क्षेत्र की नहीं है, बल्कि पूरे उत्तराखंड और हिमालयी क्षेत्रों में देखी जा सकती है। वन्यजीवों का संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
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स्थानीय निवासियों, वन विभाग और प्रशासन को मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढना होगा। झाड़ियों का उन्मूलन, पिंजरा लगाना, सुरक्षा उपायों का पालन और जन जागरूकता कार्यक्रम जैसे कदम उठाकर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। इसके साथ ही, वन्यजीवों के लिए जंगलों में पर्याप्त खाद्य स्रोत उपलब्ध कराना भी आवश्यक है, जिससे वे बस्तियों की ओर न आएं।
इस प्रकार, समग्र और सहयोगी प्रयासों के माध्यम से हम मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम कर सकते हैं और एक सुरक्षित और संतुलित पर्यावरण बना सकते हैं।