प्रेम, शांति, और एकत्व का संगम Teen Divasiy Samagam
Teen Divasiy Samagam: हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी निरंकारी परिवार का 77वां वार्षिक संत समागम 16 से 18 नवंबर 2024 को समालखा, हरियाणा में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की कृपा से आयोजित होने जा रहा है। यह समागम न केवल आध्यात्मिक चेतना का केंद्र है, बल्कि प्रेम, शांति, और भाईचारे का संदेश लेकर आता है। धर्म, जाति, भाषा और आर्थिक स्थिति से ऊपर उठकर लाखों श्रद्धालु इस महासंगम में शामिल होते हैं, जो मानवता के कल्याण और सकारात्मकता का प्रतीक है।
विषय: ‘विस्तार, असीम की ओर’ Teen Divasiy Samagam
इस वर्ष समागम का विषय सतगुरु माता जी ने ‘विस्तार, असीम की ओर’ रखा है, जो सीमाओं से परे जाकर प्रेम और सेवा के विस्तार को प्रोत्साहित करता है। यह संदेश केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज और पूरी मानवता के कल्याण की ओर संकेत करता है। Teen Divasiy Samagam
भव्य आयोजन के लिए सेवाकार्य
समागम के सफल आयोजन के लिए निरंकारी भक्त महीनों पहले से सेवाएं आरंभ कर देते हैं। देश-विदेश से आए सेवादार समर्पण भाव से हर छोटी-बड़ी तैयारी में जुटे रहते हैं। सुबह से रात तक सेवाओं का सिलसिला चलता है, जिसमें युवा, वृद्ध, स्त्री-पुरुष सभी एकजुट होकर काम करते हैं। कहीं भूमि समतल की जा रही है, तो कहीं टेंट और लंगर की व्यवस्थाएं की जा रही हैं। सेवादारों के चेहरों पर संतोष और समर्पण की आभा स्पष्ट दिखाई देती है।
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सेवा में आत्मिक आनंद
सेवादार अपने कार्य को केवल कर्तव्य नहीं, बल्कि आध्यात्मिक सेवा मानते हैं। मिट्टी के तसले उठाते हुए उनके होंठों पर भक्ति गीत होते हैं, जो उनकी आस्था को प्रकट करते हैं। सेवा के दौरान जब सतगुरु माता जी के दर्शन होते हैं, तो उनके हर्ष और आनंद की पराकाष्ठा देखने लायक होती है। वह क्षण मानो स्वर्गीय अनुभव लेकर आता है, जब भक्त नाचने और गाने लगते हैं। यह वही क्षण होता है, जिसका वे पूरे वर्ष इंतजार करते हैं।
आयोजन की व्यवस्थाएं: एक भक्तिमय नगर का निर्माण
समागम स्थल को एक भक्तिमय नगर के रूप में तैयार किया जा रहा है। श्री जोगिंदर सुखीजा, जो समागम के समन्वयक हैं, बताते हैं कि श्रद्धालुओं के ठहरने, भोजन, स्वच्छता, स्वास्थ्य, और सुरक्षा की सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चल रही हैं। राज्य प्रशासन का भी हर प्रकार का सहयोग प्राप्त है, जिससे समागम के सभी वैधानिक पहलुओं का ध्यान रखा जा रहा है। Teen Divasiy Samagam
लंगर, कैंटीन, और प्रकाशन केंद्र जैसे कई महत्वपूर्ण सेवाएं निरंतर चल रही हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए सुविधा और आत्मीयता का अनुभव कराती हैं। इस आयोजन का हर पहलू केवल भौतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता से जुड़ा है। सभी एक-दूसरे में ईश्वर का रूप देखते हुए आदरपूर्वक ‘धन निरंकार जी’ कहते हैं, जिससे प्रेम और विनम्रता की भावना जीवंत होती है।
सत्संग: भक्ति और विचारों का प्रवाह
तीन दिवसीय समागम में गीत, कविता, और विचारों के माध्यम से श्रद्धालु अपने भाव प्रकट करेंगे। सतगुरु माता जी और निरंकारी राजपिता जी के प्रेरणादायक प्रवचन इस समागम की प्रमुख विशेषता होंगे। ये प्रवचन जीवन में संतुलन, प्रेम, और सद्भाव की शिक्षा देते हैं। यह आयोजन संतों और महापुरुषों के समय-समय पर दिए गए संदेशों का अनुसरण है, जो मानवता को सही दिशा दिखाते हैं।
प्रेम और एकता का संदेश
यह समागम मानवता के लिए प्रेम, शांति, और एकता का आदर्श प्रस्तुत करता है। हर आयु और पृष्ठभूमि के लोग यहाँ मिलकर सेवा करते हैं, जिससे जाति, धर्म, और प्रांत के भेदभाव समाप्त हो जाते हैं। यह आयोजन जीवन में सच्चे प्रेम और निस्वार्थ सेवा का महत्व सिखाता है, जो समर्पण और त्याग की भावना को बढ़ावा देता है।
असीम की ओर: समर्पण और विस्तार का संदेश
समागम का विषय ‘विस्तार, असीम की ओर’ हमें यह प्रेरणा देता है कि हमें न केवल भौतिक जीवन में, बल्कि आत्मिक स्तर पर भी विस्तार करना चाहिए। सीमाओं से परे जाकर हर इंसान के प्रति प्रेम और दया का भाव रखना ही जीवन का सच्चा उद्देश्य है। यह संदेश जीवन को अधिक अर्थपूर्ण बनाता है और हमें आत्म-विकास की दिशा में प्रेरित करता है। Teen Divasiy Samagam
Pram Atma: परमानन्द! परमात्मा की आत्मा का स्वरूप: शांति, आनंद, और मुक्ति का मार्ग
निरंकारी संत समागम केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि प्रेम और मानवता का महोत्सव है। यहाँ हर धर्म और संस्कृति के लोग बिना भेदभाव के एकजुट होकर सेवा, सुमिरण, और सत्संग करते हैं। यह आयोजन हमें सिखाता है कि सच्चा सुख केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं, बल्कि निस्वार्थ प्रेम और सेवा में है।
यह समागम हमें जीवन में सही दिशा दिखाने का कार्य करता है और बताता है कि प्रेम और सेवा का विस्तार ही मानवता का सर्वोच्च उद्देश्य है। ऐसे दिव्य संगम में सम्मिलित होकर हम सभी अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं और मानवता के कल्याण के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं। Teen Divasiy Samagam