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Take home Ration: टेक होम राशन- असंगठित क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य: एक महत्वपूर्ण अभियान

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Take home ration and promotion of millets: असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा और उनके स्वास्थ्य के लिए भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा समय-समय पर कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं और उनके पोषण का ध्यान रखा जाता है। हाल ही में उत्तराखंड राज्य की मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने प्रदेशभर में असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत गर्भवती महिलाओं के लिए एक विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है। यह अभियान प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) के तहत असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाली गर्भवती महिलाओं को पंजीकृत करने के लिए है, ताकि वे सरकार की योजनाओं का लाभ उठा सकें।

अभियान का उद्देश्य take home ration

मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने महिला एवं बाल विकास विभाग को 4 अक्टूबर से अगले 15 दिनों तक चलने वाले इस विशेष अभियान को निर्देशित किया है। इसका प्रमुख उद्देश्य असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत गर्भवती महिलाओं, निर्माण स्थलों में काम करने वाली महिला श्रमिकों, घरेलू नौकरों के रूप में कार्यरत महिलाओं और शहरी मलिन बस्तियों में निवासरत गर्भवती महिलाओं को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अंतर्गत पंजीकृत कराना है। पीएमएमवीवाई एक केंद्र सरकार की योजना है जिसका उद्देश्य गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। यह योजना विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए है जो असंगठित क्षेत्र में काम करती हैं और जिन्हें गर्भावस्था के दौरान आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। take home ration

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इस योजना के अंतर्गत सरकार गर्भवती महिलाओं को उनके पहले जीवित बच्चे के जन्म पर 5,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करती है, जिससे उनकी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बेहतर हो सके और उन्हें आवश्यक पोषण मिल सके। take home ration

असंगठित क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं की चुनौतियाँ

असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाली गर्भवती महिलाओं को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें से प्रमुख चुनौतियाँ हैं:

  1. स्वास्थ्य सेवाओं की कमी: असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त करने में कठिनाइयाँ होती हैं। कई बार ये महिलाएँ आर्थिक रूप से इतनी सशक्त नहीं होतीं कि वे निजी अस्पतालों या चिकित्सकीय सेवाओं का लाभ उठा सकें।
  2. कुपोषण और कमजोर स्वास्थ्य: गर्भवती महिलाओं में कुपोषण एक बड़ी समस्या है, खासकर असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं के बीच। उचित पोषण न मिलने के कारण उनके और उनके बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
  3. मातृ मृत्यु दर: असंगठित क्षेत्रों में मातृ मृत्यु दर अधिक होती है, क्योंकि वहाँ स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता और वित्तीय सहायता की कमी होती है। सरकार की योजनाओं के बावजूद, कई महिलाएँ इन सुविधाओं से अछूती रह जाती हैं।
  4. अशिक्षा और जागरूकता की कमी: अशिक्षा और जानकारी की कमी के कारण गर्भवती महिलाएँ विभिन्न सरकारी योजनाओं और स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने में असमर्थ होती हैं।

इन समस्याओं को देखते हुए यह जरूरी हो जाता है कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों और योजनाओं का पूर्ण लाभ असंगठित क्षेत्रों की महिलाओं तक पहुंचे।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) की महत्ता

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) के तहत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, ताकि वे गर्भावस्था के दौरान उचित पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सकें। योजना के तहत तीन किस्तों में 5,000 रुपये दिए जाते हैं:

  1. पहली किस्त: गर्भवती महिला का पंजीकरण होने के बाद, 1,000 रुपये दिए जाते हैं।
  2. दूसरी किस्त: गर्भावस्था के दौरान कम से कम एक एएनसी (एंटीनेटल चेकअप) करवा लेने पर 2,000 रुपये की राशि दी जाती है।
  3. तीसरी किस्त: बच्चे के जन्म और उसके पहले टीकाकरण के बाद, शेष 2,000 रुपये प्रदान किए जाते हैं।

इस योजना का उद्देश्य न केवल महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, बल्कि गर्भावस्था के दौरान उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखना और नवजात शिशु की उचित देखभाल सुनिश्चित करना भी है।

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श्रम विभाग और ईएसआई की समीक्षा

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने श्रम विभाग को कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) की समीक्षा करने का निर्देश दिया है। ईएसआई योजना के अंतर्गत श्रमिकों को चिकित्सा सुविधाएँ और वित्तीय सुरक्षा प्रदान की जाती है। यह योजना विशेष रूप से औद्योगिक और निर्माण क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिकों के लिए महत्वपूर्ण है। इस योजना का उद्देश्य श्रमिकों और उनके परिवारों को स्वास्थ्य सेवाओं और बीमा का लाभ प्रदान करना है, ताकि वे किसी भी आकस्मिक स्थिति में वित्तीय संकट से बच सकें।

इसके साथ ही, मुख्य सचिव ने शहरी विकास सचिव को निर्देश दिए हैं कि शहरी निकायों में काम करने वाले विशेष रूप से कम आय वर्ग के कर्मचारियों और सफाई कर्मचारियों के लिए ईएसआई कवरेज सुनिश्चित किया जाए।

गर्भवती महिलाओं की देखभाल और कुपोषण की समस्या

मुख्य सचिव ने महिला एवं बाल विकास विभाग को निर्देश दिया है कि एएनएम द्वारा सभी गर्भवती महिलाओं की तीन एएनसी (एंटीनेटल चेकअप) अनिवार्य रूप से करवाई जाए। इसके साथ ही, गर्भवती महिलाओं की प्रसव के दौरान होने वाली मृत्यु का अनिवार्य रूप से डेथ ऑडिट किया जाए। इससे गर्भवती महिलाओं की देखभाल और उनकी स्वास्थ्य समस्याओं का समय पर समाधान हो सकेगा।

मुख्य सचिव ने विशेष रूप से शहरी मलिन बस्तियों और निर्माण स्थलों के निकट आंगनवाड़ी केंद्रों की मैपिंग के निर्देश दिए हैं, ताकि पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में कुपोषण और कम वजन की समस्या का समाधान किया जा सके। आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएँ और सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।

मातृ मृत्यु दर और एनिमिया पर विशेष ध्यान

मुख्य सचिव ने राज्य में मातृ मृत्यु दर, गर्भवती महिलाओं और किशोरियों में एनिमिया (खून की कमी) तथा बच्चों में कुपोषण की समस्या को कम करने हेतु सभी विभागों को समन्वित रणनीति से कार्य करने की हिदायत दी है। एनिमिया गर्भवती महिलाओं के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं का कारण बन सकती है। इस समस्या को दूर करने के लिए सरकारी विभागों को समन्वय के साथ कार्य करने की आवश्यकता है।

टेक होम राशन और मिलेट्स का प्रोत्साहन

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं को वितरित किए जाने वाले टेक होम राशन के तहत मुख्य सचिव ने मिलेट्स (मोटे अनाज) को प्रोत्साहित करने की कार्ययोजना पर कार्य करने के निर्देश दिए हैं। मिलेट्स, जैसे ज्वार, बाजरा और रागी, पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और गर्भवती महिलाओं के लिए अत्यंत फायदेमंद होते हैं। इससे महिलाओं और बच्चों का पोषण स्तर बेहतर होगा और कुपोषण की समस्या का समाधान किया जा सकेगा। take home ration

समन्वित प्रयास और निष्कर्ष take home ration

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी द्वारा दिए गए निर्देश और इस विशेष अभियान का उद्देश्य असंगठित क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। इससे न केवल मातृ मृत्यु दर को कम किया जा सकेगा, बल्कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की समस्या का भी समाधान होगा।

इस अभियान के तहत सभी विभागों को समन्वय के साथ काम करने की आवश्यकता है, ताकि असंगठित क्षेत्रों की सभी गर्भवती महिलाओं तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुँच सके।


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