Swargiya Prakash: आत्मा का स्वरूप: शांति, आनंद, और मुक्ति का मार्ग
आपका आत्मा; परमानन्द की आत्मा के जरिए परमापिता परम आत्मा से मिलने को आतुर है कृपया अपनी आत्मा की इच्छा पूरी करें- सत्य (परमानन्द) को जाने; सत्य ही आपको सनातन से मेल मिलाप करायेगा
Swargiya Prakash: खुश रहना और शांति बनाए रखना जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। सभी कर्मों का परम फल शांति में ही निहित है, और इस शांति का स्रोत है आत्मा, जो ईश्वर का अंश है। आत्मा का वास्तविक स्वरूप जान लेना ही जीवन का सबसे बड़ा सत्य है। “मैं आत्मा हूं—मैं ही था, मैं ही हूं और मैं ही रहूंगा,” यह सत्य तब भी रहेगा जब यह मनुष्य जीवन समाप्त हो जाएगा। यह आत्मस्वरूप ही जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्त करने का मार्ग है। Pram Atma
जीवन की यात्रा और अंतिम सत्य
जब किसी व्यक्ति का यह सांसारिक जीवन समाप्त होता है, तब उसके साथ कोई नहीं जाता। जो रिश्ते और चीजें हमें इस संसार में प्रिय थीं—परिवार, मित्र, धन, संपत्ति, और यहां तक कि हमारा अपना शरीर भी—सब यहीं छूट जाते हैं। मृत्यु के समय शरीर भी साथ नहीं देता, न परछाईं साथ रहती है, न बीबी, बच्चे, न कोई रिश्तेदार या मित्र। घर के लोग भी उस समय यही कहते हैं, “ले जाओ इसे, अब ये बदबू करने लगेगा।” Pram Atma
यह कठोर सत्य हमें यह समझाता है कि इस दुनिया में सब कुछ नश्वर है। अंततः आत्मा ही हमारा सच्चा साथी है और ईश्वर रूपी आत्मा के साथ मिलन ही मनुष्य का परम लक्ष्य होना चाहिए।
आत्मस्वरूप को पहचानना: परमात्मा से मिलन का पहला कदम
आत्मा के स्वरूप को पहचानना यानी ईश्वर से जुड़ना। यह आत्मा ही परमात्मा का अंश है, और इसी के माध्यम से हम परमपिता परमात्मा से मिल सकते हैं। शरीर और सांसारिक चीजों में उलझे रहने के बजाय यदि हम अपने आत्मिक स्वरूप पर ध्यान दें, तो हमें परम शांति और आनंद की प्राप्ति होगी। यह आनंद और शांति मनुष्य जीवन में ही प्राप्त हो सकते हैं, जो इसे समझदार और बुद्धिमान योनि बनाता है। Pram Atma
परमात्मा हमें यही संदेश देते हैं: “आ मेरी आत्मा में समा जा और मुझे अपना सच्चा साथी बना ले।” यह मेल-मिलाप हमें आत्मिक स्तर पर परम शांति और मुक्ति प्रदान करता है। यह वही परमानंद है, जिसे प्राप्त करने के बाद जीवन के सारे संघर्ष अर्थहीन लगने लगते हैं।
जीवन का उद्देश्य: मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति Pram Atma
मनुष्य का उद्धार स्वयं उसके ही हाथ में है। परमात्मा की इच्छा यह है कि मनुष्य जाति अपने आत्मिक स्वरूप को पहचान कर मोक्ष की प्राप्ति करे। जो मनुष्य जीवन में ईश्वर को पहचान लेता है, उसे मृत्यु के बाद मुक्ति (मोक्ष) सहज रूप से मिलती है। यह मुक्ति न तो कठिन है, न किसी कीमत पर खरीदी जा सकती है—यह “फ्री” में ही प्राप्त होती है।
लेकिन जो इस मानव शरीर रूपी साधन का उपयोग नहीं करते और भौतिक सुखों में उलझे रहते हैं, वे मृत्यु के बाद 84 लाख योनियों में भटकते रहते हैं। यह पुनर्जन्म और भटकाव का चक्र तब तक चलता रहता है जब तक आत्मा को उसकी वास्तविक पहचान नहीं मिलती। इस जीवन को व्यर्थ गंवाना नर्क के समान है, और इससे बचने का उपाय है कि हम परमात्मा से जुड़ें। Pram Atma
Good morning ji 🌅 Be Happy खुश रहो 😊
आप में शांति कायम हो 🧎♂️ क्योंकि सारे कर्मों का अच्छा फल शांति हैऔर ईश्वर का स्वरूप आत्मा हैं कि “मैं एक आत्मा हूं, मैं ही हूं, मैं ही था और मैं ही रहूंगा तब भी! जब तेरी मनुष्य जीवन रूपी यात्रा धरती पर पूरी हो जाएगी ।
उस समय तेरे साथ देने वाला कोई नहीं होगा बल्कि तेरे घर के भी बोलेंगे ले जाओ इससे बदबू मरेगा अब उस समय तेरा साथ देने वाला कोई न होगा। न तेरा शरीर तेरा साथ देगा, न तेरा साया तेरा साथ देगा, न तेरी बीबी, न बच्चे, न भाई, न कुटुम्ब परिवार, न नाते रिश्तेदार, न तेरा इष्ट मित्रगण, न जमीन जायदाद, न रुपया पैसा या फिर बैंक बैलेंस। उस समय मैं ही तेरा साथी हूंगा।
इसलिए मैं तुम से चिल्ला चिल्ला कर तुझे पुकारती हूं कि आ मुझ आत्मस्वरुप परमानन्द यानी परमात्मा की आत्मा को अपना संघी साथी बना ले। ताकि मैं तेरा मेल मिलाप परमपिता परमात्मा से करा दूं और तुम्हें परमपिता का आनंद और शांति को इस चेतन योनि यानी बुद्धिजीवी समझदार योनि मनुष्य यानी में प्राप्त हो। ये ही मेरी इच्छा है और ये ही परमपिता परमात्मा की इच्छा।
कि समस्त मनुष्य जाति ईश्वर की प्रजा है और मनुष्य का उद्धार मनुष्य के ही हाथ में हैं जो धर्मी ईश्वर को मनुष्य जीवन में जान (प्राप्त कर लेता है) जाता है उसे शांति के साथ मुक्ति फ़्री में ही मिल जाती है जो इस मनुष्य शरीर (साधन) का प्रयोग नहीं करता उसके लिए नर्क यानी 84 लाख आत्माओं यानी जातियों में भटकने का अवसर प्राप्त होता है। अब तेरा भला तेरे हाथ में तू क्या चाहता है।
👏 थैंक्यू Vinti उपरोक्त एडवाइज – समस्त मनुष्य जाति के कल्याण के लिए जनहित में जारी…
शांति और मुक्ति का मार्ग Pram Atma
जीवन में स्थायी शांति और आनंद पाने के लिए हमें ईश्वर को पहचानना जरूरी है। भौतिक सुख केवल क्षणिक होते हैं और हमें तृप्त नहीं कर पाते। आत्मा की तृप्ति केवल परमात्मा से मिलन के बाद ही संभव है। यह मिलन हमें अपने भीतर झांकने और ध्यान-मनन से प्राप्त होता है।
कुछ कदम जो हमें आत्मा और ईश्वर के करीब ले जाते हैं:
- ध्यान और आत्म-चिंतन: रोजाना आत्मा के स्वरूप पर ध्यान केंद्रित करना हमें हमारे सच्चे अस्तित्व की याद दिलाता है।
- भौतिक इच्छाओं का त्याग: अनावश्यक इच्छाएं हमें केवल बंधनों में जकड़ती हैं। आत्मिक शांति के लिए इनका त्याग आवश्यक है।
- परमात्मा से प्रार्थना और संवाद: ईश्वर के साथ प्रार्थना करना और उन्हें अपना साथी मानना आत्मा को स्थिर और संतुलित करता है।
- निस्वार्थ सेवा: दूसरों की सेवा और कल्याण में भागीदारी हमें ईश्वर के करीब लाती है।
- संतोष और कृतज्ञता का अभ्यास: जो कुछ भी हमारे पास है, उसके लिए ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त करना हमें आत्मिक रूप से संतुलित बनाता है।
जनहित में संदेश: आत्मा और परमात्मा को अपना साथी बनाओ
यह संदेश समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए दिया गया है। यह मनुष्य जीवन एक अवसर है, जिसे हमें व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। जो लोग अपने आत्मिक स्वरूप को पहचान कर ईश्वर को अपना सच्चा साथी बना लेते हैं, वे जीवन में स्थायी शांति और आनंद प्राप्त कर लेते हैं। मृत्यु के बाद भी उन्हें मुक्ति सहज रूप में मिल जाती है।
इसके विपरीत, जो लोग इस जीवन के अवसर को चूक जाते हैं, उन्हें पुनर्जन्म के चक्र में भटकना पड़ता है। यह भटकाव न केवल कष्टदायक है, बल्कि आत्मा को अपने वास्तविक स्वरूप से दूर ले जाता है।
निष्कर्ष: आत्मिक यात्रा का महत्व (Swargiya Prakash )
मनुष्य जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक सुखों का पीछा करना नहीं है। हमारा असली उद्देश्य आत्मा और परमात्मा के मिलन में निहित है। यह मिलन हमें जीवन में शांति, संतोष, और मुक्ति की ओर ले जाता है। मृत्यु के बाद भी यह संबंध हमें नर्क के कष्टों से बचाकर मोक्ष दिलाता है। Swargiya Prakash
अब निर्णय आपके हाथ में है। क्या आप इस जीवन को भौतिक सुखों में व्यर्थ गंवाना चाहेंगे या आत्मा के वास्तविक स्वरूप को पहचान कर परमात्मा के साथ आनंदित जीवन जीना चाहेंगे?
यह संदेश जनहित में समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए जारी किया गया है। ईश्वर से जुड़ना और आत्मा को पहचानना ही हमारे जीवन का असली उद्देश्य है। परम शांति और मोक्ष का मार्ग आपसे दूर नहीं, बस एक कदम की दूरी पर है—जो आत्मा और परमात्मा के मिलन से ही पूरा होता है।
खुश रहिए, शांति बनाए रखिए। आत्मा को पहचानिए, और मुक्ति की राह पर चल पड़िए।
विनती: यह संदेश प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक करने और आत्मिक विकास की ओर प्रेरित करने के लिए लिखा गया है। जनहित में जारी।