Suspended: मिड-डे मील घोटाला: बच्चों की फर्जी हाजिरी से प्रधानाध्यापक की सस्पेंशन तक : ukjosh

Suspended: मिड-डे मील घोटाला: बच्चों की फर्जी हाजिरी से प्रधानाध्यापक की सस्पेंशन तक

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Suspended: मिड-डे मील घोटाला: बच्चों की फर्जी हाजिरी से प्रधानाध्यापक की सस्पेंशन तक

सिडकुल क्षेत्र के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बालेकी युसूफनगर में मिड-डे मील योजना में घोटाले का एक गंभीर मामला सामने आया है। प्रधानाध्यापक अहसान अहमद द्वारा बच्चों की फर्जी हाजिरी लगाकर मिड-डे मील डकारने का आरोप है, जिसके चलते उन्हें सस्पेंड (Suspended) कर दिया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक शिक्षा) आशुतोष भंडारी ने इस मामले की जांच के बाद यह कार्रवाई की। इस लेख में हम इस घटना के विभिन्न पहलुओं और इसके प्रभावों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

घटना का पृष्ठभूमि

मिड-डे मील योजना भारत सरकार द्वारा संचालित एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान करना है। इस योजना के तहत स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति के आधार पर भोजन की आपूर्ति की जाती है। बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार के साथ-साथ उनकी स्कूल उपस्थिति बढ़ाने के उद्देश्य से इस योजना को लागू किया गया था।

जांच का प्रारंभ Suspended

21 फरवरी को जिला शिक्षा अधिकारी आशुतोष भंडारी ने विद्यालय का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि बच्चों की वास्तविक उपस्थिति और मिड-डे मील के लिए भेजी गई डिमांड में काफी अंतर था। प्रधानाध्यापक अहसान अहमद पर आरोप है कि उन्होंने 21 फरवरी को मिड-डे मील का एसएमएस 98 बच्चों के लिए भेजा, जबकि मौके पर केवल 61 बच्चे उपस्थित थे। जब बाकी बच्चों के बारे में पूछा गया तो प्रधानाध्यापक ने कहा कि बच्चे घर चले गए हैं।

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फर्जी हाजिरी का खुलासा (Suspended

रैंडम चेकिंग के दौरान 20 फरवरी की उपस्थिति की जांच की गई तो पाया गया कि कक्षा तीन में 22 बच्चों की उपस्थिति थी, जबकि प्रधानाध्यापक ने 37 बच्चों की उपस्थिति दर्ज की थी। यही नहीं, अनुपस्थित बच्चों की लगातार उपस्थिति दर्ज की गई थी। जब अन्य शिक्षकों से इस बारे में पूछा गया तो पता चला कि प्रधानाध्यापक ने स्वयं बैठकर अनुपस्थिति दर्ज करने से इंकार कर दिया था।

प्रशासनिक कार्रवाई

मामले की जांच उप शिक्षा भगवानपुर द्वारा की गई थी। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद प्रधानाध्यापक अहसान अहमद को सस्पेंड कर भगवानपुर कार्यालय में अटैच कर दिया गया। इस कार्रवाई से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है और अन्य स्कूलों में भी इस प्रकार की गड़बड़ियों की जांच शुरू कर दी गई है।

समाज पर प्रभाव

इस प्रकार की घटनाएं समाज में न केवल शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता को प्रभावित करती हैं, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण पर भी गंभीर असर डालती हैं। मिड-डे मील योजना का मुख्य उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान करना है, जिससे उनकी शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिल सके। जब इस प्रकार की गड़बड़ियां होती हैं, तो बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ जाता है।

सुधार के उपाय

इस घटना से सबक लेते हुए, शिक्षा विभाग को मिड-डे मील योजना की निगरानी और निरीक्षण की प्रक्रिया को और सख्त बनाने की जरूरत है। नियमित निरीक्षण के साथ-साथ स्कूलों में बच्चों की वास्तविक उपस्थिति की जांच के लिए तकनीकी उपकरणों का उपयोग किया जाना चाहिए। इसके अलावा, प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों के लिए सख्त दिशानिर्देश और कड़ी सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की गड़बड़ियां न हो सकें।

बच्चों के अधिकार और उनकी सुरक्षा

बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है। बच्चों को शिक्षा और पोषण का अधिकार है, जिसे किसी भी स्थिति में बाधित नहीं किया जाना चाहिए। सरकार और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को उनके अधिकार पूर्ण रूप से मिलें और उन्हें एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण प्राप्त हो।

निष्कर्ष

राजकीय प्राथमिक विद्यालय बालेकी युसूफनगर में घटित इस घटना ने शिक्षा प्रणाली की कई खामियों को उजागर किया है। प्रधानाध्यापक की फर्जी हाजिरी और मिड-डे मील में घोटाले ने बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। हालांकि, शिक्षा विभाग द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई से यह संकेत मिलता है कि प्रशासन इस प्रकार की गड़बड़ियों को बर्दाश्त नहीं करेगा। इस घटना से सबक लेते हुए, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हों और बच्चों को उनके अधिकार पूर्ण रूप से मिलें। समाज को मिलकर बच्चों की शिक्षा और पोषण के अधिकारों की रक्षा करनी होगी, ताकि वे एक उज्ज्वल और सुरक्षित भविष्य की ओर बढ़ सकें।


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