Surai Plants स्वर्गीय वनस्पति शास्त्रियों की स्मृति में सुरई के पौधों का पौधारोपण; DSB Campus में 'एक पेड़ धरती मां के नाम' अभियान : ukjosh

Surai Plants स्वर्गीय वनस्पति शास्त्रियों की स्मृति में सुरई के पौधों का पौधारोपण; DSB Campus में ‘एक पेड़ धरती मां के नाम’ अभियान


Surai Plants डीएसबी परिसर में ‘एक पेड़ धरती मां के नाम’ अभियान: सुरई के पौधों का पौधारोपण और श्रद्धांजलि

डीएसबी परिसर, कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल में आज एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय और श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन ‘एक पेड़ धरती मां के नाम’ थीम के अंतर्गत किया गया, जिसमें सुरई के 25 पौधे लगाए गए। इस अवसर पर वनस्पति विज्ञान की शोध छात्रा दिशा उप्रेती द्वारा तैयार किए गए सुरई के पौधों (Surai Plants) का पौधारोपण किया गया। यह आयोजन न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, बल्कि यह स्वर्गीय वनस्पति शास्त्रियों और शिक्षकों की स्मृति में श्रद्धांजलि भी था।

स्वर्गीय वनस्पति शास्त्रियों की स्मृति में Surai Plant’s पौधारोपण

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्वर्गीय प्रो. यशपाल सिंह पांगती, स्वर्गीय प्रो. आर.डी. खुल्बे, और स्वर्गीय प्रो. गिरी बाला पंत की स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित करना था। ये तीनों महान वनस्पति शास्त्री और वनस्पति विज्ञान विभाग के पूर्व प्राध्यापक थे, जिन्होंने अपने ज्ञान और समर्पण से विभाग और छात्रों को अनमोल योगदान दिया। उनके योगदान को स्मरण करते हुए, इन पौधों का पौधारोपण उनके प्रति श्रद्धांजलि के रूप में किया गया।

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सुरई का महत्व

सुरई, जिसे हिमालयन साइप्रेस भी कहा जाता है, का वानस्पतिक नाम क्यूप्रेसस टोरूलिसा है। सुरई वेस्टर्न हिमालय का नेटिव पौधा है और यह ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। सुरई जिम्नोस्पर्म ग्रुप का हिस्सा है और इससे मिलने वाला लीसा महत्वपूर्ण होता है। इस पौधे से क्यूप्रेसस ऑयल भी तैयार किया जाता है, जिसका विभिन्न उद्योगों में उपयोग होता है। सुरई की लकड़ी का भी व्यापक उपयोग होता है और यह भू-कटाव को रोकने में सहायक होती है।

पौधारोपण कार्यक्रम

आज के पौधारोपण कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित व्यक्ति और छात्र उपस्थित रहे। इनमें पूर्व निदेशक एच.एफ.आर.आई. और फेलो ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज नसी फेलो, फेलो ऑफ रॉयल सोसाइटी ऑफ बायोलॉजी लंदन, डॉक्टर शेर सिंह सामंत, प्रो. एस.डी. तिवारी, विभागाध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र सिंह बर्गली, निदेशक विजिटिंग प्रोफेसर प्रो. ललित तिवारी, प्रो. सुषमा टम्टा, प्रो. अनिल बिष्ट, डॉक्टर हर्ष चौहान, डॉक्टर नवीन पांडे, डॉक्टर हेम जोशी, डॉक्टर प्रभा पंत, दिशा उप्रेती, आनंद, लीला, विजय कुमार, सर्वेंदु वर्मा, रिचा आर्य, गीतांजलि उपाध्याय, इंदर रौतेला, और एमएससी बॉटनी की शिवांगी रावत, पूजा गुप्ता, कृतिका जोशी, ममता अधिकारी आदि शामिल थे। इन सभी ने मिलकर सुरई के पौधों का पौधारोपण किया और इस महत्वपूर्ण अभियान में हिस्सा लिया।

कार्यक्रम का महत्व

‘एक पेड़ धरती मां के नाम’ थीम के तहत आयोजित इस कार्यक्रम का महत्व बहुत बड़ा है। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भावी पीढ़ियों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत है। इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से हम न केवल पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं, बल्कि समाज को भी जागरूक बना सकते हैं। इसके साथ ही, यह कार्यक्रम स्वर्गीय वनस्पति शास्त्रियों के योगदान को स्मरण करने और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक सुंदर माध्यम है।

पर्यावरण संरक्षण और समाजिक उत्तरदायित्व

इस प्रकार के पौधारोपण कार्यक्रम न केवल पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि समाजिक उत्तरदायित्व को भी प्रकट करते हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता को समझना और उसे अपनाना बहुत महत्वपूर्ण है। इस प्रकार के कार्यक्रम हमें याद दिलाते हैं कि हम प्रकृति के प्रति अपने उत्तरदायित्व को न भूलें और उसके संरक्षण के लिए सतत प्रयासरत रहें।

भविष्य की दिशा

इस कार्यक्रम के माध्यम से हम सभी को एक संदेश मिलता है कि हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास करने चाहिए। इस प्रकार के पौधारोपण कार्यक्रमों को हर साल आयोजित किया जाना चाहिए और इसमें समाज के सभी वर्गों की सहभागिता होनी चाहिए। यह न केवल पर्यावरण को संरक्षित करेगा, बल्कि भावी पीढ़ियों को भी एक स्वस्थ और हरित वातावरण प्रदान करेगा।

Result of Surai Plants

डीएसबी परिसर में ‘एक पेड़ धरती मां के नाम’ थीम के तहत आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल स्वर्गीय वनस्पति शास्त्रियों की स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक सुंदर माध्यम है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल है। इस कार्यक्रम ने यह सिद्ध किया है कि हम सभी मिलकर पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं और भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और हरित वातावरण सुनिश्चित कर सकते हैं।


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