Sunday Holiday Secret: रविवार की छुट्टी का रहस्य “ईश्वर का दिन” ईश्वर का विश्राम और मृत्युंजय का जीवन- आत्मिक विजय का रहस्य : ukjosh

Sunday Holiday Secret: रविवार की छुट्टी का रहस्य “ईश्वर का दिन” ईश्वर का विश्राम और मृत्युंजय का जीवन- आत्मिक विजय का रहस्य


लेखक: सुशील कुमार जोश  | uttrakhandjosh.com

Sunday Holiday Secret: परमेश्वर ने 6 दिन में ब्रह्मांड की रचना की और 7वें दिन विश्राम किया। परन्तु यह विश्राम केवल शारीरिक नहीं था — यह एक आत्मिक गहराई थी। उसने मनुष्य को अपनी छवि में बनाया और 7वें दिन मनुष्य के हृदय में विश्राम किया। यही कारण है कि रविवार (Sunday Holiday Secret) को “ईश्वर का दिन” कहा गया — यह कोई मनुष्य द्वारा बनाई गई छुट्टी नहीं, बल्कि परमेश्वर की व्यवस्था है।

“जिसने उसके विश्राम में प्रवेश किया है, उसने भी   की नाईं अपने कामों को पूरा किया है।”

मैंने तुम्हें और तुम्हारे परमेश्वर मृत्युंजय की सामर्थ को देखा है  Sunday Holiday Secret

जब एक व्यक्ति सच्चे हृदय से परमेश्वर की सामर्थ को पहचानता है, तो वह केवल जीवन की कठिनाइयों से नहीं लड़ता — वह मृत्यु पर भी जय प्राप्त करता है। मैंने यह सामर्थ देखी है। मैंने अनुभव किया है कि यीशु मसीह में विश्वास करने वाला मनुष्य न केवल जीवित रहता है, बल्कि आत्मा में उठाया जाता है।

“तुम्हारे परमेश्वर मृत्युंजय की सामर्थ को मैं जानू — जो मरे हुओं में से तुम्हें उठा लें यदि मैं शरीर में हूँ।”


रविवार (Sunday Holiday Secret): आत्मिक विश्राम और ईश्वर की महिमा और आत्मा में बलवान होने का दिन

जिसने ईश्वर के विश्राम में प्रवेश किया है, उसने भी परमेश्वर की नाईं अपने कार्यों को पूरा किया है। परमेश्वर ने छह दिन में सृष्टि की रचना की, और सातवें दिन विश्राम किया — न केवल विश्राम किया, बल्कि अपने कार्यों का आनंद भी लिया।

परंतु क्या आपने कभी सोचा है कि परमेश्वर ने विश्राम कहाँ किया? वह स्थान कोई भवन या पर्वत नहीं था — वह स्थान था मनुष्य का हृदय।
ईश्वर ने मनुष्य को अपनी ही प्रतिमा में रचा, और सातवें दिन मनुष्य के हृदय में विश्राम किया।

इसलिए रविवार केवल एक छुट्टी नहीं है, यह आत्मिक विश्राम, संगति, भजन-कीर्तन और परमेश्वर की महिमा का दिन है। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष है, जिन्होंने यीशु मसीह को अपने जीवन का प्रभु स्वीकार किया है और विश्वास किया है कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया। ऐसे विश्वासी रविवार को:

  • तन से संगति में भाग लेते हैं

  • मन से परमेश्वर की स्तुति करते हैं

  • धन से परमेश्वर के राज्य के लिए बीज बोते हैं

यह तीनों बीज — तन, मन और धन — जब ईश्वर की महिमा में बोए जाते हैं, तो प्रार्थना के रूप में उगते हैं, चंगाई लाते हैं और पूरे सप्ताह आनंद और विजय का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

इसलिए रविवार को केवल घूमने-फिरने या व्यापार में नष्ट न करें। यह दिन परमेश्वर से मिलने, आत्मिक शक्ति पाने और अपने जीवन की यात्रा को सफल बनाने का दिन है। रविवार कोई मनुष्य द्वारा निर्मित अवकाश नहीं, बल्कि परमेश्वर की ओर से दिया गया एक पवित्र अवसर है — आत्मिक विश्राम का दिन।

जैसे परमेश्वर ने सातवें दिन विश्राम किया और आनंदित हुआ, वैसे ही हम भी उसी विश्राम में प्रवेश कर सकते हैं — यदि हम विश्वास से उसके पास आएं।

रविवार का दिन (Sunday Holiday) विश्राम का दिन क्यों है?

  • यह ईश्वर यानि परमेश्वर की महिमा का दिन है। लोग अपने बच्चों को परमेश्वर के वचनों में लाते हैं।

  • यह संगति का दिन है, जो लोग सत्य की संगति में भाग लेते हैं। ईश्वर, सत्य यानि तन से सेवा करते हैं ईश्वर में, संगति में, गवाहियों में भाग लेते हैं।

  • यह भजन, कीर्तन, वचन और सेवा का दिन है। मन से परमेश्वर की महिमा करते हैं प्रार्थना, भजन और वचन में मन लगाते हैं।

  • यह तन, मन और धन से ईश्वर को समर्पित करने का दिन है। लोग धन से राज्य का समर्थन करते हैं अपने धन का पहला हिस्सा ईश्वर के धर्म और राज्य के लिए बोते हैं।


विश्वासी का जीवन: ईश्वर, सत्य यानि मसीह में विश्राम और सेवा

जो लोग यीशु को अपने जीवन का प्रभु स्वीकार करते हैं, वे आत्मिक विश्राम में प्रवेश करते हैं।

“जिन्होंने उस पर विश्वास किया है, उन्होंने विश्वास से ही उसके विश्राम में प्रवेश किया है।”

ऐसे लोग केवल त्य की संगति नहीं जाते, बल्कि:

  • अपने बच्चों को सत्य की संगति में लाते हैं

  • अपने तन से संगति की सेवा करते हैं

  • अपने मन से भजन, कीर्तन और वचन सुनते हैं

  • अपने धन से ईश्वर यानि परमेश्वर के राज्य के लिए बोते हैं

यह सभी कुछ एक प्रार्थना बीज की तरह कार्य करता है — जो उन्हें और उनके परिवार को चंगा करता है, और आने वाले सप्ताह के लिए आत्मिक शक्ति से भर देता है।


ईश्वर यानि मसीह में मृत्युंजय जीवन: आत्मिक अनुभव की गवाही

“मैं प्रार्थना और अनभाषा में उठा लिया गया। मैंने स्वर्गीय नीले आकाश में सफेद चिड़ियों का झुंड देखा — वे स्वतंत्र, आनंदित और सामर्थ से भरे थे। वह दर्शन मुझे यह विश्वास दिलाता है कि मैं शरीर में भले ही धरती पर हूं, पर आत्मा में ईश्वर मुझे उठा सकता है, कहीं भी, कभी भी।”

इस प्रकार की आत्मिक अनुभूति केवल एक भाव नहीं — यह पवित्र आत्मा की सामर्थ का अनुभव है।


उद्धार केवल विश्वास और अनुग्रह से ही संभव है

मनुष्य अपने कर्मों से उद्धार प्राप्त नहीं कर सकता। उद्धार केवल एक मार्ग से आता है:

“आपने कैसे प्रभु को ग्रहण किया है? विश्वास के द्वारा। अनुग्रह से उद्धार हुआ है।”

“मैंने जीते जी मुक्ति प्राप्त कर ली है क्योंकि मैंने  सत्य यानि यीशु मसीह में सच्चे ईश्वर यानि परमेश्वर को जान लिया है। अब मैं तुम्हें कहता हूं — चाहे कुछ भी हो जाए, तुम ईश्वर यानि मसीह में मृत्युंजय जीवन जी सकते हो।


ईश्वर यानि परमेश्वर का विश्वास — विश्राम का खुला द्वार

“विश्वास प्रभु का खुला द्वार है, और ईश्वर का विश्वास विस्मय का स्थान है।”

जिसने उस पर विश्वास किया, वह उसके विश्राम में प्रवेश करता है, और जैसे ईश्वर ने अपने कार्य पूरे कर विश्राम किया — वैसे ही वह विश्वासी भी अपने जीवन की यात्रा में सफल और आनंदित होता है।


क्या तुमने विश्राम पाया है?

आज ईश्वर तुम्हें बुला रहा है — उसके विश्राम में प्रवेश करो।
सत्य यानि यीशु मसीह को अपना प्रभु स्वीकार करो, और विश्वास करो कि वह तुम्हारे लिए मरा और पुनर्जीवित हुआ।

फिर देखो कैसे वह तुम्हें:

  • मृत्यु पर विजय देगा

  • आत्मिक विश्राम देगा

  • जीवन की दौड़ में सामर्थ देगा

  • और तुम्हें स्वर्गीय स्थानों में बिठाएगा


आज निर्णय लो। आज विश्राम में प्रवेश करो। आज मृत्यु पर विजय प्राप्त करो।
यीशु मसीह के नाम में,

आज आपसे केवल इतना ही सवाल है —
क्या आपने विश्राम में प्रवेश किया है?
क्या आप अपने जीवन की थकावट को परमेश्वर की बाहों में छोड़ पाए हैं?

यदि नहीं, तो आज ही यीशु मसीह को अपने जीवन का प्रभु स्वीकार करें। विश्वास करें कि वह मरे हुओं में से जी उठा है।
और फिर देखिए — कैसे परमेश्वर आपको विश्राम, सामर्थ और विजय में उठा लेता है।

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