लेखक– सुशील कुमार जोश | www.uttrakhandjosh.com
Successful Life: एक आत्मा को प्रेरित करने वाला संदेश
जब तक मनुष्य केवल शरीर के प्रयासों और फूलों-पत्तियों की पूजा तक सीमित रहता है, तब तक वह सच्चे ईश्वर को न जान सकता है, न छू सकता है। ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए केवल बाहरी प्रयास पर्याप्त नहीं हैं, क्योंकि शरीर के भीतर दो और शरीर—आत्मिक शरीर और प्राणिक शरीर—निवास करते हैं, जिन्हें देखा नहीं जा सकता लेकिन अनुभव अवश्य किया जा सकता है। Successful Life
ईश्वर की इच्छा क्या है?
परमेश्वर ने मनुष्य को एक अद्भुत गुण दिया है — चेतना। यह चेतना मनुष्य को उसकी बुद्धि, समझ और आत्मा के सहारे यह विवेक देती है कि वह अपने भीतर की आत्मिक स्थिति को पहचान सके।
ईश्वर नहीं चाहता कि हम केवल धार्मिक कर्मकांडों तक सीमित रहें। उसकी इच्छा है कि हम अपनी आत्मा, आत्मिक शरीर और प्राण को बचाएं — क्योंकि इन्हीं से हमारा अनंत जीवन जुड़ा हुआ है।
मुक्ति का रहस्य
यह आत्मा, जो मनुष्य को सच्चा जीवन देती है, स्वर्ग से सबसे पहले परम पुरुष के पास आई, फिर 12 चेलों के पास, और फिर सारी मानव जाति के उद्धार के लिए भेजी गई।
जो इस आत्मा को अपने जीवन में स्वीकार करता है, वह ही जन्म-मृत्यु के बंधनों से मुक्ति पाता है। यही मुक्ति जीवित रहते हुए मिलती है — मृत्यु के बाद नहीं। क्योंकि मरने के बाद केवल शरीर नष्ट नहीं होता, आत्मा और प्राण भी अंधकार में चले जाते हैं यदि वे ईश्वर की आत्मा से जुड़े नहीं होते।
सच्ची चेतना और प्रकाश की ओर यात्रा
इस जीवन की सबसे बड़ी सफलता यही है — कि हम अपने अंदर उस ईश्वरीय आत्मा को स्थान दें और अपनी यात्रा को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाएं।
जब मनुष्य अपनी आत्मा का दान करता है — अर्थात् अपने जीवन को ईश्वर के प्रेम और सत्य में समर्पित करता है — तभी वह सफल जीवन, शांति, और अनंत प्रकाश को प्राप्त करता है।
यह कोई धर्म नहीं, यह एक जीवित अनुभव है। यह वह प्रकाश है जो अंधकार को मिटा देता है, वह प्रेम है जो टूटे हुए मन को भी जोड़ देता है।
इसलिए आज ही निर्णय लें: successful Life
- अपने भीतर की आत्मा को पहचानें।
- ईश्वर की आत्मा को आमंत्रित करें।
- बाहरी पूजा से हटकर आंतरिक जागृति की ओर बढ़ें।
- अपने जीवन को मुक्ति और शांति की दिशा में मोड़ दें।
यह संदेश उन सब के लिए है जो जीवन में दिशा, उद्देश्य और सत्य की खोज कर रहे हैं।
ध्यान रहे:
जीवन में शांति, सफलता और मुक्ति का मार्ग बाहर नहीं, भीतर है। अंधकार को हटाना है तो अपने भीतर ईश्वर के प्रकाश को जलाना होगा।
Thank You