Startups कुमाऊं विश्वविद्यालय में “स्टार्टअप्स: नैतिक और कानूनी मुद्दे” पर अतिथि व्याख्यान
कुमाऊं विश्वविद्यालय के इनोवेशन एवं इनक्यूबेशन सेल तथा विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय द्वारा एक अत्यंत महत्वपूर्ण ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बेंगलुरु के श्री हर्षवर्धन पंत ने “स्टार्टअप्स: नैतिक और विधिक मुद्दे” विषय पर अपने विचार रखे। श्री पंत का व्याख्यान स्टार्टअप्स से जुड़े कानूनी और नैतिक मुद्दों पर केंद्रित था, जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को प्रस्तुत किया।
विधिक और नैतिक मुद्दों पर श्री हर्षवर्धन पंत के विचार
श्री हर्षवर्धन पंत ने अपने व्याख्यान की शुरुआत स्टार्टअप्स के जटिल कानूनी परिदृश्य पर चर्चा करते हुए की। उन्होंने बताया कि स्टार्टअप्स (Startups) को शुरुआत में ही कई कानूनी उलझनों का सामना करना पड़ता है जो नवोदित उद्यमियों को भयभीत कर सकती हैं। उन्होंने ओला, पेटीएम और बुक माय शो जैसे प्रमुख स्टार्टअप्स के उदाहरण देकर इन कानूनी जटिलताओं को स्पष्ट किया और उनके समाधान के उपाय बताए।
उन्होंने बताया कि किसी भी स्टार्टअप (Startups) के लिए सबसे पहली चुनौती उसके कानूनी ढांचे को मजबूत करना होता है। यह ढांचा सुनिश्चित करता है कि स्टार्टअप कानूनी रूप से सुरक्षित और विनियमित हो। इसके अलावा, उन्होंने व्यापारिक प्रथाओं में नैतिक दुविधाओं और अखंडता बनाए रखने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी व्यापार को सफल बनाने के लिए केवल कानूनी पहलुओं पर ध्यान देना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि नैतिकता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
व्याख्यान का संचालन और आयोजन
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले प्रो. आशीष तिवारी ने स्वागत भाषण में इस विषय पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे स्टार्टअप्स में नवाचार और इनक्यूबेशन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और कैसे नैतिक और कानूनी मुद्दे इन पर प्रभाव डालते हैं।
प्रो. ललित तिवारी ने कार्यक्रम का संचालन किया और बौद्धिक संपदा तथा लीगल एवं एथिक्स की कार्य योजना प्रस्तुत की। उन्होंने श्री हर्ष पंत को उनके बहुमूल्य समय और जानकारी के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया और प्रतिभागियों को धैर्यपूर्वक उनके विचारों को सुनने के लिए उनकी सराहना की।
प्रतिभागियों की भागीदारी
इस कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष विधि डॉक्टर दीपाक्षि जोशी ने सूत्रधार के रूप में धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में कुल 40 प्रतिभागी उपस्थित रहे जिनमें प्रोफेसर बीएस कालाकोटी, प्रोफेसर नीता बोरा शर्मा, प्रोफेसर गीता तिवारी, डॉ पेनी जोशी, ज्योति कांडपाल, डॉ हरिप्रिया पाठक, डॉक्टर श्रुति साह, डॉ मनीष सांगुड़ी, सहबाज, आरिफ़, डॉक्टर लज्जा भट्ट, डॉक्टर दीपशिखा जोशी, डॉक्टर ईरा तिवारी और गरिमा चंद शामिल थे।
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कार्यक्रम की सार्थकता (Startups)
इस कार्यक्रम ने स्पष्ट किया कि स्टार्टअप्स (Startups) के संचालन में कानूनी और नैतिक मुद्दों की जानकारी कितनी महत्वपूर्ण है। श्री हर्षवर्धन पंत ने अपनी विस्तृत व्याख्यान के माध्यम से इन मुद्दों पर प्रकाश डाला और प्रतिभागियों को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। यह कार्यक्रम न केवल ज्ञानवर्धक था बल्कि उद्यमियों के लिए प्रेरणादायक भी था।
श्री पंत ने यह भी बताया कि स्टार्टअप्स (Startups) को कानूनी समस्याओं से निपटने के लिए एक मजबूत रणनीति की आवश्यकता होती है और नैतिक मुद्दों पर सजग रहना होता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कानूनी ज्ञान के साथ-साथ नैतिक मूल्यों का पालन करना भी व्यापार की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
कुमाऊं विश्वविद्यालय में आयोजित यह व्याख्यान स्टार्टअप्स से जुड़े नैतिक और कानूनी मुद्दों की गहरी समझ प्रदान करने वाला था। इस कार्यक्रम ने प्रतिभागियों को न केवल कानूनी जटिलताओं से निपटने के तरीके सिखाए बल्कि व्यापार में नैतिकता के महत्व को भी रेखांकित किया। श्री हर्षवर्धन पंत के अनुभव और ज्ञान ने इस व्याख्यान को अत्यंत मूल्यवान बना दिया और नवोदित उद्यमियों को उनके व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया।