Soldier फौजी को पत्नी ने लाठी-डंडों से पीटा और झूठे मामलों में फंसाने की दी धमकी
उत्तराखंड: घर आये फौजी की पत्नी से उत्पीड़न की दास्तान
Soldier: उत्तराखंड के रुड़की कोतवाली में एक सैनिक की फरियाद ने पूरे क्षेत्र को चौंका दिया। यह सैनिक, जो कश्मीर में तैनात है, इन दिनों छुट्टी पर घर आया हुआ था। लेकिन छुट्टी का यह समय उसके लिए शांति और आराम की जगह चिंता और दर्द लेकर आया। उसकी पत्नी ने उसे प्रतिदिन डंडों से पीटना शुरू कर दिया था और झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देती थी। इस स्थिति से परेशान सैनिक ने पुलिस से गुहार लगाई कि वे उसे उसकी पत्नी के अत्याचारों से बचाएं।
पत्नी की प्रताड़ना
सैनिक ने पुलिस को बताया कि जब से वह घर आया है, उसकी पत्नी हर छोटी-बड़ी बात को लेकर झगड़ा करती रहती है। वह न केवल झगड़ा करती है, बल्कि उसे शारीरिक रूप से भी प्रताड़ित करती है। सैनिक ने पुलिस को यह भी बताया कि उसे अपनी जान का खतरा महसूस हो रहा है, क्योंकि उसकी पत्नी बहुत उग्र स्वभाव की है और वह किसी दिन उसकी हत्या भी कर सकती है।
कोतवाली में हंगामा
बुधवार की सुबह ढंडेरा क्षेत्र के एक कॉलोनी निवासी इस सैनिक ने कोतवाली पहुंचकर अपनी बात पुलिस के सामने रखी। सैनिक ने पुलिस से गुहार लगाई कि वे उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करें। पुलिस ने सैनिक की शिकायत पर तत्काल कार्रवाई की और महिला को बुलाने के लिए एक पुलिसकर्मी को उसके घर भेजा। जब महिला कोतवाली पहुंची तो वहां एक बड़ा हंगामा हो गया। पति-पत्नी कोतवाली में ही आपस में भिड़ गए और दोनों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप किए।
पति (Soldier) की सुरक्षा की मांग
सैनिक ने पुलिस के सामने साफ-साफ कहा कि वह घर वापस जाने को तैयार नहीं है, क्योंकि उसे अपनी जान का खतरा महसूस हो रहा है। कोतवाली प्रभारी निरीक्षक आरके सकलानी ने बताया कि पति-पत्नी के बीच के विवाद को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले रही है और सैनिक की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
पारिवारिक विवाद का मनोवैज्ञानिक पहलू
इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि पारिवारिक विवादों का समाधान कैसे किया जाए। अक्सर हम देखते हैं कि महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों की बातें सामने आती हैं, लेकिन इस घटना ने यह दिखा दिया कि पुरुष भी घरेलू हिंसा का शिकार हो सकते हैं। इस प्रकार की घटनाओं के पीछे मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारण होते हैं जिन्हें समझना और सुलझाना आवश्यक है।
कानून और सुरक्षा
घरेलू हिंसा के मामले में कानून का सहारा लेना बहुत महत्वपूर्ण है। पुलिस का दायित्व है कि वह बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करे। इस घटना में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की और दोनों पक्षों को सुना। लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि ऐसे मामलों में न्याय सुनिश्चित हो और उत्पीड़ित व्यक्ति को न्याय मिल सके।
सामुदायिक सहयोग की आवश्यकता
इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए सामुदायिक सहयोग की आवश्यकता है। समाज के प्रत्येक सदस्य का यह दायित्व है कि वह अपने आसपास हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाए और पीड़ित की मदद करे। इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है जिससे लोग समझ सकें कि घरेलू हिंसा केवल शारीरिक ही नहीं, मानसिक भी हो सकती है और इसके शिकार कोई भी हो सकते हैं।
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Soldier
उत्तराखंड के इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि घरेलू हिंसा एक गंभीर समस्या है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सैनिक (Soldier ) की फरियाद ने यह दिखा दिया कि किसी भी प्रकार की हिंसा अस्वीकार्य है और इसके खिलाफ कड़ा कदम उठाया जाना चाहिए। पुलिस और समाज के संयुक्त प्रयास से ही इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सकता है और एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण समाज का निर्माण किया जा सकता है।