नैनीताल: ऊर्जा आत्मनिर्भरता और पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम उठाते हुए कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल ने सौर ऊर्जा उत्पादन की एक व्यापक और नवाचारी परियोजना को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया है। यह परियोजना न केवल विश्वविद्यालय की हरित प्रतिबद्धता का प्रतीक है, बल्कि उच्च शिक्षण संस्थानों को ऊर्जा क्षेत्र (Solar Energy) में एक सशक्त भागीदार के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
यह अभिनव पहल उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (UREDA) के सहयोग से क्रियान्वित की गई है, जिसके तहत विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागीय भवनों की छतों पर रूफटॉप सोलर पैनलों की स्थापना की गई है। वर्तमान में विश्वविद्यालय परिसर में कुल 788 किलोवाट की सौर विद्युत क्षमता स्थापित की जा चुकी है।
प्रमुख भवनों में स्थापित सौर संयंत्र की क्षमता इस प्रकार है: Solar Energy
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प्रशासनिक भवन – 150 किलोवाट
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हरमिटेज भवन – 152 किलोवाट
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डी.एस.बी. परिसर – 393 किलोवाट
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भूविज्ञान विभाग – 40 किलोवाट
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नैनो साइंस विभाग – 25 किलोवाट
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रसायन विभाग – 20 किलोवाट
प्रत्येक 150 किलोवाट संयंत्र के लिए औसतन 300 सोलर पैनलों की आवश्यकता होती है। इस परियोजना के माध्यम से उत्पादित विद्युत को राज्य विद्युत ग्रिड से जोड़ा गया है, जिससे सतत आपूर्ति सुनिश्चित होती है और विश्वविद्यालय को विद्युत बिल में छूट भी प्राप्त होती है। यह प्रणाली दीर्घकालिक रूप से आर्थिक रूप से लाभकारी और पर्यावरण के प्रति उत्तरदायी है।
इस परियोजना की प्रेरणा स्रोत हैं कुलपति प्रो. दिवान एस. रावत, जिनकी दूरदर्शिता, प्रशासनिक कुशलता एवं पर्यावरणीय संवेदनशीलता ने इस प्रयास को दिशा और गति प्रदान की। उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने यह प्रमाणित किया है कि शैक्षणिक संस्थान भी ऊर्जा संरक्षण और हरित विकास में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं।
प्रो. रावत ने कहा, Solar Energy
“यह परियोजना केवल ऊर्जा व्यय में कटौती का माध्यम नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संरक्षण और सतत विकास के राष्ट्रीय लक्ष्यों की पूर्ति की दिशा में एक सशक्त पहल है। हम आशा करते हैं कि कुमाऊँ विश्वविद्यालय का यह मॉडल देश के अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए भी प्रेरणास्रोत बनेगा।”
यह पहल विश्वविद्यालय को भविष्य में ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ठोस आधार प्रदान करेगी, साथ ही यह हरित परिसर की संकल्पना को भी साकार करेगी।
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