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SARRA उत्तराखंड में जल संरक्षण और पुनर्भरण की दिशा में ‘सारा’ (SARRA) की महत्वपूर्ण पहल

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SARRA उत्तराखंड में जल संरक्षण और पुनर्भरण की दिशा में ‘सारा’ (SARRA) की महत्वपूर्ण पहल

जल हमारे जीवन का आधार है, और इसके बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। उत्तराखंड, जिसे ‘देवभूमि’ के नाम से जाना जाता है, प्राकृतिक जल संसाधनों की संपन्नता के लिए प्रसिद्ध है। फिर भी, वर्तमान समय में जल स्रोतों के घटते स्तर और सूखते जल स्रोतों की समस्या ने राज्य को गंभीर चुनौतियों का सामना करने पर विवश कर दिया है। इसी समस्या के समाधान के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा ‘स्प्रिंग एंड रिवर रिजूविनेशन प्राधिकरण’ (SARRA) की स्थापना की गई है। इस प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य राज्य के जल स्रोतों का पुनरुद्धार, संरक्षण और स्थिरता सुनिश्चित करना है।

हाल ही में, अपर मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन ने सचिवालय में SARRA के अंतर्गत एक अर्न्तविभागीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में जल संरक्षण के विभिन्न मुद्दों और योजनाओं की प्रगति पर विस्तृत चर्चा की गई। इस लेख में हम SARRA की गतिविधियों, उनकी आवश्यकताओं, और जल पुनर्भरण के लिए राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में विस्तार से जानेंगे।

1. SARRA की स्थापना और उद्देश्य

स्प्रिंग एंड रिवर रिजूविनेशन प्राधिकरण (SARRA) की स्थापना उत्तराखंड सरकार ने जल स्रोतों के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए की थी। यह प्राधिकरण विभिन्न विभागों के साथ मिलकर काम करता है ताकि जल स्रोतों की गुणवत्ता और मात्रा दोनों का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। SARRA का उद्देश्य जल पुनर्भरण और जल प्रबंधन की दिशा में ठोस कदम उठाना है ताकि राज्य में बढ़ती जल संकट की समस्या का समाधान किया जा सके।

2. बैठक की मुख्य बातें

अपर मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन ने बैठक के दौरान सभी संबंधित विभागों को SARRA के अंतर्गत चल रही योजनाओं को गंभीरता से लेने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी विभागों से आगामी 15 दिनों के अंदर जनपदों में लंबित कार्यों का परीक्षण करवा कर रिपोर्ट शासन को भेजने के लिए कहा। इसके अलावा, जिन कार्यों को धरातल पर पूरा किया जा चुका है, उनके परिणाम आंकड़ों सहित प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए।

बैठक में यह भी बताया गया कि राज्य में बंद पड़े हैंडपंपों को पुनः रिचार्ज करने की दिशा में कार्य करने की योजना बनाई जा रही है। यह कदम राज्य में भूजल स्तर को पुनः स्थिर करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है। राज्य में सूख चुके हैंडपंपों की गिनती की जा रही है ताकि उन्हें पुनः उपयोगी बनाया जा सके।

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3. क्रिटिकल जल स्रोतों का संरक्षण और पुनर्भरण

बैठक के दौरान क्रिटिकल जल स्रोतों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया। श्री बर्द्धन ने कहा कि जल स्रोतों के उपचार हेतु वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाना चाहिए। इसके लिए स्प्रिंगशेड और रिचार्ज क्षेत्रों की पहचान और सीमांकन करने का निर्देश दिया गया। जल पुनर्भरण की प्रक्रिया के दौरान जल की गुणवत्ता को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि पेयजल के रूप में इसका उपयोग सुरक्षित हो सके।

उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए उपयुक्त रिचार्ज उपायों को अपनाया जाना आवश्यक है। इसके लिए पेयजल निगम, जल संस्थान, सिंचाई एवं लघु सिंचाई विभागों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

4. समन्वय और कार्यान्वयन की गति

बैठक में बताया गया कि पेयजल निगम और जल संस्थान द्वारा राज्य के विभिन्न जल स्रोतों की पहचान की गई है। पेयजल निगम ने कुल 78 जल स्रोतों को चिन्हित किया है, जबकि जल संस्थान ने कुल 415 जल स्रोतों को चिन्हित किया है। इन जल स्रोतों पर विभिन्न स्तरों पर कार्य जारी है।

श्री बर्द्धन ने सभी विभागों को समन्वय के साथ तेजी से कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि हर योजना का तकनीकी अध्ययन किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जल पुनर्भरण की योजनाएं प्रभावी और दीर्घकालिक हों।

5. हैंडपंपों का पुनर्भरण और भूजल पुनःरिचार्ज

बैठक में विशेष रूप से बंद पड़े हैंडपंपों के पुनर्भरण पर चर्चा की गई। यह एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि बंद पड़े हैंडपंप न केवल अनुपयोगी हो गए हैं, बल्कि जल स्रोतों के लिए भी एक चुनौती बने हुए हैं। राज्य सरकार का उद्देश्य इन हैंडपंपों को पुनः चालू करना है ताकि इनसे भूजल पुनर्भरण किया जा सके।

श्री बर्द्धन ने कहा कि राज्य में पिछले साल तक सूख चुके हैंडपंपों की गिनती भी की जानी चाहिए, ताकि उन्हें पुनः चालू करने के लिए कार्य योजना बनाई जा सके। यह पहल न केवल जल संकट को कम करने में सहायक होगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति में भी सुधार करेगी।

6. वैज्ञानिक दृष्टिकोण और भविष्य की योजनाएं

SARRA का कार्य केवल जल स्रोतों का संरक्षण करना ही नहीं है, बल्कि जल पुनर्भरण की दिशा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना भी है। क्रिटिकल जल स्रोतों के उपचार के लिए वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए स्प्रिंगशेड और रिचार्ज क्षेत्रों की पहचान की जा रही है, ताकि इन क्षेत्रों में जल पुनर्भरण के लिए उपयुक्त उपाय किए जा सकें।

भविष्य में जल स्रोतों के पुनरुद्धार के लिए नई तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। इसके साथ ही, जल की गुणवत्ता और जल स्रोतों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

7. जनसहभागिता और जल जागरूकता

जल संरक्षण की इस दिशा में केवल सरकारी प्रयास ही पर्याप्त नहीं हैं। इसके लिए जनसहभागिता और जागरूकता की भी आवश्यकता है। सरकार को चाहिए कि वह जल संरक्षण और पुनर्भरण के बारे में लोगों को जागरूक करे, ताकि लोग भी जल स्रोतों के संरक्षण में अपनी भूमिका निभा सकें।

जल स्रोतों का संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज का भी कर्तव्य है। हमें जल की महत्वता को समझना होगा और इसे व्यर्थ नहीं करना चाहिए।

निष्कर्ष: जल संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल

उत्तराखंड में जल संकट की समस्या को देखते हुए SARRA की पहल एक महत्वपूर्ण कदम है। जल स्रोतों का पुनरुद्धार और भूजल का पुनर्भरण राज्य के लिए न केवल वर्तमान समय में आवश्यक है, बल्कि भविष्य में भी जल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

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अपर मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में लिए गए निर्णयों और निर्देशों से यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार जल स्रोतों के संरक्षण और पुनर्भरण के प्रति गंभीर है। यदि सभी संबंधित विभाग मिलकर तेजी से कार्य करें और जनसहभागिता को प्रोत्साहित करें, तो निश्चित ही उत्तराखंड में जल संकट की समस्या का समाधान हो सकेगा।


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