Researcher: ईश्वर दाता है, भिखारी नहीं; सम्पूर्ण सृष्टि का सृजनहार है, वह मंदिरों में कैद नहीं है, बल्कि हर जीव के हृदय में निवास करता है। : ukjosh

Researcher: ईश्वर दाता है, भिखारी नहीं; सम्पूर्ण सृष्टि का सृजनहार है, वह मंदिरों में कैद नहीं है, बल्कि हर जीव के हृदय में निवास करता है।


Researcher (शोधकर्ता-विश्वासकर्ता) @ukjosh 

देहरादून, 2025: जब हम ईश्वर की बात करते हैं, तो यह समझना आवश्यक है कि वह किसी धर्म या परंपरा की सीमाओं में बंधा नहीं है। ईश्वर (God) सम्पूर्ण सृष्टि का सृजनहार है, वह मंदिरों में कैद नहीं है, बल्कि हर जीव के हृदय में निवास करता है। इसी सत्य को समझाते हुए शोधकर्ता (Researcher) यीशु मसीह में ईश्वर ने मानवता के कल्याण के लिए एक अनमोल संदेश दिया—“मैं मार्ग, सत्य और जीवन हूं।”

ईश्वर और मनुष्य के बीच संबंध Researcher

विश्वासकर्ता के अनुसार, ईश्वर भिखारी नहीं, बल्कि दाता है। वह मानवजाति को शाश्वत जीवन देने वाला है, जो विश्वास करने वालों को अनंत मुक्ति प्रदान करता है। मनुष्य के बनाये गए रीति-रिवाज और धार्मिक दीवारें ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग नहीं हो सकतीं, क्योंकि सत्य धर्म से परे होता है।

“हे सनातन, तेरे धर्ममय कार्यों के कारण मैं दिन में 7 बार तेरी स्तुतियां करता हूँ।” विश्वासकर्ता का यह वचन स्पष्ट करता है कि सच्ची आराधना धर्मों की सीमाओं में बंधी नहीं होती, बल्कि वह आत्मा की पवित्रता और ईश्वर के प्रति निष्ठा से होती है। Researcher

मुक्ति और अनंत जीवन का स्रोत Researcher

यीशु मसीह में ईश्वर का यह संदेश केवल एक धर्म तक सीमित नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए है। उन्होंने सिखाया कि ईश्वर प्रेम है और जो प्रेम में बना रहता है, वह ईश्वर में बना रहता है

यीशु के वचनों के अनुसार, “जो कोई मुझ पर विश्वास करेगा, वह अनंत जीवन पाएगा।” यह वचन इस बात का प्रमाण है कि मुक्ति किसी विशेष समुदाय या परंपरा की बपौती नहीं, बल्कि सभी के लिए है।

धर्मों से परे: एकता और प्रेम का संदेश

आधुनिक समय में जब धर्मों के नाम पर मतभेद और विभाजन देखने को मिलते हैं, तब यीशु मसीह में ईश्वर का यह संदेश और अधिक प्रासंगिक हो जाता है। वह हमें सिखाते हैं कि ईश्वर केवल मंदिरों, मूर्तियों या रस्मों में नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के हृदय में वास करता है

जो कोई यीशु में विश्वास करता है और यह स्वीकार करता है कि “परमेश्वर ने उन्हें मृतकों में से जिलाया,” वह आध्यात्मिक रूप से नया जन्म पाता है और शाश्वत जीवन का भागी बनता है।

सत्य प्रेम और विश्वास में है Researcher

आज का युग धार्मिक सीमाओं से ऊपर उठकर सत्य, प्रेम और विश्वास को अपनाने का है। यीशु मसीह में ईश्वर का यह संदेश केवल ईसाइयों के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए है—एक ऐसा सत्य जो आत्मा और जीवन की रक्षा करता है।

यदि हम प्रेम, सत्य, और सेवा के मार्ग पर चलें, तो हम धर्मों से ऊपर उठकर परमात्मा के सच्चे मार्ग पर चल सकते हैं। यही वास्तविक मुक्ति है, यही अनंत जीवन है। क्योंकि ईश्वर किसी एक धर्म का नहीं, बल्कि समस्त सृष्टि का पिता है।

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