Relation of God: पलक झपकते ही उद्धार सम्भव; मुनष्य के उद्धार के लिए धर्म-कर्मकाण्ड नहीं, ईश्वर से विश्वास का रिश्ता ज़रूरी है : ukjosh

Relation of God: पलक झपकते ही उद्धार सम्भव; मुनष्य के उद्धार के लिए धर्म-कर्मकाण्ड नहीं, ईश्वर से विश्वास का रिश्ता ज़रूरी है


Relation of God to the Soul: क्या आपने कभी सोचा है कि किसी मनुष्य का उद्धार—उसकी आत्मा का मोक्ष—पलक झपकने जितनी तेजी से संभव हो सकता है? हां, यह पूर्णतः सत्य है। जैसे ही मनुष्य अपने हृदय से प्रभु को जीवन का मार्गदर्शक या गुरु स्वीकार करता है, उसी क्षण वह ईश्वर की योजना में प्रवेश कर जाता है—जहां आनंद जीवन, आत्मिक चंगाई और ईश्वरीय विश्राम मिलता है।

कई लोग सोचते हैं कि तीर्थ यात्रा, पूजा-पाठ, दान-पुण्य, व्रत-उपवास और मंदिर-मस्जिद की दौड़ से ईश्वर को प्रसन्न किया जा सकता है। परंतु सत्य यह है कि ईश्वर शरीर से नहीं, आत्मा से जुड़ाव चाहता है। और यह जुड़ाव तब होता है जब मनुष्य ईश्वर के आत्मा को प्राप्त करता है।

आत्मा से ईश्वर का संबंध – विश्वास का रहस्य (Relation of God to the Soul)

जिस मनुष्य ने ईश्वर के पुत्र को अपने जीवन का प्रभु स्वीकार कर लिया है, उसे ईश्वर का आत्मा प्राप्त हो जाता है। शरीर और आत्मा में विरोध है, इसलिए केवल आत्मा के गुरू के नाम में, मनुष्य परमात्मा से जुड़ सकता है।

ऐसे लोग गैरभाषा में प्रार्थना करते हैं। उनकी आत्मा ईश्वर से वार्तालाप करती है, और परमात्मा उन्हें वह भाषा देता है जिसे संसार नहीं समझ सकता, परंतु आत्मा समझती है। यह ईश्वरीय भाषा है जो आध्यात्मिक विकास का प्रमाण है।

ईश्वर की आत्मा – मृतकों को जिलाने वाली शक्ति

जब कोई मनुष्य ईश्वर के पुत्र को अपने जीवन का प्रभु स्वीकार करता है और विश्वास करता है कि ईश्वर ने उसे मृतकों में से जिलाया है, तो वह उसी आत्मा में सहभागी बन जाता है। उस व्यक्ति को पापों से छुटकारा मिल जाता है और वह आत्मा के द्वारा ईश्वरीय आनंद में प्रवेश करता है। यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि एक ईश्वरीय सत्य है। Relation of God

उद्धार का सरल मार्ग – विश्वास से

उद्धार किसी बाहरी परंपरा, पंथ या व्यक्ति से नहीं, बल्कि मनुष्य के विश्वास से होता है। जैसे:

  • ना कोई विशेष पहनावा बदलना पड़ता है

  • ना किसी धर्म का पालन करना जरूरी होता है

  • ना किसी पंडित, नबी, मौलवी, गुरु, पीर या ज्योतिष की जरूरत होती है

सिर्फ विश्वास की जरूरत होती है। जब मनुष्य यीशु (ईश्वर के पुत्र) को अपने जीवन का प्रभु स्वीकार करता है, तो वह उस आत्मा के संपर्क में आता है जो जीवन देती है।

द्वार – मनुष्य का मुख, आत्मा का प्रवेश

ईश्वर ने स्पष्ट कहा है कि जो द्वार (मुख) से प्रवेश नहीं करता, वह चोर और डाकू है। मनुष्य का हृदय तब तक ईश्वर की आत्मा का मंदिर नहीं बनता जब तक वह अपने मुख से यीशु को जीवन का प्रभु स्वीकार न कर ले। उद्धार द्वार से आता है, यानी मुख से।

मनुष्य ही स्वयं अपने उद्धार का द्वारपाल है। जब वह मुख खोलकर प्रभु यीशु को स्वीकार करता है, तभी आत्मा भीतर आती है और उद्धार होता है।

गैरभाषा – आत्मा की आवाज और परमात्मा की प्रतिक्रिया

जब मनुष्य 30 मिनट या उससे अधिक गैरभाषा में प्रार्थना करता है, तब ईश्वर की आत्मा उसे आत्मा में ऊपर उठाती है, उसे स्वर्गीय दर्शन, योजनाएं और आत्मिक निर्देश देती है। यही कारण है कि कई विश्वासी गवाही देते हैं कि ईश्वर ने उन्हें आत्मा में दर्शन कराए, आनंद और शांति से भर दिया।

यह सब शरीर से नहीं, आत्मिक अनुभव से होता है। यह आत्मा ही मनुष्य को संसार से अलग कर देती है और स्वर्ग की ओर ले जाती है।

धर्म नहीं, ईश्वर से रिश्ता ज़रूरी है

यह आत्मिक योजना किसी धर्म को बदलने या नया धर्म अपनाने की बात नहीं करती। न कोई पंथ, न कोई विशेष पहनावा।
जो व्यक्ति उस आत्मा को अपने जीवन का प्रभु या मार्गदर्शक मान लेता है और उस ईश्वरीय योजना पर विश्वास करता है—वह इंसान बन जाता है। न हिंदू, न मुस्लिम, न ईसाई—बल्कि एक ऐसा आत्मिक इंसान जो ईश्वर से जुड़ा है।

धार्मिक पहचान नहीं, आत्मिक अपनापन

बहुत लोग सोचते हैं कि उद्धार का अर्थ है धर्म बदलना या वेशभूषा, पूजा-पद्धति का त्याग करना — लेकिन यह एक भ्रम है।
उद्धार का मूल केवल एक है — विश्वास।
जो कोई ईश्वर की योजना पर विश्वास करता है और आत्मा के मार्गदर्शक को जीवन में स्वीकार करता है, वह किसी नए धर्म में नहीं आता — वह सच्चे इंसान में बदल जाता है।

सबसे बड़ा कौन? – आत्मा का प्रभु

संसार की धन-दौलत, प्रतिष्ठा, मूर्तियाँ, कर्मकांड, धार्मिक क्रियाएँ—all fade away जब तुलना ईश्वर के आत्मा से होती है। यदि तू मुझे (ईश्वर के पुत्र को) अपने जीवन का प्रभु स्वीकार कर ले और विश्वास करे कि ईश्वर ने मुझे जिलाया, तो तेरा उद्धार अभी और इसी क्षण हो सकता है।

“पलक झपकने में तेरी हो सकती है, पर मनुष्य के उद्धार में देर नहीं होती।”

उद्धार केवल विश्वास से होता है – कर्म से नहीं

मनुष्य अपने कर्मों से नहीं, बल्कि विश्वास से ईश्वर को प्रसन्न करता है। तीर्थ, व्रत, नियम, पूजा, मंदिर-मस्जिद, चर्च, सब आत्मा के सामने गौण हो जाते हैं। वह आत्मा जिसने प्रभु को स्वीकार किया है, उसे न धर्म बदलना पड़ता है, न पहनावा—बस इंसान बनना पड़ता है।

मनुष्य का उद्धार और उन्नति संभव है

जो भी इस सरल ईश्वरीय योजना पर विश्वास करता है, उसे अनंत जीवन मिलता है। वह अपने और अपने परिवार के लिए ईश्वर से विनती और प्रार्थना करता है, और बीज बोने का काम करता है—अर्थात अपने आत्मा, मन और शरीर को चंगाई देता है। Relation of God

आपका आत्मा भी ईश्वर के लिए मूल्यवान है Relation of God

अब समय है कि आप इस सरल योजना को स्वीकार करें और अपनी आत्मा को ईश्वर के विश्राम में प्रवेश कराएं।

तुम्हारा उद्धार तुम्हारे विश्वास पर निर्भर है — और वह पलक झपकने से भी तेज़ घट सकता है।

बस उसे अपने जीवन का मार्गदर्शक मानो — और देखो, ईश्वर क्या अद्भुत कार्य करता है।


बहुत धन्यवाद उन सभी को, जिन्होंने इस सत्य को सुना, विश्वास किया और अपने परिवार, बच्चों, समाज के लिए आत्मा में बीज बोया।
यह लेख और वीडियो स्क्रीपट उसी सरल सत्य को दर्शाता है: उद्धार का मार्ग कठिन नहीं — विश्वास से भरा हुआ है। 

यह सरल रास्ता मनुष्य की उन्नति तरक्की और आनन्त जीवन के लिए है आपने सुना और विश्वास किया और अपने घर, परिवार, बच्चों, बड़े-बुजूर्गों के लिए परम ईश्वर के सम्मुख विनती, प्रार्थना और अन्न, धन, मन से बीज बोने से आप अपने प्राणा, आत्मा और शरीर को चंगा कर पायें यही सरल प्रयास आपके मनों को छू ले और आप ईश्वर के लिए अपने शरीर में, मन में, हृदय में जगह बना पाये यही योजना ईश्वर की इच्छाअनुसार आप हम सब मनुष्य जाति के कल्याण हितार्थ हो चुका है! धन्यवाद।


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