Rani Laxmi Bai कुमाऊं विश्वविद्यालय के रानी लक्ष्मी बाई महिला छात्रावास में कौशल्या देवी के सेवा निवृत्ति पर विशेष सम्मान समारोह
रानी लक्ष्मी बाई महिला छात्रावास कुमाऊं विश्वविद्यालय
कुमाऊं विश्वविद्यालय में सेवा निवृत्ति के अवसर पर आयोजित विशेष समारोह हमेशा से एक महत्वपूर्ण घटना रही है। इसी श्रृंखला में, रानी लक्ष्मी बाई महिला छात्रावास में कार्यरत कौशल्या देवी (Rani Laxmi Bai Girls Hostel Kumaun University) के अधिवर्षता आयु पूर्ण करने पर एक विशेष सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कौशल्या देवी ने अपने 25 वर्षों की सेवा के दौरान विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में महत्वपूर्ण योगदान दिया और अपनी निष्ठा, समर्पण और मेहनत से सभी का दिल जीत लिया।
समारोह का आयोजन
समारोह का आयोजन डीएसडब्ल्यू प्रो संजय पंत के नेतृत्व में किया गया, जिसमें निदेशक विजिटिंग प्रोफेसर प्रो ललित तिवारी और डॉ. रीना सिंह ने भी भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन बहुत ही भव्य और गरिमापूर्ण तरीके से किया गया।
कौशल्या देवी की सेवा की प्रशंसा
वक्ताओं ने अपने भाषणों में कौशल्या देवी की सेवा की प्रशंसा की। प्रो संजय पंत ने कहा, “कौशल्या देवी की मेहनत और समर्पण ने छात्रावास को एक घर जैसा माहौल प्रदान किया। उनकी सेवा हमारे विश्वविद्यालय के लिए अनमोल रही है।” उन्होंने विश्वविद्यालय की तरफ से धन्यवाद और कृतज्ञता व्यक्त की।
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प्रो ललित तिवारी ने अपने विचार रखते हुए कहा, “कौशल्या देवी ने अपने काम में जो उत्कृष्टता और ईमानदारी दिखाई है, वह हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।”
डॉ. रीना सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “कौशल्या देवी की सेवा ने न केवल छात्रावास को बल्कि पूरे विश्वविद्यालय को एक बेहतर स्थान बनाया है। उनकी उपस्थिति और कार्यशैली ने हम सभी को बहुत कुछ सिखाया है।”
सम्मान समारोह
कौशल्या देवी को पुष्प गुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया गया। इसके अलावा, शॉल उड़ाकर और गणेश जी की आईपन भेट कर उन्हें सम्मानित किया गया। विश्वविद्यालय परिवार ने उनके उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना की। इस अवसर पर उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों ने कौशल्या देवी के प्रति अपनी शुभकामनाएं और आभार व्यक्त किया।
विशिष्ट अतिथि और उनकी भागीदारी
समारोह में प्रो अर्चना श्रीवास्तव, डॉ. विजय कुमार, डॉ. गगन होती, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. मोहित रौतेला, प्रकाश पाठक, नंदबल्लभ पालीवाल, दीपा गोस्वामी, जेपी मिश्रा और गणेश जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व उपस्थित रहे। सभी ने अपने अपने विचार साझा किए और कौशल्या देवी की सेवा को सराहा।
कौशल्या देवी की सेवा यात्रा
कौशल्या देवी की सेवा यात्रा की बात करें तो उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान अनेकों चुनौतियों का सामना किया और उन्हें सफलता पूर्वक पार किया। उनकी मेहनत और लगन ने न केवल उन्हें सम्मान दिलाया बल्कि विश्वविद्यालय को भी गौरवांवित किया। रानी लक्ष्मी बाई महिला छात्रावास में उनकी उपस्थिति ने वहां के वातावरण को हमेशा ही सकारात्मक और प्रेरणादायक बनाए रखा।
समर्पण और निष्ठा का प्रतीक
कौशल्या देवी ने अपनी सेवाओं के माध्यम से यह सिद्ध कर दिया कि समर्पण और निष्ठा से किया गया कार्य हमेशा फलदायी होता है। उनकी कड़ी मेहनत और सच्ची निष्ठा ने उन्हें एक आदर्श कर्मचारी और व्यक्ति के रूप में स्थापित किया। उनके सहयोगियों और छात्रों ने हमेशा उनके साथ मिलकर काम करना पसंद किया और उनसे बहुत कुछ सीखा।
विश्वविद्यालय के प्रति योगदान
कौशल्या देवी ने विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में भी अपनी सेवाएं दीं और अपनी मेहनत और लगन से विश्वविद्यालय की प्रगति में योगदान दिया। उनकी सेवा ने विश्वविद्यालय के प्रशासन और छात्रों के बीच एक मजबूत सेतु का काम किया।
समर्पित कर्मचारी की पहचान
कौशल्या देवी ने अपने 25 वर्षों की सेवा के दौरान जिस प्रकार से हर कार्य को अपनी पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ निभाया, वह सभी के लिए एक उदाहरण है। उनकी सेवाओं ने विश्वविद्यालय के सभी सदस्यों को यह सिखाया कि यदि हम पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ अपने कार्यों को अंजाम देते हैं, तो सफलता अवश्य मिलती है।
निष्कर्ष
कौशल्या देवी की सेवा निवृत्ति पर आयोजित यह विशेष सम्मान समारोह न केवल उनके सम्मान में था, बल्कि यह विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारियों और छात्रों के लिए एक प्रेरणा भी था। इस समारोह ने यह सिद्ध किया कि जब किसी व्यक्ति की सेवा को सही रूप में सराहा जाता है, तो वह सभी के लिए एक प्रेरणादायक घटना बन जाती है। कौशल्या देवी की सेवा, समर्पण और निष्ठा हमेशा ही कुमाऊं विश्वविद्यालय के इतिहास में यादगार रहेंगे।
इस समारोह ने एक बार फिर से यह साबित किया कि विश्वविद्यालय परिवार अपने सदस्यों की सेवाओं को सच्चे दिल से सराहता है और उन्हें सम्मानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ता। कौशल्या देवी की सेवा निवृत्ति ने सभी को यह सिखाया कि ईमानदारी, निष्ठा और समर्पण से किया गया कार्य हमेशा ही सम्मान और प्रशंसा का पात्र बनता है।