Radha Bahan: राधा बहन का पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयन: समाज सेवा में समर्पण की मिसाल : ukjosh

Radha Bahan: राधा बहन का पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयन: समाज सेवा में समर्पण की मिसाल


भारतीय समाज में कई महान व्यक्तित्वों ने अपनी समाज सेवा और त्याग से दुनिया को प्रेरित किया है। ऐसे ही एक प्रेरणास्त्रोत और साहसी महिला हैं राधा बहन भट्ट (Radha Bahan), जिनके पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयन ने उन्हें एक नई पहचान दिलाई है। यह सम्मान न केवल उनके लिए, बल्कि उत्तराखंड जैसे प्राकृतिक रूप से समृद्ध राज्य के लिए भी गर्व की बात है। 26 जनवरी 2025 को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जब उनका नाम पद्मश्री पुरस्कार के लिए घोषित हुआ, तो यह उनके जीवन की कठिनाईयों और संघर्षों के फलस्वरूप मिली एक बड़ी उपलब्धि थी।

राधा बहन का प्रारंभिक जीवन और प्रेरणा

राधा बहन का जन्म 16 अक्टूबर 1933 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के धुरका गांव में हुआ था। उनके माता-पिता, कमलापति और रेवती भट्ट, ने उन्हें जीवन के सर्वोत्तम मूल्यों और समाज सेवा की ओर प्रेरित किया। मात्र 18 वर्ष की आयु में घर से बाहर निकलकर राधा बहन ने समाज सेवा की दिशा में पहला कदम उठाया। यह एक साहसी और कठिन निर्णय था, जिसने उनके जीवन को एक नई दिशा दी।

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बालिका शिक्षा पर विशेष ध्यान और परिवर्तनकारी कदम

राधा बहन का समाज सेवा में पहला बड़ा कदम बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना था। कौसानी में आकर उन्होंने लड़कियों के शिक्षा के प्रति समाज की सोच को बदलने की दिशा में कार्य किया। उन्होंने लड़कियों को न केवल शिक्षा के महत्व के बारे में बताया, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित भी किया। उनका यह प्रयास उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में एक बड़े सामाजिक बदलाव की नींव रखता है।

भूदान आंदोलन और गांधीवादी विचारों का प्रभाव

1957 में राधा बहन ने महात्मा गांधी द्वारा प्रोत्साहित भूदान आंदोलन में भाग लिया। यह आंदोलन भूमि असमानता को समाप्त करने और गरीबों को भूमि उपलब्ध कराने के लिए था। राधा बहन ने इस आंदोलन के माध्यम से यह समझाया कि समाज में असमानता को समाप्त करने के लिए भूमि और संसाधनों का न्यायपूर्ण वितरण आवश्यक है। इसके अलावा, राधा बहन ने महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, जल, जंगल, जमीन और ग्राम स्वराज जैसे महत्वपूर्ण आंदोलनों में भी भाग लिया।

वन संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण में योगदान

राधा बहन का जीवन पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए समर्पित रहा है। 1976 में देवीधूरा ब्लॉक से उन्होंने 75 दिनों तक लंबी पदयात्रा की, जिसमें 65 गांवों का दौरा किया। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने वन संरक्षण और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के महत्व को स्थानीय समुदायों के बीच फैलाया। राधा बहन ने 40 बालवाड़ी और 30 महिला संगठनों की स्थापना की, जिससे महिलाओं को स्वावलंबी और सशक्त बनाने का प्रयास किया गया।

खनन और हाइड्रो पावर परियोजनाओं का विरोध

राधा बहन ने खनन के खिलाफ आवाज उठाई और बताया कि कैसे अनियंत्रित खनन से पर्यावरण और स्थानीय समुदायों को भारी नुकसान होता है। इसके अलावा, 2006 से 2010 के बीच राधा बहन ने हिमालय और नदियों का सर्वेक्षण करते हुए हाइड्रो पावर परियोजनाओं का विरोध किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन परियोजनाओं से पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा हो सकता है, जो अंततः पूरे क्षेत्र के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है।

स्वामीराम मानवता पुरस्कार की प्राप्ति

राधा बहन के समर्पण और साहस को मान्यता देते हुए, 13 नवंबर 2024 को उन्हें स्वामीराम मानवता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार राधा बहन की समर्पित सेवा और उनके कार्यों की सराहना के रूप में दिया गया। पुरस्कार के अंतर्गत उन्हें 10 लाख रुपये की राशि, गोल्ड मेडल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। इस सम्मान ने राधा बहन के कार्यों को एक नई ऊंचाई दी और समाज में उनकी भूमिका को और भी महत्वपूर्ण बना दिया।

राधा बहन का जीवन और प्रेरणा

राधा बहन का जीवन केवल एक व्यक्ति के संघर्ष की कहानी नहीं है, बल्कि यह समर्पण, साहस, और सामाजिक बदलाव की मिसाल है। उनका कार्य यह बताता है कि एक व्यक्ति अगर ठान ले तो वह समाज में परिवर्तन ला सकता है। उनकी जीवनी और संघर्ष को मैंने अपनी पुस्तक “मध्य हिमालय उत्तराखण्ड की ऐतिहासिक महिलाएँ” में भी शामिल किया है, जो 2024 में प्रकाशित हुई थी। इस पुस्तक में मैंने 31 अद्वितीय महिलाओं का जीवन उल्लेख किया है, जिनमें राधा बहन का नाम प्रमुख है।

नारी सशक्तिकरण में योगदान

राधा बहन ने हमेशा महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए काम किया। उन्होंने न केवल शिक्षा के माध्यम से लड़कियों को सशक्त बनाया, बल्कि उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक भी किया। उनका विश्वास था कि महिलाओं को सशक्त बनाने से समाज में व्यापक बदलाव आ सकता है।

पद्मश्री पुरस्कार की ओर एक प्रेरणादायक यात्रा Radha Bahan 

राधा बहन का पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयन समाज सेवा में उनके योगदान को मान्यता देने का एक महत्वपूर्ण कदम है। उनके जीवन और कार्यों से यह स्पष्ट होता है कि अगर एक व्यक्ति अपने समर्पण और कड़ी मेहनत से समाज के भले के लिए काम करता है, तो उसे एक दिन सफलता मिलती है। राधा बहन का चयन न केवल उनके कार्यों की सराहना है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि महिलाएं समाज में बदलाव लाने की शक्ति रखती हैं। उनका जीवन और संघर्ष यह सिद्ध करते हैं कि अगर हम किसी उद्देश्य को लेकर पूरी ईमानदारी से काम करें, तो समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।

राधा बहन को इस शानदार सम्मान के लिए हार्दिक बधाई और उनके कार्यों की सराहना करना सभी के लिए प्रेरणादायक है।


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