Plantation: डीएसबी परिसर में इग्नू टीम द्वारा पौधारोपण: परिजात वृक्ष की महत्वपूर्ण विरासत : ukjosh

Plantation: डीएसबी परिसर में इग्नू टीम द्वारा पौधारोपण: परिजात वृक्ष की महत्वपूर्ण विरासत


Plantation: डीएसबी परिसर में इग्नू टीम द्वारा पौधारोपण: परिजात वृक्ष की महत्वपूर्ण विरासत

पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और हरियाली को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, डीएसबी परिसर में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) की टीम द्वारा एक महत्वपूर्ण पौधारोपण अभियान (Plantation Project) का आयोजन किया गया। इस अभियान के तहत पारिजात के पौधे का रोपण किया गया, जिसे पौराणिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह लेख इस अभियान, पारिजात वृक्ष के महत्व, और इग्नू टीम की इस पहल के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा।

पौधारोपण का उद्देश्य

पौधारोपण (Plantation) का उद्देश्य न केवल पर्यावरण संरक्षण है, बल्कि इसके माध्यम से विद्यार्थियों और समाज को पेड़-पौधों के महत्व के प्रति जागरूक करना भी है। इग्नू के समन्वयक प्रो. ललित तिवारी ने इस पहल का नेतृत्व किया और बताया कि बरसात के मौसम में पौधारोपण करना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय पौधों के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ होती हैं। इस अभियान का उद्देश्य डीएसबी परिसर को हरा-भरा बनाना और हवा को शुद्ध रखना है।

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पारिजात वृक्ष का पौराणिक महत्व

पारिजात वृक्ष को पौराणिक कथाओं में विशेष स्थान प्राप्त है। यह वृक्ष उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के किन्नूर गांव में पाया जाता है। मान्यता है कि महाभारत काल में माता कुंती के आग्रह पर अर्जुन इस वृक्ष को स्वर्ग से धरती पर लाए थे। इसके अलावा, नारद मुनि ने श्रीकृष्ण को पारिजात का पौधा उपहार स्वरूप दिया था। इस वृक्ष के फूल माता लक्ष्मी को प्रिय माने जाते हैं और इसे मनोकामनापूर्ण करने वाला भी कहा जाता है।

पारिजात वृक्ष की वनस्पतिक विशेषताएँ

पारिजात का वनस्पतिक नाम निक्टेंथस आर्बोट्राइटिस है और इसे कोरल जैस्मिन और इंडियन मैग्नोलिया के नाम से भी जाना जाता है। यह वृक्ष लगभग 1000 वर्ष की आयु तक जीवित रह सकता है। इसके फूल सुगंधित और अत्यंत सुंदर होते हैं, जो सुबह के समय खिलते हैं और शाम तक मुरझा जाते हैं। यह वृक्ष न केवल धार्मिक और पौराणिक महत्व रखता है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अत्यंत लाभकारी है।

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पौधारोपण का आयोजन

पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन इग्नू समन्वयक प्रो. ललित तिवारी के नेतृत्व में हुआ। इस अभियान में प्रो. तिवारी के साथ इग्नू के कई अन्य प्राध्यापक और विद्यार्थी भी शामिल थे। पौधारोपण के दौरान प्रो. तिवारी ने बताया कि यह पहल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से विद्यार्थियों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ती है और वे इसे अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित होते हैं।

स्मृति में पौधारोपण

इस पौधारोपण कार्यक्रम को स्वर्गीय प्रो. यशपाल सिंह पांगती, स्वर्गीय डॉ. रणबीर सिंह रावल, और स्वर्गीय डॉ. सुचेतन साह की स्मृति को समर्पित किया गया। इन महान विभूतियों के सम्मान में पारिजात के पौधे रोपे गए। डॉ. हिमानी कार्की द्वारा पारिजात के पौधे उपलब्ध कराए गए। इस पौधारोपण कार्यक्रम में डॉ. नवीन पांडे, नंदा बल्लभ पालीवाल, डॉ. संदीप मैंडोलिया, गोपाल बिष्ट, कुंदन सिंह, विकास, सूरज सहित इग्नू के विद्यार्थी भी शामिल हुए।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में Plantation: एक कदम

पौधारोपण कार्यक्रम न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह समाज को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाने का भी प्रयास है। पौधों का संरक्षण और संवर्धन करना हमारी जिम्मेदारी है, क्योंकि ये हमारे पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पौधारोपण के माध्यम से हम न केवल पर्यावरण की रक्षा करते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करते हैं।

पौधारोपण (Plantation) के लाभ

पौधारोपण के कई लाभ हैं जो हमारे जीवन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। पौधे हवा को शुद्ध करते हैं, मिट्टी को स्थिर रखते हैं, जलवायु को नियंत्रित करते हैं और जीव-जंतुओं के लिए आवास प्रदान करते हैं। इसके अलावा, पौधे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी सुधारते हैं। इसलिए, पौधारोपण को प्रोत्साहित करना और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना अत्यंत आवश्यक है।

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Plantation: डीएसबी परिसर में इग्नू टीम द्वारा पौधारोपण का यह अभियान एक महत्वपूर्ण पहल है जो पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। पारिजात वृक्ष का रोपण न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि यह हमें हमारी पौराणिक और सांस्कृतिक धरोहर से भी जोड़ता है। इस पहल के माध्यम से हम न केवल पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं, बल्कि समाज को भी एक सकारात्मक संदेश दे सकते हैं। हमें इस प्रकार के कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभानी चाहिए और अपने आसपास के पर्यावरण को सुरक्षित और सुंदर बनाने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।


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