Plant Science Researchers Meet: कुमाऊं विश्वविद्यालय के देवदार सभागार में 8 और 9 नवंबर 2024 को ‘कृषि, एप्लाइड एवं जीवन विज्ञान: वनस्पति, मानव, पृथ्वी- परस्परता एवं स्थिरता’ विषय पर एक द्विदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन कुमाऊं विश्वविद्यालय और प्लांटिका संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया, जिसमें देश भर के वैज्ञानिक, शोधकर्ता, और कृषि विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस सम्मेलन का उद्देश्य कृषि, जीवन विज्ञान और एप्लाइड विज्ञान के क्षेत्र में उभरती चुनौतियों और नवाचारों पर चर्चा करना था।
उद्घाटन सत्र और विशिष्ट अतिथियों का स्वागत Plant Science Researchers Meet
सम्मेलन की शुरुआत 8 नवंबर को देवदार सभागार में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ की गई। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में जी.बी. पंत कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एम.एस. चौहान और कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. दीवान एस. रावत उपस्थित थे। इनके अलावा, सम्मानित अतिथियों में डॉ. ए.सी. मिश्रा, बांदा विश्वविद्यालय के शोध निदेशक, और डॉ. सचिन सचान, कृषि विज्ञान केंद्र रुद्रप्रयाग के प्रमुख, ने भी अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम के मुख्य संयोजक, डॉ. जीत राम, संकायाध्यक्ष (कृषि एवं कृषि वानिकी), और प्लांटिका संस्थान के संस्थापक डॉ. अनूप बडोनी ने सम्मेलन के उद्देश्यों और अपेक्षाओं पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया और सम्मेलन की सारांश पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
उद्घाटन सत्र में जी.बी. पंत कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एम.एस. चौहान को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण शिक्षाविद् पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अपने व्याख्यान में, डॉ. चौहान ने कृषि क्षेत्र में स्थिरता और विकास के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि एक बड़ी चुनौती है, जिसके लिए नई तकनीकों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग आवश्यक है।
डॉ. चौहान ने अपने संबोधन में जोर दिया कि कृषि में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का समावेश किसानों की उत्पादकता को बढ़ा सकता है और उन्हें भविष्य की चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकता है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक कृषि तकनीकों के साथ आधुनिक तकनीक का मेल ही कृषि क्षेत्र में स्थिरता ला सकता है।
औषधीय पौधों के संरक्षण पर डॉ. डी.एस. रावत का ध्यान
कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डी.एस. रावत ने अपने संबोधन में परंपरागत ज्ञान और विलुप्त होती औषधीय पौधों की प्रजातियों के संरक्षण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि औषधीय पौधे न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे हमारी सांस्कृतिक धरोहर का भी हिस्सा हैं। इन पौधों के संरक्षण और उनके उपयोग को पुनर्जीवित करने के लिए शोध और नवाचार की आवश्यकता है। Plant Science Researchers Meet
जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाने की आवश्यकता: डॉ. सचिन सचान
कृषि विज्ञान केंद्र, रुद्रप्रयाग के प्रमुख डॉ. सचिन सचान ने सम्मेलन में उपस्थित वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में किसानों के सामने रसायन रहित, गुणवत्तापूर्ण कृषि उत्पाद उगाने की चुनौती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस सम्मेलन के दौरान वैज्ञानिक इस मुद्दे पर विचार करेंगे और किसानों को रासायनिक मुक्त कृषि के लिए नए समाधान प्रदान करेंगे।
डॉ. सचान ने कहा कि सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए कृषि में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना अनिवार्य है। इसके लिए हमें नई नीतियाँ और तकनीकें विकसित करनी होंगी जो कृषि को पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ बना सकें।
तकनीकी सत्र और युवा वैज्ञानिकों के विचार
सम्मेलन के दूसरे दिन, विभिन्न तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जहाँ युवा वैज्ञानिकों ने अपने शोध कार्यों और विचारों को साझा किया। इन सत्रों में प्रस्तुत किए गए विषयों में पर्यावरण संरक्षण, कृषि उत्पादन में वृद्धि, जैव विविधता संरक्षण, और सतत विकास के लिए नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग शामिल था।
कॉन्फ्रेंस की सचिव, डॉ. वंदना नेगी ने सम्मेलन के कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की और सभी प्रतिभागियों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया। इस सत्र में प्रॉफ. आशीष तिवारी, डॉ. नीता आर्य, डॉ. नंदन मेहरा, डॉ. पूजा कैंतुरा, डॉ. भारती रमोला, और अन्य विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए।
सम्मेलन के निष्कर्ष और भविष्य की दिशा Plant Science Researchers Meet
इस द्विदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर के 200 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। सम्मेलन के अंत में, यह निष्कर्ष निकाला गया कि कृषि, जीवन विज्ञान और एप्लाइड विज्ञान के क्षेत्रों में शोध को आगे बढ़ाने की अत्यधिक आवश्यकता है। यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ, जहाँ विशेषज्ञों ने कृषि और जीवन विज्ञान में हो रहे नए शोध कार्यों और प्रौद्योगिकियों पर अपने विचार साझा किए।
अंततः, सम्मेलन ने इस बात पर जोर दिया कि स्थिरता और पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखते हुए कृषि में नवाचार की दिशा में प्रयास करने की आवश्यकता है। प्रतिभागियों ने आशा जताई कि इस तरह के सम्मेलनों से वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को नई प्रेरणा मिलेगी और वे कृषि और जीवन विज्ञान के क्षेत्र में नए समाधान विकसित कर सकेंगे।
निष्कर्ष: Plant Science Researchers Meet
कुमाऊं विश्वविद्यालय में आयोजित यह राष्ट्रीय सम्मेलन न केवल वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए एक विचार-विमर्श का मंच बना, बल्कि यह कृषि और जीवन विज्ञान के क्षेत्र में नवीन प्रौद्योगिकियों और सतत विकास के लिए नए दृष्टिकोण प्रदान करने में भी सफल रहा। सम्मेलन ने यह सिद्ध किया कि सतत कृषि और जीवन विज्ञान की दिशा में शोध और नवाचार ही भविष्य की चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं। Plant Science Researchers Meet
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ऐसे आयोजनों से न केवल किसानों को लाभ होगा, बल्कि आने वाले समय में देश की खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। उम्मीद की जाती है कि इस सम्मेलन के निष्कर्षों को लागू करने से उत्तराखंड और देश भर में कृषि के क्षेत्र में स्थिरता और प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।