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Pindar Valley पिंडर घाटी में भारी बारिश का कहर: जनजीवन अस्त-व्यस्त, सुरक्षा की चुनौतियाँ

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Pindar Valley पिंडर घाटी में भारी बारिश का कहर: जनजीवन अस्त-व्यस्त, सुरक्षा की चुनौतियाँ

Pindar Valley पिंडर घाटी, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जानी जाती है, इस समय एक गंभीर संकट का सामना कर रही है। भारी बारिश के कारण घाटी का जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। लगातार हो रही बारिश ने न केवल लोगों की सामान्य दिनचर्या को बाधित किया है, बल्कि पिंडर नदी और उसकी सहायक नदियों के जलस्तर में भारी वृद्धि भी की है, जिससे क्षेत्र में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है।

जलस्तर में वृद्धि और बाढ़ का संकट

लगातार हो रही बारिश के कारण पिंडर नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। इस बढ़ते जलस्तर ने घाटी के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित किया है। सरस्वती शिशु मंदिर थराली, बेतालेश्वर महादेव मंदिर, पिंडर पब्लिक स्कूल, रामलीला मैदान और नदी किनारे बसे कई घरों में पानी, मलबा और पत्थर घुस गया। इस कारण लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा और वे सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने के लिए भागे।

प्रशासन और पुलिस की सतर्कता

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, पुलिस और प्रशासन की टीमों ने तुरंत कार्रवाई की। थराली मुख्य बाजार, केदारबगड़, राड़ीबगड़, बुसेड़ी पुल और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में लाउडस्पीकर के माध्यम से रात भर लोगों को सतर्क किया गया। पुलिस ने लोगों से अपील की कि वे नदी के किनारे से दूर रहें और सुरक्षित स्थानों पर शरण लें। प्रशासन ने इन क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी है और आपातकालीन सेवाओं को सक्रिय कर दिया है।

बुनियादी ढांचे को नुकसान

भारी बारिश के कारण क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को भी गंभीर नुकसान पहुंचा है। थराली-देवाल मोटर मार्ग पर स्टेट बैंक के पास सिंचाई विभाग द्वारा छह माह पूर्व लगाए गए पुस्ते का ढह जाना, इसका स्पष्ट उदाहरण है। इस पुस्ते के ढह जाने से सड़क बड़े वाहनों के लिए बंद हो गई है, जिससे क्षेत्र में आवागमन बाधित हो गया है।

इसके अलावा, भेंकलताल में बादल फटने के कारण प्राणमती नदी उफान पर आ गई। इस उफान ने थराली गाँव के देवलग्वाड़, पेनगढ़, और सूना जैसे गांवों को जोड़ने वाले लकड़ी के पुल को बहा दिया। इस प्राकृतिक आपदा में थराली गाँव का 200 साल पुराना शिवालय और कई हेक्टेयर कृषि भूमि भी बाढ़ की चपेट में आकर बह गई।

संपर्क मार्गों की समस्या

थराली-डुंग्री मोटर मार्ग पर जगह-जगह मलबा आने से सड़क बंद हो गई है। इसके कारण सोल क्षेत्र का संपर्क विकासखंड मुख्यालय से कट गया है। इससे राजकीय महाविद्यालय तलवाड़ी, राजकीय आदर्श इंटर कॉलेज थराली, राजकीय बालिका इंटर कॉलेज थराली, पिंडर पब्लिक स्कूल और शिशु मंदिर के छात्र-छात्राओं और स्थानीय व्यापारियों सहित ग्रामीणों को मुख्यालय तक पहुंचने में कठिनाई हो रही है।

पेयजल की समस्या

भारी बारिश के कारण क्षेत्र में पेयजल संकट भी उत्पन्न हो गया है। कई गांवों में जलापूर्ति बाधित हो गई है, जिससे ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस संकट को दूर करने के लिए प्रशासन ने जलापूर्ति की व्यवस्था बहाल करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं, लेकिन मौसम की स्थिति को देखते हुए यह काम चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।

स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल

भारी बारिश और बाढ़ के कारण घाटी के लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। स्थानीय निवासी प्रेम बुटोला, सामाजिक कार्यकर्ता विनोद रावत, सूना प्रधान कैलाश देवराडी, पूर्व प्रधान मोहन बहुगुणा और समाजसेवी गंगा सिंह बिष्ट ने बताया कि पिंडर नदी और प्राणमती नदी के रौद्र रूप को देखकर लोगों ने पूरी रात जागकर बिताई। इस आपदा ने उनके जीवन को प्रभावित किया है, और अब वे हर पल खतरे की आशंका में जी रहे हैं।

प्रशासन की तत्परता और राहत कार्य

प्रशासन ने इस आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए तत्परता दिखाई है। लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता जगदीश चंद्र टम्टा ने दूरभाष पर हुई वार्ता में बताया कि थराली-डुंग्री मोटर मार्ग को खोलने के लिए जेसीबी मशीन भेज दी गई है, और जल्द ही सड़क को खोलने का काम शुरू कर दिया जाएगा। इस कदम से लोगों को आवागमन की असुविधा से राहत मिलेगी।

भविष्य की चुनौतियाँ और आवश्यक उपाय

भारी बारिश और बाढ़ के कारण उत्पन्न स्थिति ने स्पष्ट कर दिया है कि पिंडर घाटी को भविष्य में और भी अधिक प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, प्रशासन और स्थानीय निवासियों को मिलकर भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।

सरकार को घाटी के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और नदी किनारे के क्षेत्रों में सुरक्षा उपायों को बढ़ाने की आवश्यकता है। जल प्रबंधन, आपातकालीन सेवाओं की तत्परता और स्थानीय समुदायों की जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालिक योजनाएँ भी बनानी होंगी, ताकि भविष्य में इस तरह की आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।

Pindar Valley

पिंडर घाटी में भारी बारिश के कारण उत्पन्न स्थिति ने इस क्षेत्र की भौगोलिक और पर्यावरणीय संवेदनशीलता को उजागर किया है। इस आपदा ने जहां जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, वहीं प्रशासन और स्थानीय समुदायों के लिए भी गंभीर चुनौतियाँ पेश की हैं।

हालांकि, प्रशासन की त्वरित कार्रवाई और राहत प्रयासों ने स्थिति को संभालने में मदद की है, लेकिन यह स्पष्ट है कि भविष्य में इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए और भी अधिक तैयारी और सावधानी की आवश्यकता होगी। पिंडर घाटी की सुरक्षा और स्थायित्व के लिए सभी हितधारकों को मिलकर काम करना होगा, ताकि इस क्षेत्र को प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखा जा सके और यहां के निवासियों का जीवन सुरक्षित और समृद्ध हो सके।


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