Nitish Kumar Ji and Chandrababu Naidu Sahib नितीश कुमार जी और चंद्रबाबू नायडु साहब को भाजपा के साथ गठबंधन की चेतावनी और अनुभव
भारतीय राजनीति में गठबंधन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समय-समय पर विभिन्न राजनीतिक दल अपने अस्तित्व और प्रभाव को बनाए रखने के लिए गठबंधन बनाते हैं। लेकिन, कुछ गठबंधन ऐसे होते हैं जो अपने सहयोगी दलों के लिए नुकसानदायक साबित होते हैं। विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन के परिणामस्वरूप कई दलों ने अपने अस्तित्व पर संकट का सामना किया है। यह लेख नितीश कुमार और चंद्रबाबू नायडु (Nitish Kumar Ji and Chandrababu Naidu Sahib) के लिए एक चेतावनी है, जो अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर भाजपा के साथ संभावित गठबंधन पर विचार कर रहे हैं।
शरद पवार और उद्धव ठाकरे का अनुभव
शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने भाजपा के साथ गठबंधन का दर्द झेला है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने लंबे समय तक भाजपा के साथ गठबंधन किया था, लेकिन अंततः उनके संबंध टूट गए। शरद पवार की पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), भी भाजपा के साथ गठबंधन के बाद विवादों में आई। इन अनुभवों से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा के साथ गठबंधन करना आसान नहीं होता और इसके अपने जोखिम होते हैं।
नवीन पटनायक, जो बीजू जनता दल (बीजद) के प्रमुख हैं, ने लंबे समय तक पर्दे के पीछे से भाजपा की मदद की। लेकिन आज वह अपने राज्य से बेदखल हो चुके हैं। यह उदाहरण बताता है कि भाजपा के साथ सहयोग करने के बावजूद, एक पार्टी अपने राज्य में अपनी पकड़ खो सकती है।
मायावती और बसपा का ह्रास
मायावती, जो कभी भारत की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख थीं, आज शून्य पर पहुँच चुकी हैं। भाजपा से डरने वाली मायावती का राजनीतिक अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा से डरना या सहयोग करना, दोनों ही विकल्पों में नुकसान संभव है।
अकाली दल का पतन
कभी पंजाब में दबदबा रखने वाले भाजपा के लंबे समय से गठबंधन सहयोगी रहे अकाली दल आज एक सीट पर सिमट गए हैं। यह दिखाता है कि भाजपा के साथ गठबंधन ने अकाली दल को राजनीतिक हाशिये पर धकेल दिया।
जयललिता की पार्टी का पतन
तमिलनाडु में कभी बहुत बड़ी शक्ति होने वाली जयललिता की पार्टी, अन्नाद्रमुक (AIADMK), आज मृतप्राय हो चुकी है। भाजपा के साथ गठबंधन ने AIADMK की राजनीतिक स्थिति को कमजोर कर दिया है।
जजपा का ह्रास
हरियाणा में कुछ साल पहले नई शक्ति के तौर पर उभरी जननायक जनता पार्टी (जजपा) एक ही बार भाजपा के मोहपाश में फँसी और राजनीतिक रसातल में पहुँच गई। यह दिखाता है कि भाजपा के साथ गठबंधन में फंसना नई पार्टियों के लिए हानिकारक हो सकता है।
महबूबा मुफ्ती और पीडीपी का ह्रास
जम्मू और कश्मीर में भाजपा के साथ सरकार चलाने वाली महबूबा मुफ्ती की पार्टी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), का आज कुछ पता नहीं है। भाजपा के साथ गठबंधन ने पीडीपी की राजनीतिक स्थिति को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया।
नितीश कुमार का ह्रास
बिहार की राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाने वाले नितीश कुमार भी भाजपा के साथ गठबंधन के कारण विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर की पार्टी बन गए थे। यह दर्शाता है कि भाजपा के साथ गठबंधन ने नितीश कुमार की पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), को नुकसान पहुंचाया।
चंद्रबाबू नायडु का पुनरुत्थान
चंद्रबाबू नायडु, जो एक समय आंध्र प्रदेश के सर्वोच्च नेता थे, भाजपा के साथ गठबंधन के कारण धीरे-धीरे गायब हो गए थे। हालांकि, उन्होंने कड़ी मेहनत और रणनीतिक निर्णयों के साथ अपने राजनीतिक करियर को पुनर्जीवित किया। यह एक महत्वपूर्ण सबक है कि भाजपा के साथ गठबंधन से नुकसान हो सकता है, लेकिन सही कदम उठाने से वापसी संभव है।
ममता बनर्जी का सफल निर्णय
ममता बनर्जी ने समय रहते भाजपा से अपना संबंध समाप्त कर दिया था और आज भी वह बंगाल की मुख्यमंत्री हैं। यह दिखाता है कि भाजपा से समय पर अलग होना राजनीतिक अस्तित्व और सफलता के लिए आवश्यक हो सकता है।
निष्कर्ष
नितीश कुमार और चंद्रबाबू नायडु के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे भाजपा के साथ संभावित गठबंधन के परिणामों को समझें। विभिन्न दलों के अनुभवों से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा के साथ गठबंधन में जोखिम हैं और यह गठबंधन लंबे समय में नुकसानदायक साबित हो सकता है। राजनीतिक निर्णय लेते समय इन तथ्यों का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि भविष्य में पार्टी और व्यक्तिगत राजनीतिक करियर सुरक्षित रह सकें।