नई शिक्षा नीति 2020: शिक्षा का नया परिदृश्य
शिक्षा का महत्व हमारे समाज के विकास में अत्यधिक मान्यता प्राप्त है। भारतीय समाज को नवीनतम शिक्षा नीति “नई शिक्षा नीति 2020” के प्रस्तावों का स्वागत करना चाहिए। इस नीति के अनुसार, शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है व्यक्तिगत शक्तियों का विकास करना। शिक्षा केवल ज्ञान नहीं, बल्कि चरित्र और संस्कार का निर्माण करने का एक माध्यम होना चाहिए।
व्यक्तिगत शक्तियों का विकास करना शिक्षा के उद्देश्यों में से एक उद्देश्य है। शिक्षा का अर्थ केवल डिग्री लेना कतई नहीं है। यह मनुष्य के चरित्र को पवित्र व सुंदर बनाता है। यह हमें प्रकृति के अनुसार लचीला, परिवर्तनशील व अनुकूलित बनाने का प्रशिक्षण देता है। यह सब निर्भर करता है शिक्षा नीति पर। शिक्षा नीति जितनी सशक्त और दूर दृष्टियुक्त होगी, वह देश उतना ही विकास करेगा। भारत में सन् 1968 और 1986 के बाद वर्ष 2020 में तीसरी बार नई शिक्षा नीति लागू की गई। नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को 29 जुलाई 2020 को केन्द्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दी। यह नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के0 कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।
नई शिक्षा नीति के अनुसार, हमारी शिक्षा व्यवस्था को 5-3-3-4 का नया प्रारूप दिया गया है। इस नए प्रारूप के अनुसार, बच्चों को चार विभिन्न चरणों में शिक्षा प्राप्त कराया जाएगा।
1. फाउंडेशनल स्टेज (3 वर्ष): यह चरण बच्चों की प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा के लिए होगा। इसमें मुफ्त, सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण बाल्यावस्था शिक्षा, खेल आधारित शिक्षा, और देखभाल शामिल होगी।
2. प्रिपरेटरी स्टेज (3 वर्ष): यह चरण बच्चों की अवधिकी शिक्षा के लिए होगा, जहां मातृभाषा या स्थानीय भाषा को महत्व दिया जाएगा।
3. मिडिल स्कूल स्टेज (3 वर्ष): इस चरण में गणित, विज्ञान, कंप्यूटर जैसे विषयों के साथ-साथ वोकेशनल कोर्सेज प्रदान किए जाएंगे।
4. सैकेंडरी स्टेज (4 वर्ष): इस चरण में छात्रों को विषयों में गहराई से पढ़ाया जाएगा और उन्हें स्ट्रीम चुनने की ज़रूरत नहीं होगी।
अभी हमारी स्कूल व्यवस्था 10 + 2 पर आधारित है यानी 10वीं तक सारे विषय की पढ़ाई तथा 11वीं में स्ट्रीम तय करनी होती है। अब यह व्यवस्था बदलकर 5 + 3 + 3 + 4 कर दी गई है। इसके तहत फाउंडेशनल स्टेज (दो भागों में अर्थात् आंगनबाड़ी / प्री स्कूल के 3 साल + प्राथमिक स्कूल में कक्षा 1 व कक्षा 2 में कुल 2 साल, 3 से 8 वर्ष के बच्चों सहित ), प्रिपरेटरी स्टेज (कक्षा 3-5, 8 से 11 वर्ष के बच्चों सहित), मिडिल स्कूल स्टेज (कक्षा 6-8, 11 से 14 वर्ष के बच्चों सहित) और सैकेंडरी स्टेज (कक्षा 9-12, 14 से 18 वर्ष के बच्चों सहित) शामिल होंगी।
फाउंडेशनल स्टेज में 03 वर्ष के बच्चों को शामिल कर प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) की एक मजबूद बुनियाद को शामिल किया गया है। उसे 06 साल के बच्चों के लिए प्री स्कूल / बालवाटिका / आंगनबाड़ी के माध्यम से मुफ्त, सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा, खेल आधारित शिक्षा और देखभाल की उपलब्धता को सुनिश्चित करना है। 6 से 8 वर्ष के बच्चों को प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 1 व 2 में बिना किसी परीक्षा के शिक्षा प्रदान की जायेगी। इसके पश्चात प्रिपरेटरी स्टेज में कक्षा 5 तक की शिक्षा में मातृभाषा / स्थानीय / क्षेत्रीय भाषा को अध्यापन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है और इस स्टेज से बच्चों की परीक्षा शुरू हो जायेगी।
इसके पश्चात मिडिल स्टेज में कक्षा 6 से 8 के लिए गणित, विज्ञान, कम्प्यूटर के साथ वोकेशनल कोर्स पढ़ाए जाएंगे और उसके साथ-साथ कोई एक भारतीय भाषा भी बच्चों को सिखाई जाएगी। सैकेंडरी स्टेज स्कूली शिक्षा के अंतिम 4 साल यानी 9वीं से लेकर 12वीं तक एक समान माना गया है, जिसमें विषय गहराई से पढ़ाए जाएंगे, लेकिन स्ट्रीम चुनने की जरूरत नहीं होगी। भौतिक विज्ञान का छात्र चाहे तो अर्थशास्त्र भी पढ़ पाएगा या कोई अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधि जैसे संगीत या कोई खेल, को भी एक विषय के रूप में चयन करने के लिए स्वतंत्र होगा। यहॉं पर छात्रों को कोई थ्वतमपहद स्ंदहनंहम का भी ज्ञान दिया जाएगा।
स्नातक पाठ्यक्रम
इस नई शिक्षा नीति के अनुसार, स्नातक की अवधि 4 वर्ष होगी। स्नातक के बाद, छात्रों को विभिन्न विषयों में विशेषज्ञता हासिल करने का अवसर मिलेगा।
1. प्रथम वर्ष: लाइबरल आर्ट्स और सामाजिक विज्ञान
2. द्वितीय वर्ष: विज्ञान और गणित
3.तृतीय वर्ष: कृषि और उद्योग
4. चतुर्थ वर्ष: टेक्नोलॉजी और मैनेजमेंट
इस प्रकार, प्रत्येक वर्ष के अंत में परीक्षार्थी को विभिन्न उपाधियाँ प्राप्त होंगी।
समापन
नई शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य है शिक्षा के माध्यम से सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान करना। अगर हम इस नीति के प्रस्तावों का पालन करें, तो निश्चित रूप से भारत फिर से विश्वगुरू बन सकता है।