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Negi Da: उत्तराखंड के महान लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी: लोक संस्कृति के सच्चे प्रहरी

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Negi Da: उत्तराखंड के महान लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी: लोक संस्कृति के सच्चे प्रहरी

देहरादून: उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को अपने गीतों और संगीत के माध्यम से सजाने और संवारने वाले प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी (Negi Da) को सम्मानित करने के लिए हरिद्वार रोड स्थित संस्कृति प्रेक्षागृह में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और नरेंद्र सिंह नेगी के 50 वर्षों की गीत यात्रा को सम्मानित करते हुए उन्हें उत्तराखंड लोक सम्मान से सम्मानित किया। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने “कल फिर जब सुबह होगी” नामक पुस्तक का विमोचन भी किया, जो श्री ललित मोहन रयाल द्वारा नेगी जी की रचनाओं पर लिखी गई है।

नरेंद्र सिंह नेगी: उत्तराखंड की आवाज Negi Da

नरेंद्र सिंह नेगी को देवभूमि का महान सपूत और पहाड़ की आवाज के रूप में जाना जाता है। उनकी आवाज़ में वह ताकत और मिठास है, जो उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति, परंपराओं, और प्राकृतिक सौंदर्य को जीवंत करती है। नेगी जी के गीतों में पहाड़ की चुनौतियों, लोगों के संघर्ष, और उनके जीवन की व्यथा-कथा को बड़े ही सरल और संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत किया गया है। उनके गीत न केवल मनोरंजन करते हैं, बल्कि एक गहरा संदेश भी देते हैं, जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नेगी जी के गीतों की तारीफ करते हुए कहा कि उनके गीत हमें हमारे परिवेश के साथ पहाड़ की चुनौतियों से परिचित कराते हैं। उनके गीतों में प्रकृति, परंपरा, परिवेश, विरह-वियोग, और व्यथा का जो मिश्रण है, वह हमारी समृद्ध परंपराओं और लोक संस्कृति से जोड़ता है। उनके गीतों ने पीढ़ी दर पीढ़ी हमारी धरोहर को जीवंत रखने का काम किया है, और वे आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करते रहेंगे।

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“कल फिर जब सुबह होगी” का विमोचन

कार्यक्रम के दौरान, मुख्यमंत्री ने श्री ललित मोहन रयाल द्वारा लिखित पुस्तक “कल फिर जब सुबह होगी” का विमोचन किया। यह पुस्तक नेगी जी के 101 गीतों की विवेचना पर आधारित है, जिसमें 400 पृष्ठों का एक ग्रंथ तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री ने इस पुस्तक के लेखन के लिए लेखक की सराहना की और इसे भावी पीढ़ी के लिए एक महत्वपूर्ण धरोहर बताया। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से नेगी जी के गीतों की गहराई और उनके महत्व को समझने में मदद मिलेगी। यह पुस्तक न केवल नेगी जी के गीतों का विश्लेषण करती है, बल्कि उत्तराखंड की लोक संस्कृति की गहराई को भी उजागर करती है।

उत्तराखंड लोक सम्मान से सम्मानित

मुख्यमंत्री ने नरेंद्र सिंह नेगी को उत्तराखंड लोक सम्मान से सम्मानित किया और उन्हें 2.51 लाख रुपये का चेक भेंट किया। साथ ही, एक प्रशस्ति पत्र देकर उन्हें उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि नेगी जी ने अपने जीवन को लोक संगीत और समाज सेवा के प्रति समर्पित कर दिया है। वे वास्तव में समाज के सफल नायक हैं, जिन्होंने अपने गीतों के माध्यम से लोगों को उनकी परंपराओं और संस्कृति से जोड़ने का कार्य किया है।

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पलायन रोकने का संदेश

कार्यक्रम में नरेंद्र सिंह नेगी ने अपने प्रसिद्ध गीत “ठंडो रे ठंडो” का गायन किया, जिसे उन्होंने पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकने के उद्देश्य से लिखा था। इस गीत ने श्रोताओं को न केवल मनोरंजन किया, बल्कि उन्हें अपनी मिट्टी और संस्कृति से जुड़े रहने के लिए प्रेरित भी किया। नेगी जी ने अपने इस गीत के माध्यम से संदेश दिया कि अगर हमें अपनी संस्कृति, परंपराओं और धरोहर को बचाना है, तो हमें अपने गांवों और पहाड़ों से जुड़कर रहना होगा।

मुख्यमंत्री का आभार

नरेंद्र सिंह नेगी ने उत्तराखंड की लोक संस्कृति के प्रति मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लगाव के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का यह प्रयास उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। नेगी जी ने ललित मोहन रयाल के प्रयासों की भी सराहना की और कहा कि उन्होंने अपनी विद्वता से उनके गीतों का विवेचन करके समाज के सामने प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक वास्तव में लोक साहित्य और संस्कृति के प्रति उनकी गहरी समझ का प्रतीक है।

समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति

इस समारोह में उत्तराखंड के कई प्रमुख व्यक्ति और साहित्यकार भी उपस्थित थे। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार रतूड़ी, साहित्यकार नंद किशोर हटवाल, दिनेश सेमवाल, सचिदानंद भारती, और गणेश खुकसाल गणी जैसे प्रमुख व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे। इसके अलावा, बड़ी संख्या में साहित्यकार और लोक संस्कृति से जुड़े लोग भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बने।

Negi Da

नरेंद्र सिंह नेगी ने उत्तराखंड की लोक संस्कृति को अपने गीतों के माध्यम से जीवंत बनाए रखा है। उनके गीत न केवल उत्तराखंड की धरोहर हैं, बल्कि वे हमारी समृद्ध परंपराओं और विरासत को भी संरक्षित करने का कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा उन्हें उत्तराखंड लोक सम्मान से सम्मानित करना इस बात का प्रमाण है कि नेगी जी ने अपने जीवन में जो योगदान दिया है, वह अतुलनीय है। उनकी आवाज़ और उनके गीत हमें हमेशा हमारी जड़ों से जोड़े रखेंगे और हमें हमारी संस्कृति और परंपराओं की याद दिलाते रहेंगे।


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