Navy Band performance: विरासत महोत्सव: कला, संगीत और पर्यावरण की अनूठी प्रस्तुति
Navy Band performance: उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित विरासत महोत्सव ने कला, संगीत और पर्यावरण संरक्षण का बेहतरीन संगम प्रस्तुत किया। इस महोत्सव के दौरान गढ़वाली लोकगीत, नेवी बैंड की धुनें, और उस्ताद जावद अली के शास्त्रीय संगीत ने मन-हृदय को छू लिया। इसके साथ ही, पर्यावरण संरक्षण पर आयोजित सेमिनार में महत्वपूर्ण मुद्दों पर पैनल चर्चा भी की गई। Navy Band performance
गढ़वाली लोकगीतों का जादू
महोत्सव की शुरुआत गढ़वाली लोकगीतों की भावपूर्ण प्रस्तुतियों से हुई। नव ज्योति संस्कृत एवं सामाजिक संस्था के कलाकारों ने गढ़ वंदना से संध्या का शुभारंभ किया, जिसने दर्शकों को गढ़वाल की आध्यात्मिक विरासत की झलक दी। इसके बाद थड़िया, चौफला, छौपति और बाजूबंध जैसे पारंपरिक लोकगीतों की प्रस्तुति ने माहौल को जीवंत बना दिया। Navy Band performance
प्रसिद्ध गायक प्रदीप असवाल और सुनील कोढ़ियाल ने अपने गीतों से समां बांध दिया, जबकि रेनू बाला और सुनंदा ने अपने गायन से प्रस्तुति को और समृद्ध किया। सुमित गुसाईं और सचिन वर्मा की ढोलक पर थापों और अखिल मैंदोला के कीबोर्ड ने लोकसंगीत को जीवंत बना दिया। पारंपरिक गीतों ने न केवल मनोरंजन किया बल्कि गढ़वाल की सांस्कृतिक जड़ों से भी जोड़ने का काम किया।
उस्ताद जावद अली की मनमोहक प्रस्तुति
सांस्कृतिक संध्या का मुख्य आकर्षण रहे उस्ताद जावद अली, जिनकी मधुर आवाज और शास्त्रीय रागों की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत राग बिहाग से की, जिसे तानपुरा पर डॉ. दीपक वर्मा और अंगद सिंह ने संगत दी। हारमोनियम पर पारोमिता दास और तबले पर पंडित शुभ महाराज ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। Navy Band performance
अली ने ख़याल और ठुमरी को अनोखे अंदाज में पेश कर महफिल को सजाया। उनकी प्रस्तुतियों में “याद पिया की आए” और “बाली उमरया” जैसे लोकप्रिय गीतों ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनकी प्रस्तुति का स्वागत किया। जावद अली का यह कार्यक्रम उनके कसूर पटियाला घराने की समृद्ध संगीत परंपरा को आगे बढ़ाने का उत्कृष्ट उदाहरण रहा।
नेवी बैंड की धुनों पर झूम उठे दर्शक
इस सांस्कृतिक महोत्सव में भारतीय नौसेना के नेवी बैंड की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ सेवानिवृत्त कमोडोर गौतम नेगी के प्रेरणादायक भाषण से हुआ। उन्होंने समुद्र और नौसेना के योगदान की चर्चा करते हुए युवाओं को रक्षा सेवाओं में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। सब लेफ्टिनेंट श्रेया जोशी ने भारतीय नौसेना के इतिहास और देश के प्रति उसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। Navy Band performance
Suryavanshi Vanshaj – Jagati ki Jyoti आत्मा और परमात्मा के संबंध को मजबूत करता है
बैंड ने मंगल धुन से शुरुआत की और इसके बाद उत्तराखंड के लोकगीतों, नौसेना के मार्च गीतों और बॉलीवुड के लोकप्रिय गानों से माहौल में जोश भर दिया। बैंड की इस प्रस्तुति ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि भारतीय नौसेना के गौरवपूर्ण इतिहास का भी बखान किया।
विरासत महोत्सव में छात्रों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
महोत्सव के दौरान आरएएन पब्लिक स्कूल, रुद्रपुर और द एशियन स्कूल, देहरादून सहित कई प्रतिष्ठित स्कूलों के छात्रों ने शास्त्रीय संगीत और नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। गिटार, तबला, हारमोनियम और अन्य वाद्ययंत्रों पर छात्रों की प्रतिभा को देखकर दर्शक अभिभूत हो गए। Navy Band performance
इस अवसर पर प्रतिभागी छात्रों में अर्णव खंडूरी, दिवित श्रीवास्तव, सिद्धांत राजोरिया और आराध्या बालोनी जैसी युवा प्रतिभाओं ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इन प्रस्तुतियों ने न केवल छात्रों को मंच प्रदान किया, बल्कि उनकी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का अवसर भी दिया।
पर्यावरण जागरूकता पर सेमिनार: “एकल उपयोग प्लास्टिक”
विरासत महोत्सव के अंतर्गत डीआईटी विश्वविद्यालय में “एकल उपयोग प्लास्टिक” पर एक जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में मुख्य अतिथि लोकेश ओहरी ने पर्यावरण संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि पर्यावरण को शुद्ध रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग से पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है और इसे नियंत्रित करना समय की मांग है।
इस सेमिनार में आईआईटी रुड़की के डॉ. के.के. गायकवाड, डीआईटी की डॉ. एकता, दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी के डॉ. सुधीर वारडकर, और रिच संस्था की ओर से विजयश्री जोशी ने भी अपने विचार रखे। वक्ताओं ने सिंगल-यूज प्लास्टिक से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान पर चर्चा की और जागरूकता बढ़ाने की अपील की।
सेमिनार के उद्देश्यों और संदेशों का महत्व
रिच संस्था के सहयोग से आयोजित इस सेमिनार का उद्देश्य उत्तराखंड जैसे पर्यावरण-संवेदनशील राज्य के सामने आने वाली चुनौतियों पर विचार-विमर्श करना था। चर्चा के दौरान वक्ताओं ने सतत विकास और प्लास्टिक के विकल्प अपनाने पर जोर दिया। डॉ. मधु बेन शर्मा (यूपीईएस) और श्री रवि पांडे (अर्बन डेवलपमेंट डायरेक्टरेट) जैसे विशेषज्ञों की उपस्थिति ने सेमिनार को और प्रभावी बना दिया। Navy Band performance
समापन और भविष्य की दिशा Navy Band performance
विरासत महोत्सव के इस संस्करण ने संस्कृति, कला और पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने का सफल प्रयास किया। गढ़वाली लोकगीतों और नेवी बैंड की प्रस्तुतियों से जहां दर्शकों का मनोरंजन हुआ, वहीं सेमिनार के जरिए पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया। Navy Band performance
यह महोत्सव न केवल उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रखने का प्रयास है, बल्कि युवाओं को सांस्कृतिक गतिविधियों में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करने का मंच भी प्रदान करता है। नेवी बैंड की प्रस्तुति और उस्ताद जावद अली के सुरों की मिठास लंबे समय तक श्रोताओं के मन में गूंजती रहेगी।
विरासत महोत्सव ने कला, संस्कृति और पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के साथ एक यादगार अनुभव प्रस्तुत किया।