Nainital News Tiger: नैनीताल में गुलदार का खौफ; पालतू कुत्तों पर मंडराता खतरा
उत्तराखंड के नैनीताल में इन दिनों गुलदार (Nainital News Tiger) का आतंक चरम पर है। शहर के सुंदर और शांत वातावरण में भी एक तिब्बती परिवार का जीवन गुलदार की वजह से अस्त-व्यस्त हो गया है। तिब्बती नागरिक टेंज़िन छोवांग, जो अपने परिवार के साथ सुख निवास इलाके में रहते हैं, ने इस डरावनी वास्तविकता का सामना किया है। उनका कहना है कि 2019 से अब तक गुलदार 18 से 20 कुत्तों को अपना शिकार बना चुका है। यह कहानी न केवल एक परिवार के साहस और सुरक्षा के प्रयासों को बताती है, बल्कि स्थानीय वन्यजीवन और मानव जीवन के बीच की जटिलताओं को भी उजागर करती है।
गुलदार का कहर और तिब्बती समुदाय
स्नो व्यू की पहाड़ी पर स्थित तिब्बती नागरिकों की बस्ती ‘सुख निवास’ में रहने वाले टेंज़िन छोवांग और उनके परिवार ने अपने कुत्तों के लिए एक लोहे का केनल बनाया है। कुत्तों के प्रति उनके स्नेह और देखभाल के बावजूद, उन्हें गुलदार के खौफ का सामना करना पड़ रहा है। हर शाम, वे अपने पालतू कुत्तों को केनल में बंद कर देते हैं। सर्दियों में यह काम शाम 5 बजे और गर्मियों में 7:30 बजे तक पूरा हो जाता है।
डरावनी रात का अनुभव
हाल ही में, एक घटना ने छोवांग परिवार को झकझोर कर रख दिया। देर रात कुत्तों के जोर-जोर से भौंकने पर टेंज़िन छोवांग ने घर में लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की। जो दृश्य उन्होंने देखा, वह बेहद डरावना था। एक वयस्क गुलदार बेखौफ केनल के बाहर मंडरा रहा था, जैसे कि शिकार की तलाश में हो। यह मंजर देखकर परिवार ने फौरन अपने कुत्तों और उनके बच्चों को अंधेरा होते ही केनल में डाल दिया। गुलदार की महक से सहमे कुत्तों की आवाज तक नहीं निकल रही थी।
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स्थानीय समुदाय की चिंताएं
यह समस्या केवल छोवांग परिवार की नहीं है। नैनीताल के कई अन्य परिवार भी इस खौफ से परेशान हैं। गुलदार का आतंक न केवल उनके पालतू जानवरों के लिए खतरा है, बल्कि यह उनके दैनिक जीवन को भी प्रभावित करता है। बच्चों को शाम के समय बाहर खेलना मना कर दिया गया है, और लोग रात में घर से बाहर निकलने से बचते हैं।
वन्यजीव विभाग की प्रतिक्रिया
वन्यजीव विभाग को इस समस्या की पूरी जानकारी है। उन्होंने इलाके में गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाए हैं, लेकिन अब तक वे सफल नहीं हो पाए हैं। वन विभाग के अधिकारी लगातार गश्त कर रहे हैं और स्थानीय लोगों को सावधान रहने की सलाह दे रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया है कि लोग अपने कचरे को ढककर रखें और घर के आसपास की जगह साफ-सुथरी रखें ताकि गुलदार भोजन की तलाश में वहां न आए।
समाधान की दिशा में प्रयास
इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए स्थानीय प्रशासन और वन्यजीव विभाग को मिलकर काम करना होगा। संभावित उपायों में गुलदारों के लिए सुरक्षित आवास और भोजन की व्यवस्था करना, जंगलों में उनके लिए जल स्रोतों की स्थापना करना और ग्रामीणों को जागरूक करना शामिल है। साथ ही, पालतू जानवरों के मालिकों को अपने पालतू कुत्तों की सुरक्षा के लिए केनल और अन्य सुरक्षा उपाय अपनाने चाहिए।
तिब्बती संस्कृति और कुत्तों का महत्व
टेंज़िन छोवांग का परिवार तिब्बती समुदाय से है, जहां कुत्तों को विशेष सम्मान और देखभाल दी जाती है। तिब्बती कुत्तों को पारंपरिक रूप से घर की सुरक्षा और परिवार के सदस्यों के साथी के रूप में पाला जाता है। इन कुत्तों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना केवल एक पारिवारिक जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह तिब्बती संस्कृति और परंपराओं का सम्मान भी है।
अंतर्मुखी संघर्ष
गुलदार और इंसान के बीच का संघर्ष न केवल नैनीताल की समस्या है, बल्कि यह एक वैश्विक मुद्दा है। यह संघर्ष हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम कैसे एक साथ मिलकर प्रकृति और वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व में रह सकते हैं। वन्यजीवों की सुरक्षा और उनके आवासों की रक्षा करने के साथ-साथ मानव जीवन और उसकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है।
निष्कर्ष
नैनीताल में गुलदार का खौफ और तिब्बती परिवारों की चुनौतियाँ हमें यह सिखाती हैं कि कैसे वन्यजीव और इंसान का सह-अस्तित्व एक जटिल लेकिन महत्वपूर्ण मुद्दा है। इस समस्या का समाधान मिलकर निकालना होगा ताकि इंसान और वन्यजीव दोनों ही सुरक्षित और स्वतंत्र रूप से जी सकें। टेंज़िन छोवांग और उनके परिवार की साहसिक कहानी हमें यह प्रेरणा देती है कि हम अपनी सुरक्षा और जिम्मेदारियों को कैसे निभा सकते हैं, और साथ ही अपने पालतू जानवरों की भी देखभाल कर सकते हैं