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Mid Day Meals प्रधानाध्यापक सस्पेंड; बच्चों की फर्जी हाजिरी लगाकर मिड-डे मील डकार गया प्रधानाध्यापक


Mid Day Meals बच्चों की फर्जी हाजिरी लगाकर मिड-डे मील डकार रहे प्रधानाध्यापक सस्पेंड

Mid Day Meals: शिक्षा का अधिकार बच्चों का मौलिक अधिकार है और इसके अंतर्गत मिड-डे मील योजना बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चलाई जाती है। लेकिन, जब इस योजना में भ्रष्टाचार और अनियमितताएं सामने आती हैं, तो यह न केवल योजना की साख पर बट्टा लगाती है बल्कि बच्चों के अधिकारों का भी हनन होता है। ऐसा ही एक मामला उत्तराखंड के सिडकुल में सामने आया, जहाँ बच्चों की फर्जी हाजिरी लगाकर मिड-डे मील डकार रहे प्रधानाध्यापक को सस्पेंड कर दिया गया।

मामला: बालेकी युसूफनगर विद्यालय

मामला ब्लॉक भगवानपुर के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बालेकी युसूफनगर का है। 21 फरवरी को विद्यालय के निरीक्षण के दौरान जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक शिक्षा) आशुतोष भंडारी ने पाया कि बच्चों की उपस्थिति कम थी, जबकि मिड-डे मील की डिमांड अधिक भेजी गई थी।

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निरीक्षण और अनियमितताएं Mid Day Meals

जिला शिक्षा अधिकारी आशुतोष भंडारी ने 21 फरवरी को विद्यालय का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि:

  • दोपहर 12:30 बजे तक कक्षाओं की उपस्थिति दर्ज नहीं की गई थी।
  • प्रधानाध्यापक ने मिड-डे मील के लिए 98 बच्चों की उपस्थिति की सूचना भेजी, जबकि मौके पर केवल 61 बच्चे उपस्थित थे।
  • जब अन्य बच्चों के बारे में पूछा गया तो बताया गया कि बच्चे घर चले गए हैं।
  • रैंडम चेकिंग के दौरान 20 फरवरी की उपस्थिति जांची गई, जिसमें कक्षा 3 में 22 बच्चों की उपस्थिति की पुष्टि हुई, जबकि प्रधानाध्यापक की ओर से 37 बच्चों की उपस्थिति दर्ज की गई थी।
  • अनुपस्थित बच्चों की लगातार उपस्थिति दर्ज की जा रही थी।
  • अन्य शिक्षकों से पूछताछ के दौरान पता चला कि प्रधानाध्यापक स्वयं बैठकर अनुपस्थिति दर्ज करने से इन्कार करते थे।

कार्रवाई और निष्कर्ष

जांच की रिपोर्ट में उप शिक्षा भगवानपुर द्वारा गड़बड़ियों की पुष्टि होने के बाद प्रधानाध्यापक अहसान अहमद को सस्पेंड कर भगवानपुर कार्यालय में अटैच कर दिया गया। यह कार्रवाई शिक्षा विभाग की सख्ती और पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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प्रभाव और निष्कर्ष

इस प्रकार की घटनाएं शिक्षा व्यवस्था और बच्चों के अधिकारों के लिए बेहद हानिकारक होती हैं। प्रधानाध्यापक की इस हरकत ने न केवल बच्चों के पोषण के अधिकार को छीनने का प्रयास किया, बल्कि मिड-डे मील योजना की साख पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई न केवल जरूरी है बल्कि इससे अन्य विद्यालयों और शिक्षकों को भी एक सख्त संदेश जाता है कि अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

शिक्षा विभाग को ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए नियमित निरीक्षण और कड़ी निगरानी की व्यवस्था को और सुदृढ़ करना चाहिए, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रह सके और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित न किया जा सके।

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