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MBBS Course हरिद्वार मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स: देरी के कारण और भविष्य की संभावनाएं

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MBBS Course हरिद्वार मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स: देरी के कारण और भविष्य की संभावनाएं

हरिद्वार, उत्तराखंड का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र, अब चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना योगदान देने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। हरिद्वार जिले के जगजीतपुर में स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज का निर्माण एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जिसका उद्देश्य चिकित्सा शिक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवाओं को भी सुदृढ़ बनाना है। हालांकि, इस साल एमबीबीएस कोर्स (MBBS Course) शुरू करने की उम्मीदें पूरी नहीं हो पाई हैं। इस लेख में हम इस देरी के प्रमुख कारणों और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

निर्माण और स्टाफ की कमी

निर्माण कार्य की स्थिति

राजकीय मेडिकल कॉलेज हरिद्वार में निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन अभी भी कई महत्वपूर्ण कार्य पूरे होने बाकी हैं। भवन निर्माण के साथ-साथ चिकित्सा उपकरणों की व्यवस्था और अन्य आधारभूत संरचनाओं की स्थापना में समय लग रहा है।

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स्टाफ की कमी

सबसे बड़ी समस्या स्टाफ की कमी है। पिछले वर्ष दिसंबर में सरकार ने असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, नर्सिंग टेक्निकल और अन्य कर्मचारियों के 950 पद सृजित करने की मंजूरी दी थी। लेकिन अभी तक इन पदों पर नियुक्ति नहीं हो पाई है।

चिकित्सा उपकरणों की अनुपलब्धता

चिकित्सा उपकरणों की सुविधा भी एक प्रमुख चुनौती है। मेडिकल कॉलेज में आधुनिक चिकित्सा उपकरणों की स्थापना अभी तक नहीं हो पाई है, जो एमबीबीएस कोर्स के संचालन के लिए आवश्यक हैं। बिना इन उपकरणों के, छात्रों को उचित शिक्षा और प्रशिक्षण नहीं मिल पाएगा।

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MBBS Course हरिद्वार मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स: देरी के कारण और भविष्य की संभावनाएं

मान्यता की प्रक्रिया

मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) में आवेदन किया गया है। लेकिन एमबीबीएस कोर्स के लिए जब तक फैकल्टी व अन्य कर्मचारियों के साथ ही चिकित्सा उपकरण की व्यवस्था नहीं हो जाती है, तब तक मान्यता मिलना भी मुश्किल है। एनएमसी की मान्यता एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता और मानकों को सुनिश्चित करती है।

सरकार की योजना और लक्ष्य

प्रदेश सरकार ने वर्ष 2024-25 से मेडिकल कॉलेज शुरू करने का लक्ष्य रखा है। स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने भी कहा है कि इस साल मेडिकल कॉलेज को शुरू करना संभव नहीं है, क्योंकि अभी कई काम बाकी हैं। अगले वर्ष तक मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस कोर्स संचालित करने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाएगा। इसके अलावा, रुद्रपुर और पिथौरागढ़ में भी मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य चल रहा है।

भविष्य की संभावनाएं

स्थानीय चिकित्सा सेवाओं में सुधार

राजकीय मेडिकल कॉलेज हरिद्वार के शुरू होने से न केवल चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय चिकित्सा सेवाओं में भी सुधार होगा। मेडिकल कॉलेज के साथ एक उच्च स्तर का अस्पताल भी जुड़ा होगा, जो क्षेत्रीय लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेगा।

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रोजगार के अवसर

मेडिकल कॉलेज के शुरू होने से क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे। मेडिकल स्टाफ, प्रोफेसर, नर्सिंग और अन्य तकनीकी कर्मचारियों की नियुक्ति से रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी।

चिकित्सा शिक्षा में सुधार

हरिद्वार में मेडिकल कॉलेज के शुरू होने से राज्य की चिकित्सा शिक्षा में सुधार होगा। छात्रों को अपने ही राज्य में उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, जिससे उन्हें बाहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

चुनौतियां और समाधान

समय पर कार्य पूरा करना

सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि निर्माण कार्य और स्टाफ की नियुक्ति समय पर पूरी हो। इसके लिए उचित निगरानी और प्रबंधन की आवश्यकता है।

गुणवत्ता सुनिश्चित करना

चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एनएमसी के मानकों का पालन करना अनिवार्य है। इसके लिए मेडिकल कॉलेज को सभी आवश्यक सुविधाएं और संसाधन मुहैया कराना होगा।

निष्कर्ष

हरिद्वार में राजकीय मेडिकल कॉलेज का निर्माण एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जो भविष्य में क्षेत्रीय चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा बदलाव ला सकती है। हालांकि, इस साल एमबीबीएस कोर्स शुरू करने की योजना में देरी हो गई है, लेकिन आने वाले वर्षों में इसके सफल संचालन की उम्मीदें जीवित हैं। सरकार और संबंधित अधिकारियों को इन चुनौतियों का समाधान करके मेडिकल कॉलेज को समय पर शुरू करने की दिशा में कार्य करना होगा, ताकि हरिद्वार और आसपास के क्षेत्रों के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और चिकित्सा शिक्षा प्राप्त हो सके।


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