– विकेश सिंह नेगी; एडवोकेट/आरटीआई एक्टिविस्ट Mayor Ticket Dehradun:
Mayor Ticket Dehradun: देहरादून नगर निगम के आगामी मेयर चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। वर्तमान मेयर सुनील उनियाल गामा, जिन्हें पार्टी का एक गुट सशक्त दावेदार मान रहा है, उनके खिलाफ गंभीर आरोप और विरोध भी उठ रहे हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने गामा पर आय से अधिक संपत्ति और पद के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगाए हैं। यह मामला अब हाईकोर्ट में सुनवाई के चरण में है, जो 2 जनवरी को होगी।
गामा पर आय से अधिक संपत्ति के आरोप Mayor Ticket Dehradun
एडवोकेट विकेश नेगी ने गामा पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया है। नेगी के अनुसार, मेयर पद पर रहते हुए गामा ने अपनी संपत्ति में 10 गुना वृद्धि की है। 2018 में, जब गामा ने मेयर पद के लिए दावेदारी पेश की, तो उनके शपथ पत्र के अनुसार उनकी कुल संपत्ति मात्र 2 करोड़ थी। लेकिन अब उनकी संपत्तियों का बाजार मूल्य 20 करोड़ तक पहुंच गया है।
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नेगी का दावा है कि गामा ने 11 नई संपत्तियां खरीदी हैं और उन्हें दरबार से तीन संपत्तियां लीज पर भी मिली हैं। यह सीधे-सीधे उनके पद का दुरुपयोग दर्शाता है। इन संपत्तियों का स्वामित्व गामा और उनके परिजनों के नाम पर दर्ज है, जो संदेह के घेरे में है।
हाईकोर्ट में सुनवाई
इस मामले को लेकर एडवोकेट नेगी ने पहले विजिलेंस में शिकायत दर्ज कराई थी। जब वहां से कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्होंने इस मामले को नैनीताल हाईकोर्ट में ले जाने का फैसला किया। अब हाईकोर्ट में 2 जनवरी को इस मामले की सुनवाई होनी है। यह मामला न केवल गामा की व्यक्तिगत साख पर सवाल उठाता है, बल्कि भाजपा की नीतियों और दृष्टिकोण पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।
मोहल्ला स्वच्छता समितियों में भ्रष्टाचार के आरोप Mayor Ticket Dehradun
गामा पर लगे आरोप केवल संपत्ति तक सीमित नहीं हैं। एडवोकेट नेगी ने मोहल्ला स्वच्छता समितियों के घोटाले का भी खुलासा किया। उनके अनुसार, इन समितियों के फंड का दुरुपयोग हुआ और पर्यावरण मित्रों को मिलने वाले पैसे सीधे उनके खातों में जाने के बजाय समितियों के खातों में ट्रांसफर किए गए। Mayor Ticket Dehradun
इस मामले में करीब 86 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का आरोप है। तत्कालीन जिलाधिकारी सोनिका ने जब इस मामले की जांच कराई, तो 100 कर्मचारी फर्जी पाए गए। यह सभी वित्तीय स्वीकृतियां मेयर गामा द्वारा बिना वित्त समिति की सहमति के दी गई थीं। यह न केवल वित्तीय अनियमितता है, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन भी है।
भाजपा की कथनी और करनी में अंतर
एडवोकेट नेगी ने भाजपा पर सीधा हमला करते हुए कहा कि पार्टी भ्रष्टाचारियों को प्रश्रय दे रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा एक तरफ भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सख्त नीति का दावा करती है, लेकिन दूसरी ओर भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे नेताओं को संरक्षण दे रही है। यदि भाजपा गामा को फिर से मेयर पद के लिए टिकट देती है, तो यह जनता के बीच गलत संदेश जाएगा और पार्टी की साख पर बुरा असर डालेगा।
जनता के साथ धोखा
नेगी का मानना है कि गामा को मेयर पद का टिकट देना जनता के साथ धोखा है। उन्होंने कहा कि गामा ने अपने पद का दुरुपयोग करके न केवल संपत्ति अर्जित की, बल्कि नगर निगम के फंड का भी दुरुपयोग किया। ऐसे में, यदि भाजपा उन्हें फिर से टिकट देती है, तो यह पार्टी की कथनी और करनी के बीच के अंतर को उजागर करेगा।
भ्रष्टाचार पर सख्त कदम उठाने की मांग
नेगी ने भाजपा हाईकमान से मांग की है कि वे गामा को दोबारा मेयर पद के लिए उम्मीदवार न बनाएं। उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल भाजपा की छवि को बचाने के लिए आवश्यक है, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश देने के लिए भी जरूरी है।
भाजपा के सामने चुनौती
भाजपा के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वह गामा की दावेदारी पर फैसला कैसे लेती है। एक तरफ, पार्टी को अपने नेताओं का बचाव करना है, तो दूसरी ओर, उसे जनता के विश्वास को बनाए रखना है। यदि भाजपा गामा को टिकट देती है, तो यह विपक्ष को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हमला करने का एक बड़ा मौका दे सकती है।
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सुनील उनियाल गामा के खिलाफ लगे आरोप गंभीर और चिंताजनक हैं। यदि भाजपा इस मामले में निष्पक्ष जांच की अनुमति देती है और गामा को टिकट नहीं देती, तो यह भ्रष्टाचार के खिलाफ उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाएगा। दूसरी ओर, यदि पार्टी गामा का समर्थन करती है, तो यह जनता के बीच नकारात्मक संदेश भेज सकता है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में राजनीतिक दलों की भूमिका महत्वपूर्ण है। ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस चुनौती से कैसे निपटती है और अपने दावे और वादों के अनुरूप कदम उठाती है।