Mahant Indresh Hospital PCI श्री महंत इंद्रेश अस्पताल की फार्मेसियों को PCI की मान्यता: डी.फार्मा के 960 छात्र-छात्राएं हर साल करेंगे ट्रेनिंग
देहरादून स्थित श्री महंत इंद्रेश अस्पताल उत्तराखंड के शैक्षणिक और स्वास्थ्य सेवाओं में एक नया मील का पत्थर साबित हुआ है। हाल ही में इस अस्पताल की फार्मेसियों को फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया or Mahant Indresh Hospital PCI (PCI) द्वारा ट्रेनिंग देने की मान्यता मिली है। यह मान्यता प्राप्त करने वाला उत्तराखंड का पहला प्राइवेट अस्पताल बन गया है, जिससे डी.फार्मा के 960 छात्र-छात्राएं हर साल अपनी अनिवार्य ट्रेनिंग पूरी कर सकेंगे। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो राज्य के फार्मेसी छात्रों के लिए नए अवसर खोलता है और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में वृद्धि करता है।
श्री महंत इंद्रेश अस्पताल: एक परिचय
श्री महंत इंद्रेश अस्पताल उत्तराखंड के प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों में से एक है। यह अस्पताल अपनी उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाओं और अत्याधुनिक सुविधाओं के लिए जाना जाता है। इस अस्पताल के चेयरमैन श्री महंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने SGRR विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज़ की टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है। इस मान्यता के साथ, अस्पताल ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एक नया मानक स्थापित किया है।
पीसीआई मान्यता का महत्व
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) एक शीर्ष संस्था है जो फार्मेसी शिक्षा और प्रशिक्षण के मानकों को नियंत्रित करती है। डी.फार्मा कोर्स के लिए, 500 घंटे (लगभग 3 महीने) की ट्रेनिंग अनिवार्य होती है। यह ट्रेनिंग केवल PCI द्वारा मान्यता प्राप्त सेंटर में ही की जा सकती है। अब तक, उत्तराखंड में केवल सरकारी अस्पतालों जैसे राजकीय दून अस्पताल और कोरोनेशन अस्पताल में ही ट्रेनिंग की सुविधा उपलब्ध थी। श्री महंत इंद्रेश अस्पताल राज्य का पहला प्राइवेट अस्पताल बन गया है जिसे यह मान्यता मिली है।
ट्रेनिंग की प्रक्रिया और सीट आवंटन
PCI ने श्री महंत इंद्रेश अस्पताल को हर तिमाही में 240 सीटों की अनुमति दी है, जिससे सालाना 960 छात्र-छात्राएं ट्रेनिंग कर सकेंगे। ट्रेनिंग की प्रक्रिया में छात्रों को अस्पताल की डिस्पेंसरी में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने का मौका मिलेगा। यह अनुभव न केवल उनके शैक्षणिक ज्ञान को मजबूत करेगा, बल्कि उन्हें वास्तविक दुनिया की चुनौतियों के लिए भी तैयार करेगा।
डीन डॉ. दिव्या जुयाल की प्रतिक्रिया
श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय स्कूल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज़ की डीन डॉ. दिव्या जुयाल ने बताया कि PCI द्वारा मान्यता प्राप्त करना कोई आसान कार्य नहीं है। यह मान्यता कड़े मानकों पर मूल्यांकन और परीक्षण के बाद ही प्रदान की जाती है। PCI ने श्री महंत इंद्रेश अस्पताल में नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC), एनएबीएच की मान्यताओं सहित केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा निर्धारित गाइडलाइनों का कड़ाई से पालन करते हुए अस्पताल की डिस्पेंसरी का निरीक्षण किया। हर कसौटी पर खरा उतरने के बाद ही अस्पताल को यह मान्यता प्रदान की गई है।
श्री महंत इंद्रेश अस्पताल का भविष्य दृष्टिकोण
श्री महंत इंद्रेश अस्पताल की यह उपलब्धि न केवल उनके स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाती है, बल्कि यह उत्तराखंड के छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। इस मान्यता से न केवल अस्पताल को, बल्कि पूरे राज्य को लाभ होगा। छात्रों को गुणवत्तापूर्ण ट्रेनिंग के माध्यम से व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त होगा, जो उन्हें एक सफल फार्मासिस्ट बनने में मदद करेगा।
छात्रों के लिए नई राहें
श्री महंत इंद्रेश अस्पताल में ट्रेनिंग की सुविधा से डी.फार्मा छात्रों को एक नया मंच मिलेगा। अब तक सरकारी अस्पतालों में ट्रेनिंग के सीमित अवसर थे, जिससे छात्रों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इस नई सुविधा से छात्रों को उच्च स्तरीय ट्रेनिंग प्राप्त करने का मौका मिलेगा, जिससे उनकी शिक्षा और कौशल में सुधार होगा। यह कदम छात्रों के करियर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सहायक होगा।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
श्री महंत इंद्रेश अस्पताल की यह पहल न केवल शैक्षिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका सामाजिक और आर्थिक प्रभाव भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उच्च गुणवत्ता वाली ट्रेनिंग से छात्रों की रोजगार संभावनाएं बढ़ेंगी और वे अधिक कुशल और सक्षम फार्मासिस्ट बन सकेंगे। इसके अलावा, यह पहल राज्य में निजी और सरकारी संस्थानों के बीच सहयोग को भी प्रोत्साहित करेगी, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा।
निष्कर्ष
श्री महंत इंद्रेश अस्पताल की फार्मेसियों को PCI की मान्यता मिलना उत्तराखंड के लिए गर्व का विषय है। यह पहल डी.फार्मा के छात्रों के लिए नए अवसर प्रदान करती है और स्वास्थ्य सेवाओं में एक नया मानक स्थापित करती है। चेयरमैन श्री महंत देवेन्द्र दास जी महाराज, डीन डॉ. दिव्या जुयाल और SGRR विश्वविद्यालय की पूरी टीम इस सफलता के लिए बधाई के पात्र हैं। इस मान्यता से न केवल छात्रों को, बल्कि पूरे समाज को लाभ होगा और यह राज्य की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में एक नया युग आरंभ करेगा।