उत्तराखंड: उत्तराखंड राज्य में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code, UCC) लागू होने के बाद पहला लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) पंजीकरण कर दिया गया है। यह कदम राज्य में लिव-इन रिलेशनशिप्स को कानूनी रूप से मान्यता देने और उन्हें रेगुलेट करने के उद्देश्य से उठाया गया है। इसके साथ ही, राज्य को रजिस्ट्रेशन के लिए 5 और आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनकी जांच की प्रक्रिया चल रही है।
समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद नया कदम
उत्तराखंड सरकार ने 27 जनवरी 2025 को समान नागरिक संहिता के तहत लिव-इन रिलेशनशिप को रेगुलेट करने के लिए नए नियम लागू किए थे। इसके तहत अब सभी लिव-इन रिलेशनशिप्स को रजिस्टर करना अनिवार्य कर दिया गया है। यह कदम राज्य में लिव-इन के मामलों को कानूनी दायरे में लाने के लिए उठाया गया है, ताकि इन रिश्तों में किसी प्रकार की कानूनी समस्याओं से बचा जा सके और अधिकारों की रक्षा की जा सके।
समान नागरिक संहिता के तहत यह रजिस्ट्रेशन अब उत्तराखंड में रहने वाले सभी नागरिकों पर लागू होता है, चाहे वे राज्य के निवासी हों या अन्य किसी राज्य से हों। यह रजिस्ट्रेशन केवल रिकॉर्ड रखने के उद्देश्य से है और इसमें किसी भी प्रकार की कानूनी बाध्यता या दंड की कोई बात नहीं है, बल्कि यह एक प्रक्रिया है, जिससे सरकारी रिकॉर्ड में इन रिश्तों का विवरण रखा जाएगा।
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया और आवेदन
रजिस्ट्रेशन के लिए जोड़े को एक विस्तृत 16 पेज का फॉर्म भरना होता है, जिसमें व्यक्तिगत जानकारी और अन्य जरूरी विवरण शामिल होते हैं। इसके साथ ही, धार्मिक नेताओं से एक सर्टिफिकेट भी लिया जाता है, जिसमें यह प्रमाणित किया जाता है कि दोनों व्यक्ति शादी करने के योग्य हैं और अगर वे चाहें तो वे शादी भी कर सकते हैं।
उत्तराखंड के गृह सचिव शैलेश बगोली ने बताया कि इस प्रक्रिया में जोड़ों के विवरण को एन्क्रिप्टेड रखा जाता है। उन्होंने कहा कि अधिकारी केवल रजिस्ट्रेशन और आवेदन की संख्या देख सकते हैं, जबकि आवेदकों का व्यक्तिगत विवरण केवल संबंधित रजिस्ट्रार के पास ही होता है। बगोली ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रणाली को सुरक्षित बनाने के लिए पूरी सावधानी बरती गई है, ताकि आवेदकों की निजी जानकारी का उल्लंघन न हो सके।
लिव-इन रिलेशनशिप रजिस्ट्रेशन में सुरक्षा और गोपनीयता
उत्तराखंड सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण में जोड़ों की गोपनीयता पूरी तरह से सुरक्षित रहे। बगोली ने कहा, “यह प्रणाली पूरी तरह से सुरक्षित है और हम इस बात का ध्यान रखते हैं कि निजी जानकारी का उल्लंघन न हो।” उन्होंने यह भी बताया कि जोड़े के विवरण को केवल संबंधित रजिस्ट्रार और अधिकारियों के पास ही एक्सेस किया जा सकता है, जिससे गोपनीयता की कोई चिंता नहीं होनी चाहिए।
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विरोध और आपत्तियाँ
जहां एक ओर सरकार इस कदम को कानून के तहत एक महत्वपूर्ण सुधार मान रही है, वहीं कुछ संगठनों और धार्मिक नेताओं ने इसका विरोध भी किया है। बजरंग दल के नेता विकास वर्मा ने इस मामले पर बयान देते हुए दावा किया कि वे रजिस्ट्रेशन करवा रहे जोड़ों में इंटर-रिलीजन कपल्स की जांच कर रहे हैं। उनका कहना था कि उन्हें हरिद्वार में एक इंटर-रिलीजन कपल के बारे में जानकारी मिली है, जो इस प्रक्रिया के तहत पंजीकरण करवाने के लिए आवेदन कर रहा था। हालांकि, बगोली ने इस बात का खंडन किया और कहा कि इस तरह की जानकारी हासिल करना तीसरे पक्ष के लिए संभव नहीं है।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) के प्रभाव
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद कई महत्वपूर्ण बदलावों की शुरुआत हुई है। यह संहिता राज्य में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए समान नियम और कानून लागू करने का उद्देश्य रखती है। इसके तहत शादी, तलाक, संपत्ति अधिकार और लिव-इन रिलेशनशिप जैसे मामलों में समानता लाने की कोशिश की गई है। लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के साथ, सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि इन रिश्तों में भी कानूनी अधिकार और सुरक्षा प्रदान की जाए, जैसा कि शादीशुदा जोड़ों को मिलता है।
इस बदलाव से न केवल लिव-इन रिलेशनशिप्स में रहने वाले जोड़ों को कानूनी सुरक्षा मिली है, बल्कि यह सामाजिक रूप से भी एक कदम आगे बढ़ने की ओर इशारा करता है, जहां परंपरागत रिश्तों के अलावा अब अन्य प्रकार के रिश्तों को भी मान्यता दी जा रही है।
भविष्य में क्या बदलाव हो सकते हैं?
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के लागू होने से राज्य में कई और सुधार हो सकते हैं। यह कानून केवल लिव-इन रिलेशनशिप्स तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसके तहत परिवारों, विवाह, तलाक और अन्य सामाजिक मुद्दों पर भी व्यापक प्रभाव पड़ेगा। आने वाले समय में यह देखना होगा कि अन्य राज्यों में भी इस प्रकार के कानूनों को अपनाया जाएगा या नहीं, और क्या इसके प्रभाव से समाज में कोई बडी बदलाव होंगे।
Live-in Relationship
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के तहत लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन की शुरुआत एक ऐतिहासिक कदम है, जो न केवल कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है बल्कि सामाजिक बदलाव की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल है। यह कदम लिव-इन रिलेशनशिप्स को एक कानूनी दायरे में लाता है, जिससे लोगों को अपने अधिकारों की सुरक्षा और सम्मान मिलता है। हालांकि इस कदम का विरोध भी हो रहा है, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह बदलाव भविष्य में समाज और कानून दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।