Learning English Language: कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल: 'प्रभावी संचार के लिए अंग्रेजी भाषा सीखना' पर व्याख्यान का आयोजन : ukjosh

Learning English Language: कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल: ‘प्रभावी संचार के लिए अंग्रेजी भाषा सीखना’ पर व्याख्यान का आयोजन

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Learning English Language: कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल: ‘वीविंग ईट टुगेदर लर्निंग इंग्लिश लैंग्वेज फॉर इफेक्टिव कम्युनिकेशन’ पर व्याख्यान का आयोजन

कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल के विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय, आइक्यू एसी, केयू आईआईसी और एलुमनी सेल ने मिलकर ‘वीविंग ईट टुगेदर लर्निंग इंग्लिश लैंग्वेज फॉर इफेक्टिव कम्युनिकेशन’ (Learning English Language) विषय पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान का आयोजन किया। इस व्याख्यान का मुख्य उद्देश्य अंग्रेजी भाषा के माध्यम से प्रभावी संवाद कौशल को बढ़ावा देना था। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में डॉक्टर पूनम सिंह, जो अयामा गाकुन यूनिवर्सिटी, टोक्यो, जापान और दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़ी हुई हैं, उपस्थित थीं।

कार्यक्रम की शुरुआत

कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. ललित तिवारी, डायरेक्टर, विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय द्वारा मुख्य वक्ता का परिचय कराते हुए हुई। उन्होंने विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय के कार्यों और उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला। डॉक्टर पूनम सिंह ने अपने व्याख्यान में इस बात पर जोर दिया कि अंग्रेजी भाषा न केवल वैश्विक स्तर पर संवाद करने में सहायक है, बल्कि यह भारत को ‘विश्व गुरु’ बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

अंग्रेजी भाषा का महत्व

डॉक्टर पूनम सिंह ने बताया कि अंग्रेजी पूरे विश्व में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। विदेश में शिक्षा प्राप्त करने या काम करने के लिए अंग्रेजी का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है। हिंदी पृष्ठभूमि के लोगों को बीबीसी चैनल का प्रयोग करने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि रीडिंग और राइटिंग के माध्यम से इफेक्टिव कम्युनिकेशन स्किल्स विकसित की जा सकती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय संस्कृति को विदेशों में प्रचारित करने में भी अंग्रेजी भाषा का महत्वपूर्ण योगदान है।

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कम्युनिकेशन स्किल्स के चार प्रमुख पहलू

अपने व्याख्यान में डॉक्टर पूनम सिंह ने कम्युनिकेशन स्किल्स के चार प्रमुख पहलुओं – लिसनिंग, स्पीकिंग, रीडिंग, और राइटिंग स्किल्स को इम्प्रूव करने के विभिन्न तरीकों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से कंजंक्शन का प्रयोग कर पैराग्राफ की संरचना को बेहतर बनाया जा सकता है। इसके अलावा, उन्होंने विद्यार्थियों को सुझाव दिया कि वे नियमित रूप से पढ़ाई करें, सोचें और लिखें, ताकि उनकी लेखन क्षमता में सुधार हो सके।

महत्वपूर्ण परीक्षाओं की जानकारी

डॉक्टर पूनम सिंह ने विद्यार्थियों को टॉफेल, जीआरई और आईईएलटीएस जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाओं के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन परीक्षाओं की तैयारी कैसे की जा सकती है और इनमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए क्या रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि यदि वे सही दिशा में मेहनत करेंगे, तो वे निश्चित रूप से इन परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

महिला सशक्तिकरण में अंग्रेजी की भूमिका

डॉक्टर पूनम सिंह ने व्याख्यान में यह भी बताया कि कैसे अंग्रेजी भाषा महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी के माध्यम से महिलाएं न केवल अपने विचारों को प्रभावी ढंग से व्यक्त कर सकती हैं, बल्कि वे वैश्विक मंच पर भी अपनी पहचान बना सकती हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कई महिलाओं ने अंग्रेजी भाषा के ज्ञान के माध्यम से अपनी पहचान बनाई है और वे आज सफलतापूर्वक अपने क्षेत्र में कार्य कर रही हैं।

प्रश्नोत्तर सत्र

व्याख्यान के अंत में, विद्यार्थियों ने डॉक्टर पूनम सिंह से विभिन्न प्रश्न पूछे। विद्यार्थियों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए डॉक्टर पूनम सिंह ने संवाद कौशल के महत्व पर जोर दिया और उन्हें सुझाव दिया कि वे अपने कौशल को निरंतर विकसित करने के लिए प्रयासरत रहें। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि वे किसी भी भाषा को सीखने के लिए नियमित अभ्यास करें और उसे अपने दैनिक जीवन में प्रयोग में लाएं।

कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति

इस व्याख्यान में प्रो. गीता तिवारी, डॉक्टर हरिप्रिया पाठक, डॉक्टर पैनी जोशी, डॉक्टर दीपिका पंत, प्रो. नीलू लोधियाल, डॉक्टर बीएस कालाकोटी, डॉक्टर लज्जा भट्ट, प्री ज्योति जोशी, डॉक्टर गिरीश खर्कवाल, हसन खां, महेश भट्ट, युवराज, संजना सहित 55 प्रतिभागी उपस्थित थे। सभी ने डॉक्टर पूनम सिंह के व्याख्यान को बड़े ध्यान से सुना और उनके द्वारा दी गई जानकारियों की सराहना की।

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Learning English Language:

प्रो. ललित तिवारी ने सभी उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों और विद्यार्थियों का धन्यवाद करते हुए कार्यक्रम का समापन किया। उन्होंने कहा कि ऐसे व्याख्यान विद्यार्थियों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाने में सहायक होते हैं और उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करती रहेगी ताकि विद्यार्थियों को उनके करियर में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन मिल सके।

कुल मिलाकर, ‘वीविंग ईट टुगेदर लर्निंग इंग्लिश लैंग्वेज फॉर इफेक्टिव कम्युनिकेशन’ पर आयोजित इस व्याख्यान ने विद्यार्थियों को अंग्रेजी भाषा और संवाद कौशल के महत्व को समझने का अवसर प्रदान किया। डॉक्टर पूनम सिंह के प्रेरणादायक शब्दों ने सभी उपस्थितों को न केवल अंग्रेजी भाषा सीखने के लिए प्रेरित किया, बल्कि उन्हें यह भी सिखाया कि कैसे वे अपने संवाद कौशल को बेहतर बना सकते हैं और वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकते हैं। इस प्रकार के कार्यक्रमों से विद्यार्थियों को न केवल शैक्षिक, बल्कि व्यक्तिगत विकास के अवसर भी मिलते हैं, जो उनके भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।


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