Laxman Jhula Rishikesh | लक्ष्मण झूला प्राकृतिक सुंदरता की मौज ऋषिकेश की पहचान
लक्ष्मण झूला प्राकृतिक सुंदरता की मौज ऋषिकेश की पहचान
देहरादून। जूट की बनी रस्सियों के पुल द्वारा भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने गंगा को पार किया था, इसलिए इसे ‘लक्ष्मण झूला’ कहा जाता है।
लक्ष्मण झूला घाट के बारे में कुछ रोचक तथ्य
लक्ष्मण झूला पुल वर्तमान में पवित्र गंगा नदी ऋषिकेश में गंगा नदी के ऊपर एक लोहे का झूला पुल है। किंवदंतियों के अनुसार, यहां भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने जूट की रस्सी पर गंगा नदी को पार किया था। बाद में लक्ष्मण के सम्मान में यहां जूट की रस्सी का पुल बनाया गया।
माना जाता है कि सन् 1889 तक यहां 284 फीट लंबा लटकता हुआ जूट रस्सियों से बना पुल था जो अक्टूबर 1924 की बाढ़ में बह गया था। उसके बाद 1930 में नया पुल बना। लक्ष्मण झूला गंगा नदी और कई मंदिरों वाले ऋषिकेश शहर का विहंगम दृश्य भी प्रस्तुत करता है।
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ऋषियों की भूमि ऋषकेश हमेशा से ही पर्यटकों के लिए मौज और रमणीक स्थान रही है। यहां संत, फकीर, यानि कि परमात्मा की ढ़ूंढ़ करने वाले, पर्यटक, घुमक्कड़ एवं टैªकिंग एवं सैलानियों के मन को हरने वाली यह माया नगरी हरिद्वार से करीब होने के कारण श्रद्धालुओं और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्थल आकर्षण का केंद्रा रहा है। इसे योग भूमि के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर हर दिन (वर्षभर की बात तो दूर) भारी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं और प्रकृति की सुंदरता को देखकर अभिभूत हो जाते हैं।
ऋषिकेश की दूरी हरिद्वार से लगभग 28 किलोमीटर है। आप हरिद्वार से यहां सिर्फ आधे घंटे में पहुंच सकते हैं। निजी वाहन के साथ ही बस, रेल और टैक्सी से यहां पहुंचा जा सकता है। जैसा कि आप नाम से ही समझ सकते हैं कि ऋषिकेश सदियों से ऋषियों की भूमि रही है। साथ ही, अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए यह क्षेत्र विश्व प्रसिद्ध रहा है। Rishikesh Laxman Jhula
ऋषिकेश को धर्म और पर्यटन के अलावा योग भूमि भी कहा जाता है। यह हिमालय के तल में बसा हुआ है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। भारत की सबसे बड़ी यात्रा ‘चारधाम यात्रा’ (जिसके पीछे भारतवसी (दुनिया नही) अपनी सुद्धबुद्ध खो चुकी है) इसी नगरी से शुरु होकर ऊपर हिमालय क्षेत्र तक पहुंचने वाले भक्तगण ऋषिकेश यानि इसी नगरी से होकर जाना पड़ता है। Laxman Jhula Rishikesh
Laxman Jhula | लक्ष्मण झूला प्राकृतिक सुंदरता की मौज ऋषिकेश की पहचान
ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला, वशिष्ट गुफा और नीलकंठ महादेव मंदिर प्रमुख दर्शनीय स्थल है। लक्ष्मण झूला एक पुल है, जिसे 1929 में बनवाया गया था।
इससे पहले इसी स्थान पर एक और पुल था, जो 1924 की बाढ़ में नष्ट हो गया। ऐसा माना जाता है कि जूट की बनी रस्सियो के पुल द्वारा भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने यहां से गंगा को पार किया था, इसलिए इसे ‘लक्ष्मण झूला’ कहा जाता है। पुल से कुछ ही दूरी पर राम झूला भी है।यहां पर सुबह के समय सूर्योदय का दृश्य अति मनोरम दुश्य होता है। Laxman Jhula Rishikesh
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ज्ञातव्य हो कि पहाड़ों के बीच में सूर्य के निकलने पर ऐसा लगता है कि सूर्य का उदय नदियों से हो रहा है। इनके सबके बीच यहां का शांत वातावरण और पहाड़ों से निकलनी वाली गंगा की कलकल धारा की ध्वनि हमारे मन और मस्तिष्क को आत्मिक शांति प्रदान करती है। ऋषिकेश तक की यह यात्रा भले ही कम समय की हो, लेकिन यह लोगों के यादों में हमेशा के लिए बस जाती है।
हरिद्वार से ऋषिकेश तक की यात्रा में दर्जनों छोटी नदियां और उन पर बने छोटे-छोटे पुल देखने को मिल जाते हैं। बरसात के मौसम में यह नजारा और भी खूबसूरत हो जाता है। बेहद खूबसूरत यह पत्थर हिमोढ़ हिमालय की मीलों लम्बी यात्रा कर तराई वाले ऋषिकेश में पहुंचते हैं।
ऋषिकेश में अनके मंदिर व आश्रम है। इन आश्रमों में योग साधना के लिए लोग आते है। परमार्थ निकेतन गंगा घाट पर स्थित आश्रम है। यहां पर शाम की आरती का नजारा देखने लायक होता है। यहां पर कई आश्रम है, जहां पर्यटकों व श्रद्धालुओं के रहने की उचित व्यवस्था है।
खास बात यह है कि यहां भी गंगा का पानी निर्मल दिखाई देता है। ऋषिकेश में त्रिवेणी घाट प्रमुख स्नानागार घाट है, जहां सुबह सबेरे श्रद्धालु गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं। शाम के समय त्रिवेणी घाट पर भव्य आरती होती है और गंगा में दीप छोड़े जाते हैं, उस समय घाट पर काफी भीड़ होती है।
इसके अलावा त्रिवेणी घाट, ऋषिकेश का वह स्थान है, जहां तीन महा नदियों गंगा, यमुना व सरस्वती का संगम होता है। यह अति पवित्र घाट है। यहां के निर्मल जल में स्नान करने मात्र से जीवन के पाप धुल जाते हैं। Laxman Jhula Rishikesh
ऋषिकेश इतिहास और पौराणिक कथाओं में लक्ष्मण झूला
किंवदंतियों के अनुसार, यहां भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने जूट की रस्सी पर गंगा नदी को पार किया था। ऋषिकेश में एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान, लक्ष्मण झूला पौड़ी जिले को टिहरी जिले से जोड़ता हुआ चारधाम यात्रा मार्ग नेशनल हाईवे से होते हुए हिमालय तक पहंुचता है। यहां पर तत्रयम्बकेश्वर मंदिर, सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर, लक्ष्मण झूला आदि पौराणिक मंदिर त्रयंबकेश्वर मंदिर के रास्ते में ऋषिकेश है।
स्थान और लक्ष्मण झूला कैसे पहुंचे
लक्ष्मण झूला ऋषिकेश शहर में स्थित है और यहां ऑटो साझा करके पहुंचा जा सकता है। लक्ष्मण झूला तक पहुँचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन (4 किमी) और जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून (22 किमी) में हवाई अड्डा है।
चार धाम यात्रा रूट
चार धाम यात्रा उत्तराखंड की सबसे समर्पित और सबसे आध्यात्मिक यात्रा है। चार धाम यात्रा में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री नाम के हिंदुओं के चार पवित्र मंदिर शामिल हैं। चार धाम का प्रसिद्ध मंदिर गढ़वाल हिमालय में स्थित है। उत्तराखंड को देवताओं की भूमि देवभूमि माना जाता है और हिमालय की ऊंची चोटियों को देवताओं का घर माना जाता है। चारों पवित्र धाम अलग-अलग देवताओं के हैं, क्योंकि बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है जबकि केदारनाथ मंदिर भगवान शिव और गंगोत्री और यमुनोत्री देवी गंगा और यमुना नदी को समर्पित है। Laxman Jhula Rishikesh
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