डीएसबी परिसर के अटल पत्रकारिता विभाग में 10 दिसम्बर 2024 का दिन ऐतिहासिक रहा, जब शोधार्थी किशन कुमार ने अपनी पीएचडी की अंतिम मौखिक परीक्षा सफलतापूर्वक दी। किशन ने “सोशल मीडिया का आपदा प्रबंधन में योगदान” (Social media and disaster management) विषय पर अपने शोध को पूर्ण किया। यह शोध वर्तमान समय में तेजी से बदलते सामाजिक और तकनीकी परिदृश्यों के महत्व को दर्शाता है, जहां सोशल मीडिया न केवल संचार का माध्यम है, बल्कि आपदा प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
शोध की पृष्ठभूमि Social media and disaster management
किशन कुमार का यह शोध सामाजिक और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सोशल मीडिया के उपयोग और उसकी भूमिका का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है। इस शोध का उद्देश्य यह समझना था कि कैसे फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप जैसे प्लेटफ़ॉर्म आपदाओं के दौरान सूचनाओं के आदान-प्रदान, राहत कार्यों के समन्वय, और जन-जागरूकता बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
शोध कार्य का निर्देशन
इस शोध कार्य को डीएसबी परिसर के अटल पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर गिरीश रंजन तिवारी के निर्देशन में पूर्ण किया गया। प्रोफेसर तिवारी ने किशन को न केवल मार्गदर्शन दिया, बल्कि उन्हें शोध कार्य की बारीकियों से अवगत कराया। किशन का शोध एक नई दृष्टि प्रदान करता है कि किस प्रकार सोशल मीडिया आपदा प्रबंधन के परिप्रेक्ष्य में एक अनिवार्य उपकरण बन चुका है।
मौखिक परीक्षा की प्रक्रिया Social media and disaster management
किशन कुमार की अंतिम मौखिक परीक्षा ऑनलाइन आयोजित की गई, जिसमें दून विश्वविद्यालय, देहरादून के प्रोफेसर राजेश कुमार विशेषज्ञ के रूप में शामिल हुए। परीक्षा का संचालन कार्यवाहक विभागाध्यक्ष द्वारा संपादित किया गया। मौखिक परीक्षा में विभाग के अन्य वरिष्ठ शिक्षाविद जैसे कि प्रोफेसर गिरीश रंजन तिवारी, निदेशक और विजिटिंग प्रोफेसर प्रोफेसर ललित तिवारी, डॉ. पूनम बिष्ट, डॉ. नवीन पांडे, आस्था शर्मा, डॉ. सुनील भारती, नंदा बल्लभ पालीवाल, और चंदन सिंह सहित अन्य शोधार्थी भी उपस्थित थे।
सोशल मीडिया की भूमिका पर शोध के मुख्य बिंदु
किशन कुमार के शोध में निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया:
- आपदा प्रबंधन में सोशल मीडिया का उपयोग: शोध ने दिखाया कि कैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़, और चक्रवात के दौरान त्वरित सूचना प्रदान करते हैं।
- जन-जागरूकता में सोशल मीडिया का योगदान: किशन ने बताया कि सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियानों के माध्यम से प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को आवश्यक जानकारी पहुँचाई जाती है।
- राहत कार्यों में समन्वय: सोशल मीडिया विभिन्न संगठनों और सरकारी एजेंसियों को एक मंच प्रदान करता है, जहां वे राहत कार्यों को व्यवस्थित रूप से अंजाम दे सकते हैं।
- फेक न्यूज़ का प्रभाव: शोध में यह भी चर्चा की गई कि सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ के प्रसार से आपदा प्रबंधन में किस प्रकार बाधा उत्पन्न हो सकती है और इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।
परीक्षा में विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
प्रोफेसर राजेश कुमार ने किशन कुमार के शोध की सराहना करते हुए इसे समयानुकूल और समाज के लिए उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि यह शोध आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सोशल मीडिया की उपयोगिता को समझने में सहायक होगा। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर गिरीश रंजन तिवारी ने किशन के प्रयासों की प्रशंसा की और उनके शोध को अन्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक बताया।
शोधार्थियों और शिक्षाविदों की उपस्थिति
इस महत्वपूर्ण अवसर पर विभाग के कई प्रतिष्ठित शोधार्थी और शिक्षक उपस्थित थे। सभी ने किशन कुमार के शोध को ध्यानपूर्वक सुना और उनकी प्रस्तुतियों की प्रशंसा की। उपस्थित जनों ने शोध के प्रति किशन की गहन रुचि और समर्पण को सराहा।
सोशल मीडिया और आपदा प्रबंधन: एक नई दृष्टि
किशन कुमार का यह शोध भविष्य में न केवल पत्रकारिता और जनसंचार के छात्रों के लिए मार्गदर्शन करेगा, बल्कि आपदा प्रबंधन से जुड़े सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के लिए भी उपयोगी साबित होगा। यह शोध सोशल मीडिया के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
Social media and disaster management
किशन कुमार ने डीएसबी परिसर के अटल पत्रकारिता विभाग में अपनी पीएचडी की अंतिम मौखिक परीक्षा देकर यह साबित कर दिया कि शोध के माध्यम से समाज के ज्वलंत मुद्दों को हल किया जा सकता है। उनका यह प्रयास नई पीढ़ी के शोधार्थियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा।
उनका शोध न केवल एक अकादमिक उपलब्धि है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे आधुनिक तकनीक का उपयोग कर आपदा प्रबंधन को अधिक प्रभावी और सुलभ बनाया जा सकता है। किशन कुमार की सफलता पर अटल पत्रकारिता विभाग और डीएसबी परिसर को गर्व है।