Jubilee Year Celebrations कुमाऊं विश्वविद्यालय में पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस का आयोजन: ज्ञान और संस्कृति के संरक्षण का पर्व : ukjosh

Jubilee Year Celebrations कुमाऊं विश्वविद्यालय में पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस का आयोजन: ज्ञान और संस्कृति के संरक्षण का पर्व

Spread the love

Jubilee Year Celebrations कुमाऊं विश्वविद्यालय में पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस का आयोजन: ज्ञान और संस्कृति के संरक्षण का पर्व

Jubilee Year Celebrations: कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल ने स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह श्रृंखला के अंतर्गत 12 अगस्त 2024 को शहीद मेजर राजेश सिंह अधिकारी केंद्रीय पुस्तकालय और सूचना विज्ञान विभाग में पद्मश्री डॉ. एस.आर. रंगनाथन की 132वीं जयंती के अवसर पर पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस का आयोजन किया। यह आयोजन न केवल एक शैक्षणिक कार्यक्रम था, बल्कि पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में भारत के महानतम योगदानकर्ताओं में से एक, डॉ. रंगनाथन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर भी था।

पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस का महत्त्व

डॉ. एस.आर. रंगनाथन का जन्म 1892 में तमिलनाडु के तंजावुर जिले के शियाली गाँव में हुआ था। उन्हें भारत में पुस्तकालय विज्ञान का जनक माना जाता है। उन्होंने पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में अनेक मौलिक योगदान दिए हैं, जिनमें उनके प्रसिद्ध पाँच नियम, कोलन वर्गीकरण प्रणाली, वर्गीकृत कैटलॉग कोड, और पुस्तकालय प्रबंधन के सिद्धांत शामिल हैं। इन योगदानों ने न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में पुस्तकालय विज्ञान को एक नई दिशा दी है।

Grocery Businessman किराना कारोबारी की पत्नी पर जानलेवा हमला: संपत्ति व परिवारिक में विवाद की भयावह परिणति

पुस्तकालय विज्ञान को एक संगठित शैक्षणिक विषय बनाने में डॉ. रंगनाथन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनकी सोच और दृष्टिकोण ने पुस्तकालयों को केवल पुस्तकों के भंडार से अधिक, ज्ञान और संस्कृति के संरक्षण और प्रसारण के केंद्रों में परिवर्तित कर दिया। वर्ष 1957 में भारत सरकार ने उनके इस अमूल्य योगदान को स्वीकारते हुए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया।

कुमाऊं विश्वविद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन Jubilee Year Celebrations

कार्यक्रम का शुभारंभ कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत को पुष्पगुच्छ और “फोल्कलोर ऑफ उत्तराखंड” पुस्तक भेंट कर किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों और शिक्षकों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज की।

कार्यक्रम के दौरान प्रो. रावत ने डॉ. रंगनाथन के योगदान को याद करते हुए कहा कि पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस हमें ज्ञान के संरक्षण और प्रसार के महत्त्व को समझने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि पुस्तकालय न केवल पुस्तकों का भंडार होता है, बल्कि वह समाज की सांस्कृतिक और बौद्धिक धरोहर का भी संरक्षक होता है। Jubilee Year Celebrations

डॉ. रंगनाथन की विरासत

डॉ. रंगनाथन ने पुस्तकालय विज्ञान के पाँच नियम प्रस्तुत किए, जो आज भी इस क्षेत्र में दिशानिर्देश के रूप में माने जाते हैं। ये नियम पुस्तकालय विज्ञान के मूलभूत सिद्धांतों को स्पष्ट करते हैं और पुस्तकालयों के संचालन के लिए एक ठोस आधार प्रदान करते हैं। उनके द्वारा विकसित कोलन वर्गीकरण प्रणाली ने पुस्तकालयों में सामग्री के व्यवस्थित और तार्किक संगठन को संभव बनाया, जिससे पुस्तकें और अन्य संसाधन पाठकों के लिए अधिक सुलभ हो सके।

वर्गीकृत कैटलॉग कोड और पुस्तकालय प्रबंधन के सिद्धांत भी उनके प्रमुख कार्यों में से एक हैं, जिन्होंने पुस्तकालय विज्ञान को एक मजबूत और प्रभावी विषय के रूप में स्थापित किया। उनके विचार और दृष्टिकोण आज भी पुस्तकालय विज्ञान के शिक्षण और अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रमुख वक्ताओं के विचार

कार्यक्रम का संचालन डॉ. यूगल जोशी ने किया, जिन्होंने डॉ. रंगनाथन के जीवन और उनके कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डॉ. रंगनाथन की सोच ने पुस्तकालयों को न केवल सूचनाओं के संग्रह के रूप में, बल्कि समाज के बौद्धिक विकास के महत्वपूर्ण साधन के रूप में स्थापित किया।

Stock Register Maintain  हल्द्वानी में शराब की दुकानों पर छापेमारी: प्रशासनिक कार्रवाई या सिर्फ औपचारिकता?

कार्यक्रम के दौरान कार्यकारी डीएसडब्ल्यू प्रो. ललित तिवारी, प्रो. दिव्या जोशी, प्रो. नीता वोहरा शर्मा, प्रो. नीलू लोधियाल, और डॉ. उमंग ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने डॉ. रंगनाथन के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उनकी शिक्षा और अनुसंधान ने भारतीय पुस्तकालय विज्ञान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। Jubilee Year Celebrations

पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस का महत्त्व

इस कार्यक्रम के आयोजन से यह स्पष्ट होता है कि पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह दिन उन लोगों के प्रति सम्मान व्यक्त करने का अवसर है, जिन्होंने ज्ञान के संरक्षण और प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

डॉ. रंगनाथन के योगदान को याद करना और उन्हें सम्मानित करना, हमें यह सिखाता है कि पुस्तकालय केवल पुस्तकों का संग्रहालय नहीं, बल्कि यह एक जीवंत संस्था है जो समाज के बौद्धिक और सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

Jubilee Year Celebrations

कुमाऊं विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम ने न केवल डॉ. एस.आर. रंगनाथन के योगदान को सम्मानित किया, बल्कि पुस्तकालय विज्ञान के महत्व को भी उजागर किया। इस अवसर पर पुस्तकालय और सूचना विज्ञान के छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया और डॉ. रंगनाथन के कार्यों से प्रेरित होकर उनके मार्गदर्शन का पालन करने का संकल्प लिया।

Grocery Businessman किराना कारोबारी की पत्नी पर जानलेवा हमला: संपत्ति व परिवारिक में विवाद की भयावह परिणति

इस कार्यक्रम के माध्यम से, कुमाऊं विश्वविद्यालय ने यह संदेश दिया कि ज्ञान का संरक्षण और प्रसार हमारे समाज के विकास के लिए कितना महत्वपूर्ण है। डॉ. रंगनाथन की विरासत हमें प्रेरणा देती है कि हम भी अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता की ओर बढ़ें और समाज के बौद्धिक विकास में अपना योगदान दें।

इस प्रकार, पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस का यह आयोजन न केवल एक समारोह था, बल्कि यह ज्ञान और संस्कृति के संरक्षण और प्रसारण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक भी था।


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Best Salons New Style Unisex Salon in Dehradun City, Dehradun बाल झड़ना और गंजापन; सेबोरिक उपचार होम्योपैथी से बिना साइड इफेक्ट्स, 100% परिणाम Technological Innovation: Launch of the “Eternal Guru” AI Chatbot Kasturi Winter Kauthig 2024: A Celebration of Uttarakhand’s Rich Culture and Heritage CM ने हरिद्वार में मारा 6; कुम्भ नगरी में राष्ट्रीय खेलों की तैयारी शुरू; खिलाडियों ने जताई खुशियां भारत में क्रिसमस को हर धर्म और समुदाय के लोग उत्साह के साथ मनाते हैं। Google AdSense की नई पॉलिसी अपडेट: जानिए 2025 से लागू होने वाले नियमों के बारे में Jaunpur Sports and Cultural Development Festival