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Jaya Pareshan: संसद में जया बच्चन का विरोध: सभापति के व्यवहार पर नाराजगी और महिला सम्मान की मांग

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Jaya Pareshan: संसद में जया बच्चन का विरोध: सभापति के व्यवहार पर नाराजगी और महिला सम्मान की मांग

Jaya Pareshan: भारतीय संसद में हाल ही के दिनों में एक महत्वपूर्ण घटना ने सभी का ध्यान आकर्षित किया, जब समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने सभापति के व्यवहार पर गंभीर आपत्ति जताई। यह मामला न केवल संसद की कार्यवाही के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह महिला सांसदों के प्रति सम्मान और उनके अधिकारों की रक्षा के संदर्भ में भी चर्चा का विषय बन गया है। जया बच्चन, जो न केवल एक प्रतिष्ठित अभिनेत्री हैं, बल्कि एक अनुभवी राजनेता भी हैं, ने इस घटना पर अपनी नाराजगी व्यक्त की और सभापति से माफी की मांग की।

घटना का विवरण

संसद में समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने उस समय नाराजगी जाहिर की जब नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को बोलने से रोका गया। जया बच्चन का कहना था कि सभापति का व्यवहार और उनका टोन अस्वीकार्य था, खासकर जब वे विपक्ष के नेता को अपनी बात कहने से रोक रहे थे। जया बच्चन ने यह भी कहा कि संसद के सदस्य स्कूल के बच्चे नहीं हैं जिन्हें इस तरह से चुप करा दिया जाए। संसद में बोलने की स्वतंत्रता और आपसी सम्मान का महत्व होता है, और इस प्रकार की घटना संसद की गरिमा के खिलाफ है

महिलाओं के प्रति असम्मान का मुद्दा

जया बच्चन ने सभापति द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा और टोन पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सभापति ने कहा था, “आप सेलिब्रेटी होंगी, मुझे फर्क नहीं पड़ता,” जो उनके अनुसार महिलाओं का अपमान है। जया बच्चन का यह बयान संसद में महिला सदस्यों के सम्मान और उनके अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा सकता है। उन्होंने सभापति से माफी की मांग की, यह स्पष्ट करते हुए कि इस प्रकार की भाषा और व्यवहार अस्वीकार्य है और संसद की मर्यादा के खिलाफ है।

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संसद की परंपराओं का उल्लंघन

जया बच्चन का यह विरोध इस बात को भी रेखांकित करता है कि संसद की परंपराओं और मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए। संसद एक ऐसा मंच है जहां सभी सदस्य, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से हों, उन्हें अपनी बात रखने का अधिकार होता है। जया बच्चन ने इस घटना को संसद की परंपराओं के खिलाफ बताते हुए कहा कि यदि विपक्ष के नेता को अपनी बात रखने से रोका जाएगा, तो संसद में आने का क्या मतलब है?

महिला सशक्तिकरण और संसद में महिलाओं का योगदान

जया बच्चन का यह विरोध महिला सशक्तिकरण और संसद में महिलाओं की भागीदारी के महत्व को भी उजागर करता है। भारतीय संसद में महिलाओं की संख्या अभी भी अपेक्षाकृत कम है, और ऐसे में महिलाओं को सम्मान देना और उनके अधिकारों की रक्षा करना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। जया बच्चन ने यह स्पष्ट किया कि वे न केवल एक महिला के रूप में, बल्कि एक सांसद के रूप में भी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ी होंगी।

समाजवादी पार्टी का समर्थन Jaya Pareshan

जया बच्चन के इस विरोध को समाजवादी पार्टी का पूरा समर्थन मिला। पार्टी के अन्य सदस्यों ने भी सभापति के व्यवहार की आलोचना की और जया बच्चन के साथ खड़े हुए। समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे को संसद में उठाने और महिला सदस्यों के सम्मान की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने का वादा किया। यह समर्थन यह दिखाता है कि पार्टी अपने सदस्यों के साथ खड़ी है और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

सभापति की प्रतिक्रिया

जया बच्चन के विरोध के बाद, सभापति की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, इस घटना ने संसद और बाहर दोनों ही जगहों पर चर्चा का विषय बना दिया है। इस मुद्दे पर सभापति की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि यह न केवल इस घटना के संदर्भ में, बल्कि भविष्य में संसद में होने वाली चर्चाओं और महिलाओं के प्रति सम्मान की दिशा में भी दिशा निर्देश तय करेगी।

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इस घटना के प्रभाव

जया बच्चन का यह विरोध केवल एक घटना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय राजनीति में महिलाओं के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि महिलाएं अपने सम्मान और अधिकारों के लिए लड़ने से पीछे नहीं हटेंगी, चाहे वह संसद हो या समाज का कोई अन्य मंच।

Jaya Pareshaan

जया बच्चन का यह विरोध संसद की गरिमा, महिलाओं के अधिकारों और सम्मान की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह घटना न केवल संसद में चर्चा का विषय बनी, बल्कि इसने समाज में भी एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। जया बच्चन का यह कदम अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा, और यह साबित करेगा कि महिलाएं अपने अधिकारों के लिए किसी भी स्तर पर लड़ने से पीछे नहीं हटेंगी। इस घटना के बाद, यह उम्मीद की जा सकती है कि संसद में महिला सदस्यों के प्रति सम्मान और गरिमा का महत्व और भी बढ़ेगा, और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।


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