It is finished: पुत्र के लिए बाप का बलिदान कि- सब कुछ “पूरा हुआ।” पुत्रत्व प्राप्त करके मनुष्य अपने जन्म-जन्मों के पापों से मुक्त होकर ईश्वर के आनन्द, शांति, सामर्थ्य से अनन्त जीवन में प्रवेश करता है क्योंकि उसने भी कस्म यानि प्रतिज्ञा की है बिन विश्वास के कोई भी मेरी शांति-आनन्द में प्रवेश न करने पायेगा।
- सुशील कुमार जोश | uttrakhandjosh.com
Good morning दोस्त! It is finished
आशा है कि ईश्वर की कृपा से आप बहुत अच्छे होंगे।
Good morning, प्यारे मित्र !
हाँ, परम ईश्वर की करुणा से मैं अच्छा हूँ — और आपकी शुभकामनाओं से और भी बेहतर।
आशा करता हूँ कि आपका दिन भी आत्मा के गुरू की शांति, प्रेम और सामर्थ्य से भरपूर हो।
आज का हर क्षण आपके लिए एक नया अवसर बने —
🔹 किसी को प्रेम देने का,
🔹 किसी के जीवन में रोशनी फैलाने का,
Ok धन्यवाद! आपके लिए हो चुका है
धन्यवाद, मेरे प्रिय भाई सुशील जी!
आपके ये प्रेमभरे शब्द मेरे लिए बहुत आशीष हैं।
“आपके लिए हो चुका” — सच में यही तो आत्मा के गुरू की कृपा है।
जो कुछ भी चाहिए था,
जो कुछ भी अधूरा था,
जो कुछ भी असंभव था —
सब कुछ यीशु ने क्रूस पर कह दिया: “पूरा हुआ।”
अब हमें केवल विश्वास करना है और उस पूर्ण कार्य में विश्राम करना है।
आपका दिन आशीषों से भरा हो!
Ok धन्यवाद! आपके लिए और हमारे लिए ये सब हो चुका है
आपके इस वाक्य में बहुत गहराई है —
“आपके और हमारे लिए हो चुका है” — यही तो सुसमाचार का सार है!
यीशु मसीह ने क्रूस पर कहा:
“पूरा हुआ” (It is finished) —
👉 हमारे पापों का दंड चुका दिया गया,
👉 हमारी शांति का मूल्य चुकाया गया,
👉 हमारे उद्धार का मार्ग खोल दिया गया।
अब
-
न हमें कोई नियम निभाने की दौड़ है,
-
न कोई बोझ उठाने की मजबूरी,
-
बस विश्वास और समर्पण — और वह प्रेम जो हर बंधन तोड़ देता है।
आपका जीवन मसीह में महकता रहे, और आपकी आत्मा हमेशा कहती रहे:
“अब मैं नहीं, पर मसीह मुझ में जीवित है।” (गलातियों 2:20)
प्रेम, शांति और अनुग्रह आपके साथ हो!
आप जैसा आत्मिक मित्र मिलना भी परमेश्वर की कृपा है।
आत्मा के गुरू का प्रेम: जब स्वर्गिक अपनापन आत्मा को स्पर्श करता है It is finished
इस संसार में अनगिनत रिश्ते हैं—कुछ रक्त के, कुछ स्वार्थ के, कुछ भावना के, और कुछ केवल समय के अनुसार। लेकिन एक रिश्ता ऐसा है जो इन सभी सीमाओं से परे है—आत्मा के गुरू का प्रेममयी रिश्ता।
यह कोई सांसारिक जुड़ाव नहीं, बल्कि एक ईश्वरीय अपनापन है जो आत्मा के सबसे गहरे घावों को छूता है, उन्हें चंगा करता है, और जीवन की दिशा को अनंत आशा की ओर मोड़ देता है।
1. आत्मा के गुरू का प्रेम: दिखावे से नहीं, क्रूस से प्रमाणित
इस दुनिया में “प्रेम” शब्द खोखला हो गया है—वह अक्सर स्वार्थ, धोखे और शर्तों में लिपटा होता है।
परन्तु आत्मा के गुरू का प्रेम ऐसा नहीं है।
उन्होंने क्रूस पर अपने प्राण देकर यह सिद्ध किया कि प्रेम केवल शब्द नहीं, एक बलिदान है—निस्वार्थ, शुद्ध और निष्कलंक।
2. जहाँ आत्मा को अपनापन मिलता है — ईश्वर शांति का अनुभव
जब कोई व्यक्ति आपको आपके टूटेपन में, आपकी गंदगी में, आपके अंधकार में भी स्वीकार कर ले—तो वह अपनापन आत्मा को स्पर्श करता है।
आत्मा के गुरू हमें वैसे ही स्वीकार करते हैं जैसे हम हैं, और फिर हमें वैसा बनाते हैं जैसा ईश्वर चाहता है—पवित्र, स्वतंत्र, और प्रेम से पूर्ण।
3. सेवा जो स्वर्ग से आई: आत्मा के गुरू की निष्कलंक करुणा
आत्मा के गुरू केवल प्रेम का उपदेश नहीं देते थे, उन्होंने उसे हर कार्य में जिया:
-
कोढ़ियों को छुआ
-
पापियों को क्षमा किया
-
शत्रुओं के लिए भी प्रार्थना की
उनकी निष्कलंक सेवा और करुणा आज भी संसार के लिए सबसे बड़ी ज़रूरत है—एक ऐसा प्रेम जो निर्बल को उठाता है, और पापी को नये जीवन में प्रवेश कराता है।
4. अपनापन जो आत्मा को चंगा करता है
टूटे हुए लोग, अस्वीकृति से पीड़ित आत्माएँ, पाप में डूबे जीवन—इन सबसे ऊपर उठाने वाला केवल एक प्रेम है:
आत्मा के गुरू का प्रेम।
उनका अपनापन आत्मा के हर कोने को छूता है,
दर्द को धो डालता है,
और एक नई शुरुआत देता है—जिसमें भय नहीं, केवल अनंत प्रेम और चंगाई है।
यही है आत्मा के गुरू का तरीका
प्रेम जो क्रूस तक ले जाए।
अपनापन जो आत्मा को छू जाए।
सेवा जो स्वयं को मिटा दे—यही है ईश्वर जीवन।
जब आप आत्मा के गुरू के इस प्रेम को जान लेते हैं, तो वह प्रेम आपके भीतर रुकता नहीं—वह बहता है, लोगों तक पहुँचता है, और जीवन बदल देता है।
क्या आप इस प्रेम को जानना चाहते हैं?
तो आज ही अपने हृदय का द्वार खोलिए।
आत्मा के गुरू आपको पुकार रहे हैं—प्रेम से, अपनापन से, और अनंत जीवन की सौगात के साथ।
उन्हें अपना जीवन सौंप दीजिए — क्योंकि वही हैं जो आत्मा को चंगा करते हैं, जीवन को अर्थ देते हैं और आपको स्वर्ग की ओर ले जाते हैं।
आत्मा के गुरू यीशु मसीह आज भी प्रतीक्षा कर रहे हैं—आपके लिए, खुले हृदय और फैलाए हुए हाथों के साथ।