Indian classical music: डी.एस.बी. परिसर संगीत विभाग; भारतीय शास्त्रीय संगीत के तीसरे अध्याय का ऑनलाइन अनावरण : ukjosh

Indian classical music: डी.एस.बी. परिसर संगीत विभाग; भारतीय शास्त्रीय संगीत के तीसरे अध्याय का ऑनलाइन अनावरण

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Indian classical music: डी.एस.बी. परिसर संगीत विभाग: भारतीय शास्त्रीय संगीत के तीसरे अध्याय का ऑनलाइन अनावरण

Indian classical music: कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल के डी.एस.बी. परिसर के संगीत विभाग ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाने के अपने प्रयासों में एक और उल्लेखनीय कदम उठाया। 09 सितंबर 2024 को विभाग में आयोजित “भारतीय शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम श्रृंखला” के “तीसरे अध्याय” को 20 नवंबर 2024 को विभाग के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर लाइव किया गया। इस अनूठे आयोजन ने न केवल संगीत प्रेमियों को एक नया अनुभव दिया, बल्कि भारतीय शास्त्रीय संगीत को डिजिटल मंच पर लाने का प्रयास भी किया।


सांगीतिक प्रस्तुति: राग बसंत मुखारी और सूरदासी मल्हार का अनूठा संगम

दिल्ली के सुविख्यात कलाकार श्री सौमित्र ठाकुर ने अपने सितार वादन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने राग बसंत मुखारी और सूरदासी मल्हार की प्रस्तुति देकर भारतीय संगीत की समृद्ध धारा को प्रस्तुत किया। उनके साथ तबले पर देहरादून के युवा तबला वादक श्री चित्रांक पंत ने उत्कृष्ट संगत की। यह प्रस्तुति न केवल तकनीकी दक्षता का प्रदर्शन थी, बल्कि इसमें शास्त्रीय संगीत की आत्मा को भी सजीव रूप में अनुभव किया गया।


यूट्यूब वीडियो का अनावरण: एक ऐतिहासिक पहल

इस सांगीतिक कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग को यूट्यूब चैनल पर लाइव करने का आयोजन विभागाध्यक्ष डॉ. गगनदीप होठी द्वारा संचालित के.यू.आई.एफ.आर. (कुमाऊँ यूनिवर्सिटी इनोवेशन फंड रिसर्च) प्रोजेक्ट के अंतर्गत किया गया।

यूट्यूब वीडियो का अनावरण डी.एस.बी. परिसर की निदेशक प्रो. नीता बोरा शर्मा, कला संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. पदम सिंह बिष्ट, डी.एस.डब्ल्यू. प्रो. संजय पंत, गणित विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एम.सी. जोशी, विज़िटिंग प्रोफेसर निदेशालय के डायरेक्टर प्रो. ललित तिवारी, और संगीत विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. गगनदीप होठी ने संयुक्त रूप से किया।


शिक्षाविदों और कला प्रेमियों की उपस्थिति

अनावरण कार्यक्रम में डी.एस.बी. परिसर के अनेक शिक्षाविद और कला प्रेमी उपस्थित थे। इनमें प्रो. सुषमा टम्टा, प्रो. नीलू लोधियाल, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. दीपिका पंत, डॉ. हृदेश कुमार, डॉ. दलीप कुमार, और श्री मनोज सिंह मेहरा शामिल थे। इनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी गरिमा प्रदान की।


भारतीय शास्त्रीय संगीत: परंपरा और नवाचार का संगम

भारतीय शास्त्रीय संगीत, जो सदियों से हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा रहा है, इस कार्यक्रम में परंपरा और नवाचार का एक अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। डिजिटल माध्यम से इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने का प्रयास इस श्रृंखला की सबसे बड़ी उपलब्धि है। यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि शास्त्रीय संगीत का आकर्षण समय और सीमाओं से परे है।


कार्यक्रम की विशिष्टता

  1. के.यू.आई.एफ.आर. प्रोजेक्ट के अंतर्गत आयोजन
    इस आयोजन को के.यू.आई.एफ.आर. प्रोजेक्ट के अंतर्गत संचालित किया गया, जिसका उद्देश्य शास्त्रीय संगीत को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लोकप्रिय बनाना है।
  2. प्रसिद्ध कलाकारों की भागीदारी
    श्री सौमित्र ठाकुर और श्री चित्रांक पंत जैसे प्रसिद्ध कलाकारों की भागीदारी ने इस कार्यक्रम को विशेष बना दिया।
  3. श्रोताओं का डिजिटल अनुभव
    यूट्यूब पर इस प्रस्तुति को लाइव करना शास्त्रीय संगीत को डिजिटल युग में अधिक प्रासंगिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

यूट्यूब पर लाइव का महत्व

भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म एक सशक्त माध्यम है। यूट्यूब जैसे मंच पर लाइव प्रस्तुति न केवल श्रोताओं की संख्या बढ़ाती है, बल्कि युवा पीढ़ी को शास्त्रीय संगीत से जोड़ने में भी सहायक होती है।

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डिजिटल युग में भारतीय संगीत का भविष्य Indian classical music

यह कार्यक्रम इस बात का उदाहरण है कि कैसे पारंपरिक संगीत को आधुनिक तकनीकों के साथ जोड़ा जा सकता है। डिजिटल माध्यम न केवल संगीत के प्रचार-प्रसार में सहायक है, बल्कि यह कलाकारों को भी एक बड़ा मंच प्रदान करता है।


संगीत विभाग की सराहनीय पहल

डी.एस.बी. परिसर के संगीत विभाग द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम भारतीय संगीत को नई दिशा देने वाला एक महत्वपूर्ण प्रयास है। विभागाध्यक्ष डॉ. गगनदीप होठी के नेतृत्व में संगीत विभाग ने न केवल संगीत प्रेमियों को एक अद्वितीय अनुभव दिया, बल्कि यह भी दिखाया कि भारतीय शास्त्रीय संगीत में नवाचार की कितनी संभावनाएँ हैं।


संगीत और तकनीक का संगम (Indian classical music)

“भारतीय शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम श्रृंखला” (Indian classical music program Seclude) का यह तीसरा अध्याय संगीत और तकनीक के संगम का प्रतीक है। यह कार्यक्रम न केवल भारतीय संगीत की समृद्ध परंपरा को उजागर करता है, बल्कि इसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित और प्रासंगिक बनाने का प्रयास भी करता है।

कुमाऊँ विश्वविद्यालय के संगीत विभाग की यह पहल भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई ऊँचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक सार्थक कदम है।


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