Higher Education कुमाऊं विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा) की मांगें: उच्च शिक्षा के लिए सुधारों की आवश्यकता
Higher Education: कुमाऊं विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा) ने हाल ही में नैनीताल-उधमसिंहनगर के सांसद, माननीय अजय भट्ट जी से शिष्टाचार मुलाकात कर शिक्षकों की विभिन्न समस्याओं को उनके समक्ष प्रस्तुत किया। यह मुलाकात नैनीताल क्लब में हुई, जहां कूटा ने अपने सदस्यों के हितों की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण मांगें रखीं। कूटा के द्वारा उठाए गए मुद्दे न केवल शिक्षकों की स्थिति में सुधार लाने के लिए आवश्यक हैं, बल्कि यह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी हैं।
प्राध्यापकों के वेतन स्तर में सुधार की मांग
कूटा ने अपने ज्ञापन में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि ऐसे प्राध्यापकों को जिन्होंने प्रोफेसर के रूप में 10 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं, उन्हें यूजीसी (UGC) के नियमानुसार वेतन लेवल 15 में रखा जाना चाहिए। यह मांग न केवल शिक्षकों की वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाएगी, बल्कि उन्हें उनके लंबे समय से किए गए योगदान का उचित सम्मान भी प्रदान करेगी। शिक्षा क्षेत्र में प्राध्यापकों की अहम भूमिका होती है, और उनका सही मूल्यांकन उनके काम के प्रति न केवल उन्हें प्रोत्साहित करेगा, बल्कि छात्रों को भी उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने में सहायता करेगा। Higher Education
संविदा और अतिथि शिक्षकों की समस्याएँ
कूटा ने उच्च शिक्षा उत्तराखंड में संविदा और अतिथि शिक्षकों के वेतन में सुधार की भी मांग की। उन्होंने कहा कि यूजीसी के नियमानुसार संविदा शिक्षकों को 57,700 रुपये प्रतिमाह का वेतन दिया जाना चाहिए। यह मांग विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि संविदा और अतिथि शिक्षक विश्वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें उचित वेतन और मान्यता दी जानी चाहिए ताकि वे अपने काम को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ कर सकें।
कूटा ने यह भी मांग की कि उच्च न्यायालय के निर्णयानुसार, 10 वर्ष से अधिक समय तक संविदा या अतिथि शिक्षकों के रूप में कार्य कर चुके शिक्षकों के नियमतीकरण के लिए शासनादेश जारी किया जाए। यह न केवल शिक्षकों के करियर स्थायित्व के लिए आवश्यक है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि योग्य और अनुभवी शिक्षक शिक्षा क्षेत्र में अपनी सेवाएं निरंतर जारी रख सकें। Higher Education
वेकेशन स्टाफ के अवकाश की स्थिति
कूटा ने वेकेशन स्टाफ के ग्रीष्म और शीत अवकाश की भी समस्या को उठाया। पहले दी जा रही 60 दिनों की छुट्टी को या तो फिर से लागू किया जाए, या फिर अन्य राज्य कर्मचारियों की तरह 31 दिनों का उपार्जित अवकाश प्रदान किया जाए। यह मांग शिक्षकों के कार्य-जीवन संतुलन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। शिक्षकों की मानसिक और शारीरिक स्थिति का ध्यान रखना भी आवश्यक है ताकि वे अपने शिक्षण कार्य में पूरी तरह से सक्षम रह सकें।
नैनीताल के अंतरिक मार्गों की स्थिति
कूटा ने सांसद अजय भट्ट जी के समक्ष नैनीताल के अंतरिक मार्गों की खराब स्थिति का भी मुद्दा उठाया। मानसून के कारण सड़कों में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं, जो न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि शिक्षकों और छात्रों के लिए भी एक गंभीर समस्या है। कूटा ने अनुरोध किया कि इन सड़कों की मरम्मत के लिए संबंधित अधिकारियों को आदेश दिया जाए। अच्छी सड़कें न केवल शहर की सुंदरता और पहुंच को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं, बल्कि यह शिक्षकों और छात्रों के लिए भी सुरक्षित और सुगम मार्ग प्रदान करेंगी।
कूटा शिष्टमंडल का प्रतिनिधित्व Higher Education
इस शिष्टाचार मुलाकात में कूटा के अध्यक्ष के साथ-साथ नैनीताल विधायक श्रीमती सरिता आर्य, सांसद प्रतिनिधि गोपाल रावत, नितिन कार्की, प्रो.ललित तिवारी, और महासचिव डॉ. विजय कुमार भी शामिल थे। इन सभी ने शिक्षकों की समस्याओं को लेकर अपनी गंभीरता और प्रतिबद्धता दिखाई। इस शिष्टमंडल का प्रयास न केवल शिक्षकों के लिए हितकारी सिद्ध होगा, बल्कि यह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आवश्यक सुधार लाने में भी मददगार साबित होगा।
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समाज और सरकार से अपेक्षाएं
कूटा की मांगें केवल शिक्षकों के हित के लिए नहीं हैं, बल्कि यह उच्च शिक्षा के पूरे ढांचे को मजबूत बनाने के लिए भी आवश्यक हैं। समाज और सरकार दोनों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे इन मांगों पर गंभीरता से विचार करें और शिक्षा के क्षेत्र में आवश्यक सुधार लाने के लिए कदम उठाएं। एक मजबूत और प्रेरित शिक्षण बल न केवल वर्तमान पीढ़ी को लाभान्वित करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक मजबूत आधार तैयार करेगा।
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कुमाऊं विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा) द्वारा उठाई गई मांगें शिक्षा क्षेत्र में आवश्यक सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इन मांगों का पूरा होना न केवल शिक्षकों के जीवन में सुधार लाएगा, बल्कि उच्च शिक्षा के पूरे ढांचे को भी मजबूत करेगा। यह समय है कि सरकार और समाज इन मांगों को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा क्षेत्र में आवश्यक सुधार लाने के लिए ठोस कदम उठाएं। शिक्षकों की समस्याओं का समाधान न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को बेहतर बनाएगा, बल्कि इससे पूरे समाज को भी लाभ मिलेगा, क्योंकि एक बेहतर शिक्षण व्यवस्था से ही समाज का विकास संभव है।