Havey Rain Tehri उत्तराखंड में बारिश का कहर: जमीनदोश हुआ मकान; टिहरी जनपद में भूस्खलन और बाढ़ से तबाही
उत्तराखंड में बारिश का कहर: टिहरी जनपद में भूस्खलन और बाढ़ से तबाही
उत्तराखंड में इन दिनों हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। टिहरी जनपद में बारिश के (Havey Rain Tehri) कारण भूस्खलन और बाढ़ से कई स्थानों पर तबाही मची हुई है। बूढ़ा केदार क्षेत्र में बाल गंगा और धर्म गंगा नदियों के उफान पर आने से कई दुकानें बह गईं और पूरे घनसाली क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। नदी किनारे के कई भवन खतरे की जद में आ गए हैं, जिससे स्थानीय निवासियों में भय का माहौल है।
भूस्खलन की त्रासदी
टिहरी के भिलंगना विकासखंड के तोली गांव में भूस्खलन ने एक परिवार की जिंदगी को तबाह कर दिया। गुरुवार की रात्रि भारी बारिश के चलते वीरेंद्र लाल के मकान के पीछे से भूस्खलन हुआ। इस हादसे में वीरेंद्र लाल की पत्नी सरिता देवी और उनकी 15 वर्षीय बेटी अंकिता मलबे में दब गईं। ग्राम प्रधान रमेश जिरवाड़ के अनुसार, रात को दो-ढाई बजे क्षेत्र में भारी बारिश हुई, जिसके चलते मकान की दीवार क्षतिग्रस्त हो गई और दोनों मां-बेटी मलबे में दब गईं।
खोज एवं बचाव अभियान
भूस्खलन की सूचना मिलते ही प्रशासनिक टीमें, जिसमें पुलिस, तहसीलदार, पटवारी, एसडीआरएफ, नगर पालिका और स्वास्थ्य विभाग शामिल थे, तत्काल घटनास्थल के लिए रवाना हुईं। राहत और बचाव कार्य के लिए इन टीमों ने एम्बुलेंस के साथ मिलकर रेस्क्यू अभियान शुरू किया। सरिता देवी का शव बरामद कर लिया गया है, जबकि उनकी बेटी अंकिता की तलाश जारी है। भारी बारिश के चलते बचाव कार्य में भी मुश्किलें आ रही हैं।
विद्यालयों में अवकाश
भारी बारिश के कारण भिलंगना विकासखंड के सभी विद्यालयों में अवकाश घोषित कर दिया गया है। यह निर्णय छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। बारिश के चलते कई स्थानों पर मार्ग अवरुद्ध हो गए हैं और विद्यालय पहुंचना जोखिम भरा हो गया है।
पशुधन को नुकसान
भूस्खलन और भारी बारिश ने न केवल इंसानों को बल्कि पशुओं को भी प्रभावित किया है। इस आपदा में 4 भैंस और 2 गाय भी मलबे में दब गई हैं। यह नुकसान स्थानीय किसानों के लिए बहुत बड़ा है, क्योंकि पशुधन उनके जीवन यापन का मुख्य साधन है।
बाढ़ का कहर
बाल गंगा और धर्म गंगा नदियों के उफान पर आने से बूढ़ा केदार क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। नदी किनारे स्थित तीन दुकानें नदी में बह गईं, जिससे दुकानदारों का भारी नुकसान हुआ है। विशन गांव और दला गांव को जोड़ने वाला पैदल पुलिया भी बह गया है, जिससे ग्रामीणों का आवागमन बाधित हो गया है।
Ye Double Engine Hai सांसद निधि का दुरुपयोग और सरकारी धन का सही उपयोग न होना भी एक बड़ी समस्या है
तिनगढ़ गांव का जूनियर हाई स्कूल
तिनगढ़ गांव का जूनियर हाई स्कूल भी भूस्खलन की चपेट में आ गया है। भूस्खलन के कारण स्कूल की इमारत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। यह विद्यालय क्षेत्र के बच्चों के लिए शिक्षा का मुख्य केंद्र था और इसकी क्षति से उनकी पढ़ाई में बाधा आएगी।
प्रशासनिक कार्रवाई Havey Rain Tehri
आपदा की स्थिति में प्रशासनिक कार्रवाई त्वरित और प्रभावी होनी चाहिए। आपदा कंट्रोल रूम से प्राप्त जानकारी के अनुसार, रात 3 बजे घनसाली के ग्राम तोली गांव में लगभग 1.30 बजे भूस्खलन की सूचना मिली। इसके तुरंत बाद पुलिस, तहसीलदार, पटवारी, एसडीआरएफ और नगर पालिका की टीमों ने एम्बुलेंस के साथ घटनास्थल की ओर रुख किया।
राहत और पुनर्वास
राहत और पुनर्वास कार्य में तेजी लाने की आवश्यकता है। प्रभावित परिवारों को तत्काल सहायता और पुनर्वास प्रदान किया जाना चाहिए। इसके लिए राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को मिलकर काम करना होगा।
स्थानीय निवासियों की चुनौतियाँ
भूस्खलन और बाढ़ के कारण स्थानीय निवासियों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मकानों और दुकानों के क्षतिग्रस्त होने से लोगों का जीवन यापन कठिन हो गया है। बच्चों की शिक्षा, रोजगार के साधन और आवागमन की समस्या ने उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया है।
पर्यावरण और विकास
इस प्रकार की आपदाओं से यह स्पष्ट होता है कि पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन बनाना कितना महत्वपूर्ण है। विकास के नाम पर पहाड़ों की अंधाधुंध कटाई और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन भी ऐसी आपदाओं का एक बड़ा कारण है।
भविष्य के लिए उपाय Havey Rain Tehri
भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है:
- जल प्रबंधन: नदियों के जलस्तर की नियमित निगरानी और प्रभावी जल प्रबंधन से बाढ़ की स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है।
- वन संरक्षण: पहाड़ों पर वृक्षारोपण और वन संरक्षण से भूस्खलन की घटनाओं को रोका जा सकता है।
- सामुदायिक जागरूकता: स्थानीय समुदायों को आपदा प्रबंधन के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए और उन्हें आपदा से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
- इंफ्रास्ट्रक्चर का सुदृढ़ीकरण: भवनों, सड़कों और पुलों की संरचना को मजबूत बनाया जाना चाहिए ताकि वे प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर सकें।
- प्रभावी राहत और बचाव तंत्र: आपदा के समय राहत और बचाव कार्य के लिए एक प्रभावी तंत्र होना चाहिए जिससे तुरंत सहायता पहुंचाई जा सके।
उत्तराखंड के टिहरी जनपद में हो रही भारी बारिश ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए। भूस्खलन और बाढ़ जैसी घटनाओं से न केवल मानव जीवन बल्कि पशुधन और संपत्ति को भी भारी नुकसान होता है। प्रशासन और स्थानीय समुदायों को मिलकर इन चुनौतियों का सामना करना होगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे।