Health and empowerment: मातृशक्ति की आर्थिकी में सुधार; महिला समूहों ने स्वरोजगार के जरिए कमाए 1 करोड़ रुपए
उत्तराखंड के पवित्र धाम केदारनाथ की यात्रा इस बार महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर साबित हुई है। इस वर्ष यात्रा के दौरान महिला समूहों ने करीब 1 करोड़ रुपये का कारोबार कर (Health and empowerment) न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि अपने परिवारों को भी आर्थिक सहयोग प्रदान किया। जिलाधिकारी सौरभ गहरवार के नेतृत्व में जिले में किए गए प्रयासों ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस लेख में हम देखेंगे कि कैसे केदारनाथ यात्रा ने महिला समूहों की आजीविका को एक नई दिशा दी है और उनका जीवन बदल दिया है।
महिला समूहों को मिला रोजगार (Health and empowerment), 1 करोड़ का कारोबार
इस वर्ष, केदारनाथ धाम यात्रा में 16 लाख 53 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए। इस बढ़ती तीर्थयात्रा से न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिला, बल्कि महिला समूहों को भी प्रत्यक्ष लाभ पहुंचा। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार महिला समूहों ने करीब 30 लाख रुपये अधिक का कारोबार किया। यह आंकड़ा दर्शाता है कि इस बार यात्रा ने महिलाओं के लिए स्वरोजगार के नए अवसर खोले हैं।
महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा इस वर्ष लगभग 1 करोड़ रुपये का व्यापार किया गया, जो पिछले वर्ष के 70 लाख रुपये के आंकड़े से कहीं अधिक है। इस व्यापार में महिलाओं ने चौलाई के लड्डू, हर्बल धूप, चूरमा, शहद, बेलपत्री, जूट और रेशम के बैग जैसे स्थानीय उत्पाद तैयार करके बेचे।
जिला प्रशासन के प्रयास और सरकारी योजनाओं का सहयोग
महिला समूहों को स्वरोजगार के इस मार्ग पर लाने के लिए जिला प्रशासन ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम), रूरल बिजनेस इनक्यूबेटर (आरबीआई), और ग्रामीण उद्यम त्वरण परियोजना (आरईएपी) जैसी योजनाओं के माध्यम से मदद की। मुख्य विकास अधिकारी डॉ. जीएस खाती ने बताया कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इन योजनाओं के अंतर्गत विशेष प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता दी गई है।
इस प्रयास के तहत, बाबा केदारनाथ धाम में महिला समूहों ने महाप्रसाद, धूप, चूरमा, बेलपत्री, और शहद जैसे उत्पादों का निर्माण किया और उन्हें यात्रा मार्ग पर बेचकर मुनाफा कमाया। इसके अतिरिक्त, सरस रेस्तरां, हिलांस कैफे और बेकरी जैसे उपक्रम भी स्थापित किए गए, जहां महिलाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए।
प्रसाद बेचकर महिलाओं ने कमाए 30 लाख रुपए Health and empowerment
केदारनाथ प्रसाद उत्पादक समूह, मेदनपुर और गंगा दुग्ध उत्पादक समूह ने इस वर्ष प्रसाद बेचकर करीब 30 लाख रुपये का व्यापार किया। इन समूहों ने स्थानीय स्तर पर उत्पादित चौलाई के लड्डू, हर्बल धूप, चूरमा, और अन्य वस्तुओं का विपणन किया। इस व्यापार में जिले की 60 से अधिक महिलाओं ने योगदान दिया।
गंगा दुग्ध उत्पादन संघ की अध्यक्ष घुंघरा देवी ने बताया कि उन्होंने इस वर्ष करीब 100 कुंतल चौलाई से लड्डू और चूरमा तैयार किए। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत 60 से अधिक महिलाओं को प्रतिदिन 300 रुपये का मेहनताना दिया गया और उन्हें प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। इस प्रयास से न केवल महिलाओं की आमदनी बढ़ी, बल्कि स्थानीय किसानों को भी लाभ हुआ, क्योंकि चौलाई की खरीद 110 रुपये प्रति किलो के दर से की गई।
आंचल डेयरी आउटलेट का सफल संचालन
जिलाधिकारी सौरभ गहरवार के प्रयासों से इस बार यात्रा मार्ग पर आंचल डेयरी के सात आउटलेट खोले गए। इन आउटलेट्स का संचालन महिला समूहों को सौंपा गया, जिससे उन्हें लगभग 20 लाख रुपये का लाभ हुआ। यह पहल महिलाओं के लिए एक स्थायी आय का साधन बनकर उभरी है।
इसके अलावा, अगस्त्यमुनि में संचालित सरस रेस्तरां ने 7 लाख रुपये और सरस विपणन केंद्र ने 3 लाख रुपये का व्यापार किया। इससे यह स्पष्ट है कि जिला प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों ने महिला समूहों की आजीविका को मजबूत किया है।
स्थानीय उत्पादों का बढ़ा उत्पादन और विक्रय
महिलाओं द्वारा तैयार किए गए स्थानीय उत्पादों को यात्रा मार्ग पर बेचने के प्रयास ने न केवल उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है, बल्कि स्थानीय उत्पादों को भी प्रोत्साहित किया है। बेलपत्री, शहद, जूट और रेशम के बैग जैसे उत्पादों की बिक्री में इस बार वृद्धि देखी गई। ऊखीमठ ब्लॉक में आस्था स्वयं सहायता समूह ने भी प्रसाद बेचकर 5 लाख रुपये का व्यापार किया।
हिमालय स्वयं सहायता समूह द्वारा शिलाजीत तैयार कर यात्रा मार्ग पर बेचा गया, जिससे 2 लाख रुपये का व्यापार हुआ। स्वास्तिक महिला स्वयं सहायता समूह ने चारधाम थीम वाले तोरण बेचकर 5 लाख रुपये की आय अर्जित की।
हिलांस कैफे और बेकरी का योगदान
गिवाणी में संचालित हिलांस कैफे ने इस वर्ष 6 लाख रुपये और नवकिरण बेकरी ने 4 लाख रुपये का व्यापार किया। इन व्यवसायों का संचालन महिला समूहों द्वारा किया गया, जिससे उन्हें रोजगार के नए अवसर प्राप्त हुए।
भविष्य की योजनाएं और संभावनाएं
जिलाधिकारी सौरभ गहरवार और उनकी टीम के प्रयासों से यह स्पष्ट हो गया है कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उठाए गए कदम भविष्य में और भी अधिक सफल हो सकते हैं। प्रशासन की योजनाएं न केवल महिलाओं को सशक्त बना रही हैं, बल्कि उन्हें स्थायी रोजगार के साधन भी प्रदान कर रही हैं।
आने वाले वर्षों में जिला प्रशासन और भी नए आउटलेट और स्वरोजगार के साधनों को विकसित करने की योजना बना रहा है, ताकि महिला समूहों को और अधिक आर्थिक अवसर प्राप्त हो सकें।
Health and empowerment
केदारनाथ यात्रा के माध्यम से महिला समूहों ने इस बार 1 करोड़ रुपये का कारोबार कर यह साबित कर दिया है कि आत्मनिर्भरता और दृढ़ संकल्प के साथ वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकती हैं। जिला प्रशासन और विभिन्न सरकारी योजनाओं के सहयोग से महिलाओं को स्वरोजगार और आजीविका (Health and empowerment) के बेहतर अवसर मिल रहे हैं।
यह यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि महिलाओं के जीवन में भी एक नई रोशनी लेकर आई है। आने वाले समय में ऐसी और पहलें महिलाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेंगी और उन्हें समाज में एक सशक्त स्थान प्रदान करेंगी।