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Harbhajan Singh Cheema महिलाओं ने चीमा के बयान पर जताई चिंता: वस्त्र नहीं, संस्कार और शिक्षा हैं महत्वपूर्ण


Harbhajan Singh Cheema महिलाओं ने चीमा के बयान पर जताई चिंता: वस्त्र नहीं, संस्कार और शिक्षा हैं महत्वपूर्ण

पूर्व भाजपा विधायक हरभजन सिंह चीमा (Ex. BJP Leader Harbhajan Singh Cheema) द्वारा महिलाओं के खिलाफ अपराधों को उनके वस्त्रों से जोड़ने वाले बयान ने महिलाओं में व्यापक असंतोष और चिंता उत्पन्न की है। इस बयान के विरोध में कई महिलाओं ने अपनी चिंता व्यक्त की है और इसे अनुचित बताया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अपराधों में वृद्धि के पीछे महिलाओं के वस्त्रों का कोई संबंध नहीं है। उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने भी चीमा के इस बयान को खारिज किया है और इस पर कड़ा प्रतिवाद किया है। आइए, इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

चीमा के बयान पर प्रतिक्रिया

हरभजन सिंह चीमा ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के लिए उनके वस्त्रों को जिम्मेदार ठहराया था। इस बयान ने महिलाओं के बीच गहरी चिंता पैदा कर दी है। महिलाओं का कहना है कि इस प्रकार के बयानों से समाज में नकारात्मक संदेश जाता है और यह पीड़ितों को ही दोषी ठहराने की मानसिकता को बढ़ावा देता है।

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महिलाओं की आपत्ति

श्रुति रावत, जो एक आईटी कंपनी में काम करती हैं, ने चीमा के बयान पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि वस्त्र पहनने का चयन एक व्यक्तिगत निर्णय है, चाहे वह पुरुष हो या महिला, और इसका सम्मान किया जाना चाहिए। श्रुति का मानना है कि नेताओं को ऐसे बयानों से बचना चाहिए और इसके बजाय समाज, स्कूलों और माता-पिता के माध्यम से एक-दूसरे के प्रति सम्मान और मूल्य सिखाने का प्रयास करना चाहिए।

स्थानीय निवासी राशी जैन ने बताया कि एक समय था जब पारंपरिक वस्त्र जैसे सूट और साड़ी आम थे, लेकिन फैशन के साथ समय के साथ परिवर्तन हुआ है। उन्होंने नेता के इस कथन की निंदा की कि महिलाओं के वस्त्रों के कारण अपराध बढ़ रहे हैं। राशी का कहना है कि यह गलत है कि अपराधों की वृद्धि को महिलाओं के वस्त्रों से जोड़ा जाए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज में समानता और आपसी सम्मान का संदेश फैलाना महत्वपूर्ण है।

कुसुम कंडवाल की प्रतिक्रिया

उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने भी चीमा के बयान को खारिज किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वस्त्रों का महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों से कोई संबंध नहीं है। कंडवाल ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि माता-पिता और शिक्षक बच्चों को छोटी उम्र से ही सम्मान और सही दिशा में मार्गदर्शन देना सिखाएं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों को वस्त्रों से जोड़ने की बजाय, हमें सामाजिक मूल्यों और शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए।

समाज में बढ़ते अपराध और उनका वास्तविक कारण

महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के पीछे वस्त्रों का नहीं, बल्कि सामाजिक मानसिकता और संस्कारों की कमी का हाथ है। अपराधों को रोकने के लिए आवश्यक है कि समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा की भावना विकसित हो। इसके लिए हमें बच्चों को छोटी उम्र से ही सही शिक्षा और संस्कार देने की आवश्यकता है।

मीडिया और सामाजिक मानसिकता

कुसुम कंडवाल ने इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि सोशल मीडिया के माध्यम से महिलाओं के खिलाफ अपराधों को सनसनीखेज बना दिया गया है। अपराधों की वास्तविकता को समझने के लिए हमें सामाजिक मानसिकता को बदलना होगा। हमें समाज में महिलाओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और सम्मान को बढ़ावा देना होगा।

शिक्षा और संस्कार की भूमिका

महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए शिक्षा और संस्कारों की भूमिका महत्वपूर्ण है। माता-पिता और शिक्षक बच्चों को छोटी उम्र से ही सम्मान और सही दिशा में मार्गदर्शन देने का प्रयास करें। समाज में समानता और आपसी सम्मान का संदेश फैलाना आवश्यक है।

Harbhajan Singh Cheema महिलाओं ने चीमा के बयान पर जताई चिंता: वस्त्र नहीं, संस्कार और शिक्षा हैं महत्वपूर्ण

पूर्व भाजपा विधायक हरभजन सिंह चीमा के बयान पर महिलाओं की चिंता और असंतोष वाजिब है। इस प्रकार के बयानों से समाज में नकारात्मक संदेश जाता है और पीड़ितों को ही दोषी ठहराने की मानसिकता को बढ़ावा मिलता है। हमें यह समझना होगा कि महिलाओं के वस्त्रों का उनके खिलाफ बढ़ते अपराधों से कोई संबंध नहीं है।

महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए हमें समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण और सम्मान की भावना विकसित करनी होगी। शिक्षा और संस्कारों की भूमिका महत्वपूर्ण है और हमें बच्चों को छोटी उम्र से ही सही दिशा में मार्गदर्शन देना होगा।

इस प्रकार, हम समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देकर महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोक सकते हैं। हमें समाज में समानता और आपसी सम्मान का संदेश फैलाना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी महिला को उसके वस्त्रों के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जाए।


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