Gurukul Kangri University Haridwar | गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार में आयोजित ‘वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ’ का शुभारंभ
देश के माननीय उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने शनिवार को गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार (Gurukul Kangri University Haridwar) में आयोजित कार्यक्रम ‘‘वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ’’ का शुभारंभ किया। महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती तथा स्वामी श्रद्धानंद जी के बलिदान दिवस के अवसर पर आयोजित इस महाकुंभ में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) एवं मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने भी प्रतिभाग किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद के प्रणेता इन मनीषियों की पावन स्मृति में आयोजित यह महाकुंभ, उनके महान जीवन के प्रति हमारी विनम्र श्रद्धांजलि है। इस महाकुंभ के माध्यम से वेद विज्ञान को सशक्त करने का महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
अपने सम्बोधन के दौरान उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने कहा कि माँ भारती के इस भू-भाग, देवभूमि उत्तराखंड में आना मेरा परम सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय का वर्षों से नाम सुनता रहा हूं, आज पहली बार आने का मौका मिला है। नाम से ऊर्जावान होता रहा हूं, आज यहां से एक बड़ा संकल्प लेकर जाऊंगा। श्री धनखड़ ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण व सृजन का प्रमुख केंद्र है।
उन्होंने उपस्थित शिक्षकों और छात्रों से कहा आप एक प्रेरणा के स्रोत हैं, राष्ट्रवादी चेतना और चिंतन के केंद्र है। कुछ पश्चिमी विश्वविद्यालय अनर्गल कारणों से हमारी संस्कृति और हमारी विकास यात्रा को कलंकित करने में लगे हुए हैं। मेरे मन में कोई शंका नहीं है आपकी विद्वता – संकल्प को देखते हुए कि भारत की संस्कृति कभी नीचे नहीं होगी, आपको उनका प्रतिकार करना चाहिए!
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि इस महान देश में कुछ लोग हैं, गिने चुने लोग हैं, वे भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रहे हैं। आप उनकी पाचन शक्ति को ठीक कीजिए। वह हमारे ही हैं लेकिन भटके हुए हैं। उन्हें मातृ भाषा में समावेशी शिक्षा प्रणाली स्वीकार ही नहीं है! यह कैसी बात है? अब वह दिन दूर नहीं है जब हर शिक्षा मातृभाषा में उपलब्ध होगी। Gurukul Kangri University Haridwar
ज्यादा से ज्यादा लोगों को वेदों से अवगत कराने पर बल देते हुए श्री धनखड़ नव कहा कि यह हमारे राष्ट्र-निर्माण के लिए और विश्व के स्थायित्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। नई शिक्षा नीति को हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप बताते हुए उन्होंने कहा कि हर भारतवासी को अपनी संस्कृति और विरासत पर गौरव अनुभव करना चाहिए। भारतीयता हमारी पहचान है और राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म है।
Gurukul Kangri University Haridwar | गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार
उपराष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ गिने-चुने लोग अपनी संस्कृति, गौरवमयी अतीत और वर्तमान विकास को लेकर अपमान का भाव रखते हैं और भारत की महान छवि को धूमिल करने में लगे रहते हैं। उन्होंने कहा कि इनके हर कुप्रयास को कुंठित करना हर भारतीयों का परम दायित्व है और कर्तव्य है। ये जो ताकतें, हमारी संस्कृति के विरोध में हैं, राष्ट्रवाद के विरोध में हैं, हमारे अस्तित्व के विरोध में हैं, उन पर प्रतिघात होना चाहिए!
भारतीय ज्ञान परंपरा और वैदिक ज्ञान-विज्ञान पर विमर्श को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए श्री जगदीप धनखड़ ने कहा कि वेद विज्ञान महाकुंभ का यह पर्व हमें हमारे प्राचीन ज्ञान और विज्ञान के प्रति गर्व महसूस करने का एक अवसर प्रदान करता है। उन्होंने जोर दिया कि हम अक्सर भूल जाते हैं कि हम कौन हैं, लेकिन यदि थोड़ा अंदर झांकेंगे तो पता लगेगा कि विश्व में हमारा मुकाबला करने वाला और कोई देश नहीं है।
अपने अभिभाषण में उपराष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि 2047 तक भारत न सिर्फ विकसित राष्ट्र होगा बल्कि विश्व गुरु की अपनी प्रतिष्ठा को फिर से हासिल करेगा। उन्होंने कहा कि मेरे सामने जो छात्र-छात्रायें हैं, वे 2047 के भारत के योद्धा हैं और निश्चित रूप से सफलता अर्जित करेंगे। Gurukul Kangri University Haridwar
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से किए गए पंच प्रण के आह्वान का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आने वाले 25 साल के लिए देश को पंच प्रण पर अपनी शक्ति और संकल्पों को केंद्रित करना चाहिए, आप इसकी सार्थक शुरुआत कीजिए।
श्री धनखड़ ने कहा हमें गुलामी की हर सोच से मुक्ति का प्रयास करना चाहिए क्योंकि कुछ लोग अभी भी अंग्रेजियत के गुलाम हैं। इस संदर्भ में हाल संसद सत्र द्वारा हाल में पारित किए गए तीन नए कानूनों- भारतीय न्याय संहिता विधेयक, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य विधेयक को ऐतिहासिक बताते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि अंग्रेजी कानूनों ने हमें जकड रखा था, हमारे लोग पिस रहे थे क्योंकि उन कानूनों का उद्देश्य था- दंड विधान। भारत की संसद में प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से श्दंड विधानश् को श्न्याय विधानश् किया है, यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। Gurukul Kangri University Haridwar
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीयता हमारी पहचान है और राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म है, हमारी नई शिक्षा नीति हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप है, हर भारतवासी को अपनी संस्कृति और विरासत पर गौरव अनुभव करना चाहिए। उन्होंने कहा जो लोग देश की संस्कृति, गौरवमयी अतीत और वर्तमान विकास को लेकर अपमान का भाव रखते हैं, भारत की महान छवि को धूमिल करने में लगे रहते हैं उनके हर कुप्रयास को कुंठित करना हर भारतीय का परम दायित्व है और कर्तव्य है। उपराष्ट्रपति ने कहा जो हमारी संस्कृति के विरोध में है राष्ट्रवाद के विरोध में है हमारे अस्तित्व के विरोध में है उन पर प्रतिघात होना चाहिए, भारतीय ज्ञान परंपरा और वैदिक ज्ञान विज्ञान का एकेडमिक विमर्श और अनुप्रयोग का अनिवार्य अंग बनाने के यह एक सार्थक प्रयास है।
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उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती महिला सशक्तिकरण के प्रबल समर्थक थे और 21 सितंबर को भारतीय संसद ने महिला आरक्षण बिल पास करके इतिहास रच दिया है। उन्होंने कहा कि इस बिल के पास हो जाने से लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। Gurukul Kangri University Haridwar
अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती ताकत का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमने 23 अगस्त 2023 को यह घोषणा की कि 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा क्योंकि भारत वह पहला देश है जिसने की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को उतारा है यह सिर्फ अकेला देश है ऐसा करने वाला जिसने इतिहास रच दिया है, अब वहां शिव शक्ति पॉइंट भी है और तिरंगा पॉइंट भी है।
Gurukul Kangri University Haridwar | गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार
भारत आज तेज गति से विकास यात्रा पर आगे बढ़ रहा है और यह अब बढ़त अजेय है, भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और अब हम दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी बनने की राह पर हैं, हमने यू.के. को पीछे छोड़ा है और अब जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ने वाले हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने ढाई साल में संसद के नाम नया भवन का निर्माण किया है वह देखने लायक है। उन्होंने छात्रों को भारतीय संसद के नये भवन को देखने के लिए दिल्ली आमंत्रित किया और कहा कि उसमें आप भारतीयता और हमारे सदियों पुरानी संस्कृति की भरपूर झलक देखेंगे। Gurukul Kangri University Haridwar
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे जी-20 आयोजन में सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति की झलक मिलती है। हर विदेशी मेहमान आँख लगाकर भारत की सांस्कृतिक विरासत का आनंद ले रहा था, भारत का सम्मान कर रहा था। श्री धनखड़ ने आगे कहा कि यह अत्यंत-अद्भुत गौरवान्वित करने वाला पल था और मुझे भारत माँ का एक पुत्र होने के नाते, कृषक पुत्र के इस पद पर आने की वजह से वो पल देखने का मौका मिला।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि स्वामी दयानन्द सरस्वती ने वेद और भारतीय संस्कृति के उन्नयन के लिए जो संकल्प लिया था उस पुनीत संकल्प को साकार करने के लिए स्वामी श्रद्धानन्द और उनके गुरुकुल की भूमिका न केवल उल्लेखनीय है बल्कि यह प्रेरणादायक भी है।
राज्यपाल ने कहा कि इस संस्था ने चरित्र और राष्ट्र निर्माण में जो अभूतपूर्व भूमिका निभाई है वह देश के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। भारतीय ज्ञान परंपरा और वैदिक ज्ञान-विज्ञान के माध्यम से चरित्र निर्माण की दिशा में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की उल्लेखनीय भूमिका रही है। Gurukul Kangri University Haridwar
राज्यपाल ने कहा कि वेद विज्ञान और भारतीय ज्ञान परंपरा के विभिन्न स्रोतों को आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के साथ समेकित करते हुए एक समावेशी शिक्षण और अनुसंधान का अंग बनाए जाने के उपाय अकादमिक जगत को खोजने होंगे। उन्होंने कहा कि हमें अपने पुरातन ज्ञान को आधुनिकता के साथ मिलाना होगा। भारतीय ज्ञान परंपरा और वेदों का ज्ञान हमें उचित मार्ग दिखा सकता है क्योंकि वहाँ मानवीयता और संवेदनशीलता के साथ ज्ञान का उद्भव और विकास हुआ है। हमें अपने आत्म मूल्य को समझना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान में पर्यावरण संरक्षण, विश्वशांति, विश्व बंधुत्व, आपदा प्रबंधन आदि ज्वलंत विषयों के समाधान खोजने के वैदिक विज्ञान की तरफ लौटना होगा। उन्होंने कहा कि अकादमिक जगत में क्रियान्वित करने का यह सर्वाधिक उपयुक्त समय है। राज्यपाल ने कहा कि आध्यात्म और विज्ञान के समन्वय से हमें राष्ट्र निष्ठा से परिपूर्ण शिक्षित नागरिकों का निर्माण करना है ताकि हम पुनः विश्व गुरु के पद पर आसीन हो सके।
Gurukul Kangri University Haridwar | गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस महाकुंभ के चिंतन और मंथन से जो परिणाम निकलेंगे उनकी रोशनी से भारत का उच्च शिक्षा जगत प्रकाशित होगा और उच्च शिक्षा की दशा और दिशा के क्षेत्र में यह आयोजन एक मील का पत्थर सिद्ध होगा।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ का देवभूमि की समस्त जनता की ओर से उत्तराखण्ड में हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति जी भारत ही नहीं बल्कि समूचे विश्व में अपने उत्कृष्ट कानूनी ज्ञान एवं बौद्धिक कौशल के लिए जाने जाते हैं। उपराष्ट्रपति जी के सरंक्षण में संसद का उच्च सदन अर्थात राज्यसभा देश के विकास, लोककल्याण, कमजोर वर्ग के उत्थान के प्रयासों के नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है एवं उनके व्यापक अनुभव तथा विभिन मुद्दों की गहरी समझ, राष्ट्र को लाभान्वित कर रही है। Gurukul Kangri University Haridwar
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि महान शिक्षाविद् एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आदरणीय स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती जी ने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के रूप में ये अद्भुत धरोहर मां भारती को सौंपी थीं, उसका हिस्सा बनना प्रेरक और आनंददायक है। उन्होंने कहा की अपने देश को महान बनाने के लिए हमें वेदों की ओर लौटना होगा। वेदों की ओर लौटने के महर्षि दयानंद के उद्घोष को अपने जीवन का ध्येय बनाना होगा। इस प्रकार के कार्यक्रमों से वेदों के ज्ञान को आम लोगों तक पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ‘‘वसुधैव कुटुंबकम’’ हमारा दर्शन है और इसी आधार पर भारत ने ‘‘एक पृथ्वी-एक परिवार-एक भविष्य’’ के विचार के साथ जी-20 में दुनिया का नेतृत्व किया। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने वर्ष 2022 में स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से पंच प्रण का मंत्र दिया था।
उसमें एक प्रण है कि हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, अभूतपूर्व रूप से भारत का सांस्कृतिक उत्थान हो रहा है और लोगों में अपनी प्राचीन विरासत के प्रति गौरव का भाव उत्पन्न हो रहा है। ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत‘ के स्वप्न को साकार करने हेतु उत्तराखंड की हमारी डबल इंजन की सरकार निरंतर कार्य कर रही है।
Gurukul Kangri University Haridwar | गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि विगत ढाई वर्ष में हमने कुछ ऐसे महत्वपूर्ण और कठोर निर्णय लिए हैं, जो विगत 23 वर्षों में नहीं लिए गए थे। राज्य सरकार ‘सर्वश्रेष्ठ उत्तराखण्ड‘ निर्माण के अपने ‘विकल्प रहित संकल्प‘ के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा आगामी समय में उत्तराखंड देश का सबसे समृद्धशाली और सशक्त राज्य हो, इस भावना के साथ हम सभी को साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।