God is Infinite: 77वें निरंकारी संत समागम का सफल समापन: असीम की ओर विस्तार का संदेश
परमात्मा असीम है: सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का संदेश
God is Infinite: समालखा में आयोजित 77वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का समापन सोमवार की रात्रि भक्तिभावपूर्ण वातावरण में हुआ। इस समागम के अंतिम दिन निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने अमृतमयी प्रवचनों के माध्यम से असीमता का दिव्य संदेश दिया। उन्होंने कहा कि परमात्मा असीम है, और ब्रह्मज्ञान के माध्यम से जब हम परमात्मा से जुड़ते हैं, तो हमारा जीवन भी असीमित संभावनाओं और विस्तार का अनुभव करता है।
सतगुरु माता जी ने भेदभावों और अज्ञानता पर चर्चा करते हुए कहा कि समाज में जाति, जीवनशैली और निवास स्थान जैसे विषयों को लेकर भेदभाव प्रचलित हैं। लेकिन ब्रह्मज्ञानी संत इन सीमाओं से ऊपर उठकर समदृष्टि के भाव से जीवन जीते हैं।
भक्ति में भोले भाव की महत्ता God is Infinite
सतगुरु माता जी ने श्रद्धालुओं से कहा कि परमात्मा भोले भाव से रिझता है। चेतन और सजग रहते हुए भक्त भ्रम और भ्रांतियों से दूर रहकर आध्यात्मिक मार्ग पर चलते हैं। उन्होंने समागम में प्राप्त शिक्षाओं को जीवन में अपनाने और समाज में प्रेम, समर्पण और सेवा की भावना को बढ़ावा देने का आह्वान किया।
बहुभाषी कवि दरबार: एक साहित्यिक संगम God is Infinite
समागम के तीसरे दिन बहुभाषी कवि दरबार मुख्य आकर्षण रहा। इसमें देश-विदेश के 19 कवियों ने “विस्तार: असीम की ओर” विषय पर हिंदी, पंजाबी, मुल्तानी, हरियाणवी और अंग्रेजी भाषाओं में प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक रचनाएं प्रस्तुत कीं।
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बाल कवि दरबार और महिला कवि दरबार:
इन आयोजनों में बाल कवियों और कवयित्रियों ने अपनी अनूठी रचनाओं के माध्यम से भावनाओं और विचारों को अभिव्यक्त किया। यह कार्यक्रम प्रतिभा और रचनात्मकता का एक अद्भुत संगम था, जिसने श्रद्धालुओं को प्रेरित किया।
लंगर सेवा: “सारा संसार एक परिवार” की सजीव प्रस्तुति
समागम के दौरान चार मैदानों में लंगर सेवा की विशेष व्यवस्था की गई, जिसमें एक साथ 20,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। दिव्यांग और वयोवृद्धों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गईं।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता:
भोजन स्टील की थालियों में परोसा गया, जिससे प्लास्टिक के उपयोग से बचा गया। यह पहल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
लंगर सेवा में विविध सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों के श्रद्धालु एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हुए “सर्वधर्म सद्भाव” का सजीव चित्रण प्रस्तुत कर रहे थे।
संत समागम के संदेश और अनुभवों का प्रभाव
- आध्यात्मिक संदेश:
सतगुरु माता जी के प्रवचनों ने श्रद्धालुओं को असीम संभावनाओं और विस्तार के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। यह संदेश उनके जीवन के हर पहलू में सकारात्मक बदलाव लाने का आधार बनेगा। - भेदभाव से ऊपर उठने की प्रेरणा:
समागम में जातिगत और सामाजिक भेदभाव से ऊपर उठने की प्रेरणा दी गई, जो आधुनिक समाज के लिए अत्यंत प्रासंगिक है। - भक्ति और सेवा का महत्व:
लंगर सेवा और भक्ति कार्यक्रमों ने यह संदेश दिया कि सेवा और समर्पण से ही जीवन में वास्तविक असीमता प्राप्त होती है।
समापन: दिव्यता का अनुभव और नए लक्ष्य God is Infinite
समागम समिति के समन्वयक जोगिंदर सुखीजा जी ने परम श्रद्धेय सतगुरु माता जी और निरंकारी राजपिता जी का आभार व्यक्त करते हुए सरकारी विभागों और समस्त साध संगत को धन्यवाद दिया।
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श्रद्धालु भक्त समागम की दिव्यता और शिक्षाओं को अपने हृदयों में संजोकर अपने-अपने गंतव्यों की ओर प्रस्थान कर गए। इस समागम ने हर श्रद्धालु को यह सिखाया कि असीम परमात्मा से जुड़कर जीवन को नए विस्तार और सकारात्मक ऊर्जा से भरना ही सच्ची भक्ति है।
असीमता: हर क्षेत्र में विस्तार का अनुभव God is Infinite
यह समागम न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि यह सामाजिक और आध्यात्मिक जागरूकता का माध्यम भी बना। इसने हर व्यक्ति को सिखाया कि ब्रह्मज्ञान और सतगुरु के मार्गदर्शन में जीवन को असीमित संभावनाओं की ओर बढ़ाया जा सकता है। “असीम से जुड़े, और सीमाओं से मुक्त होकर जीवन को एक नई दिशा दें।”